12/04/2007

प्यार में माईग्रेन ?

काली कॉफी के तल में छूटी हुई हैं कुछ बातें । धूप की सीढ़ी चढ़ दिन पहुँच जाता है छत पर , सो जाता है अलस्त दोपहरी ।

आर यू हैप्पी ? सिगरेट की राख सवाल के साथ साथ भुरभुरा कर गिरती है ट्रे पर ।

सामने बच्चे खेलते हैं फव्वारे के चारो ओर । हवा बहती है छूती है इसको उसको , कोई स्कार्फ , कोई शॉल हिलता फड़फड़ाता है । सेल पर बात करती लड़की हँसती है अचानक । चौंक कर मुड़कर देखती है फिर मगन हो जाती है । कॉफी का प्याला प्लेट पर गोल घुमाती औरत सोचती नहीं है । दिन के इस वक्त जड़ा हुआ ये पल तौलती है । आदमी के आर यू हैप्पी को तौलती है । तौलती है दर्द के चिलकने को । टीस की टोपी ओढ़े सिर थामे स्थिर ।

आदमी बाहर देखता है ,सिगरेट फूँकता है । सब तरफ देखता है । औरत आदमी को देखती है । उसके न देखने को देखती है । फिर बैग से निकालकर कोई सा भी पेनकिलर गटकती है । क्या फर्क पड़ता है ।

कमरे में बिखरी हैं नीली दरियाँ । हर रंग का नीला । और कोने में इज़ेल , आधा चेहरा । बेंत के काउच पर अब भी निशान है देह के ढलकने की ,बाल के एक रेशे की , रात के स्मृति की । बाहर पेशियो पर गीले पत्ते सिहरते हैं कुहासे में । ठंड चाय की प्याली में डूबता उतराता है । गद्दे पर निढाल पड़े आदमी को देखती है औरत । पीछे बजता है कोई धुन रेडियो पर ,काँपती है आवाज़ । आदमी की उँगलियों पर अब भी निशान हैं पेंट के । तारपीन के तेल की महक सूँघती है औरत नाक भर कर ।

एक नस फिर तड़कता है , बिजली फिर कौंधती है । औरत सोचती है आज भी असर नहीं हुआ , ये कमबख्त पेनकिलर ! इज़ेल के आधे चेहरे में ढूँढती है हैप्पीनेस का डेफिनेशन ।

9 comments:

पर्यानाद said...

Well I guess there is no definition of happiness… है क्‍या? यह तो एक एहसास है और एहसासों को बहुधा हम परिभाषित नहीं करते, उन्‍हें तो जिया जाता है. शायद मैं वह समझ पा रहा हूं जो आपने कहा. पसंद आया.

अनूप शुक्ल said...

बड़े घटिया पेनकिलर् आते हैं आजकल। जबकि दर्द चौबीस् कैरेट् वाले हैं।

पारुल "पुखराज" said...

"औरत आदमी को देखती है । उसके न देखने को देखती है "aap vo kah letii hai.n ,jo bahut maheen hota hai...v nice

Manish Kumar said...

हम्म्म... क्या कहें इस पर..

अमिताभ मीत said...

Which plane are you on boss ?? Inimitable ... you at places remind me of the hopelessness and absurdity of the existentialists and yet there's this glimmer of hope trying to stick itself out. .... Beautiful.

मीनाक्षी said...

अनूप जी , काश कि दर्द में भी मिलावट होती...

Poonam Misra said...

कुछ दिन पहले अमित ने पूछा था ...तुम्हारे लिये हैपिनेस मतलब क्या ? तब से अपने को टटोल रही हूँ.शायद इस पोस्ट में तुम्हारी और उसकी मिली भगत है .

अजित वडनेरकर said...

प्यार में दर्द तो है ही। बुजुर्गों ने कहा ही है। माइग्रेन, पेनकिलर ये तो आज की बाते हैं न..

डॉ .अनुराग said...

kya bat hai,mujhe khastaur se cigret vala hissa aapki kalam se kuch bhala sa laga.........

shabdo par gahri pakad.