3/29/2006

एक टुकडा छत

वृक्ष की जडों के खोह में
अँधेरा कुलबुलाता था
थोडी सी रौशनी
मुट्ठी भर ज़मीन
और एक टुकडा छत
बस इतना ही काफी है
अँधेरे को अपने
काबू में करने के लिये



मेरी छत
वहाँ से शुरु होती है
जहाँ से तुम्हारी
ज़मीन
खत्म होती है
रौशनी का
एक गोल टुकडा
बरस जाता है
किरणे बुन लेती हैं
अपनी दीवार
और हमारा घर
धूप ,साये, परिंदो
और बादल से
होड लगाता
झूम जाता है
हमारी आँखों में


मेरी छत और तुम्हारी छत
की मुंडेर अब बराबर है
तभी तुम्हारी खुशबू
पहुँच जाती है
मुझतक

मैं बारबार
नंगे पाँव
भागकर,
छत पर क्यों आजाती हूँ
ये समझ गये हो न
अब !



मैंने
रौशनी के उस
गोल टुकडे को
हल्के से
फूँक दिया है
तुम्हारी तरफ

अब तुम्हारा चेहरा भी
खिल गया है
मेरी तरह


3/22/2006

अनहद नाद


घुँघरू की लडी
पैरों में
ता थेई तत थेई
पीछे से
राग असावरी
अभी
दोपहर नहीं हुई



तानपूरे पर थिरकती
मेरी उँगलियाँ
आँखें मून्दे
विभोर
मैं ही तो हूँ
इस राग में
इस रंग में
मेरा संगीत भी तो सुनो




आलता लगे पाँव
कितना नाचे
हरी घास
सिमट गई अब
पाँवों के नीचे




नृत्यरता नृत्यरता
कान्हा कान्हा
मैं ही वंशी
मैं ही गोपी
नृत्तरता नृत्यरता




कितने कमल फूल
खिल गये
हृदय में
खुशबू खुशबू
तुम तक भी




अनहद नाद
काँप जाता है
पूरा शरीर
धरती
आकाश
बर्ह्माँड
सब यहीं सब यहीं

3/20/2006

अब मेरी बारी है इन्द्रधनुष रचने की

इन्द्रधनुष कभी खो जाता है , कभी मुट्ठी में बंद हो जाता है. हम तो भई हैरान हैं, इन्द्रधनुष न हुआ मुन्नू का खिलौना हुआ जब जी चाहे पकड लो जब जी न चाहे खो दो.

अब देखिये इलजाम लगता है हम पर कि ऐसी कवितायें लिखते हैं जिसे कोई समझता नहीं . अरे भाई, कविताई का यही तो जन्मसिद्ध अधिकार है. जब सब समझ जायें तो फिर कविता क्या हुई. पर यहाँ तो भाई लोगों के लेख में भी ऐसी बातें घुसपैठियों की तरह सेंध मार रही है. अब बताईये इन्द्र्धनुष भी कभी किसी ने मुट्ठी में बन्द किया है कभी जो अब बन्द होगा. चलिये रच्नात्मक स्वतंत्रता उनका भी अधिकार है. हम कौन कि उँगली उठायें.

बाकि ये कि फव्वारा ज़रा मरियल सा लगा.(पार्क भी रेगिस्तानी सा ही है , कुछ हरियाली रंगी जाये) . बस एक पानी की धार, वो भी सपाट गिरती हुई. फव्वारा न हुआ फव्वारे के नाम पर कलंक हुआ. फिर ख्याल आया कि इसे तो मेकैनिकल इंजीनियर ने बनाया है. सारी तस्वीर तुरत साफ हो गई.

अब इन्द्रधनुष की इतनी बात हो गई, हमारे पास भी एक है .सोचा आप सबों को दिखा ही दें . हमने मानसी और शुकुल जी से भी बाज़ी मार ली है. आखिर रच्नात्मक स्वतंत्रता हमारा भी पूर्व जन्म से ही अधिकार रहा है, आगे भी रहेगा ( वैसे ये सोचा कि कविताओं को लिखने के बाद छोटे अक्षरों में , ' कविता पढना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है ' भी लिखना शुरु कर दें ताकि सुधी पाठक गण अपने रिस्क इंश्योरेंस कराने के बाद ही आँखों से पट्टी हटायें.

कविता पढने का सही तरीका ..........

- गहरी साँस लें ( चाहें तो अधिक एकाग्रता के लिये रामदेव बाबा वाली पद्धति , अरे वही अनुलोम विलोम वाली , अपना सकते हैं )

- आँखों को दो से तीन बार मिचमिचायें ( आगे अक्षर साफ दिखेंगे, वैसे सुविधा के लिये फॉंट बडा कर दिया है )

- उँगलियों को खोल बन्द कीजिये ताकि पढते ही उँगलियाँ तैनात मिलें तारीफ की टिप्पणी टंकन के लिये

अगर अब भी तैयार नहीं तो जाईये छोडिये, अगली बार पढियेगा, पर जो तैयार हैं ,उनके लिये पेशे खिदमत है मेरा इन्द्रधनुष


बरसात बरसात

बारिश की पहली बून्दों को
रोका
पहले आँखों पर
फिर गालों पर
उसके बाद
होठों पर
फिर घूँट भर
पी लिया
अब मेरे अंदर
इन्द्रधनुष खिलने लगा है


मैंने कहा
बरसो बरसो
खूब बरसो
पीली सरसों की खेत
और आम की अमराई
में भी
बरसो बरसो
खूब बरसो


काली कोयल
और रात भी काली
उसकी टेर
सजाई है मैंने
बालों पर
काले दुपट्टे पर टंके
सलमा सितारे
कभी स्याह नदी में
मुट्ठी भर जुगनू
बिखेरे हैं तुमने


आगे कुछ मत कहना
कोयल बोलती है न
सरसों पीली ही है अब भी
है न
आगे कुछ मत कहना


बरसात में गर्म चाय
शीशे के नन्हे ग्लास में
काली मिर्च और काली चाय
और काली ज़ुबान भी
क्यों कह दिया
बरसात अब थम भी जा


अगर रूठ भी जाऊँ
तो मनाओगे तुम ही
बरसात की पहली बून्द
ओ पहली बून्दों
लौट आओ
बरसो बरसो फिर
कि मेरे अंदर
खिलने लगे फिर इन्द्रधनुष


बाँध लिया है
टखनों पर काला धागा
नज़र न लगे
कितना बरसूँगी
बरसूँगी बरसूँगी
बार बार
अब जब तुम कहोगे
थम जा
तो हँस कर थम जाऊँगी
इन्द्रधनुष तो खिल चुका
गीली मिटटी में
फसल की तैयारी
हो चुकी
कोंपल तो फूट पडी
देखा न तुमने

3/14/2006

राग रंग

परसों टीवी पर एक प्रोग्राम देखा, "हार्मनी इन वाराणसी " . प्रोग्राम बहुत अच्छा था , इतना अच्छा कि कल जब इसे शाम दुबारा दिखाया गया तो मैंने और संतोष ने बच्चों की नाराजगी झेलते हुये ( अब उनके इम्तहान खत्म हो गये हैं और वो हर वक्त हमारे सिर पर चढे रह्ते हैं, बताओ अब क्या करें ) इसे फिर से सुना .
गंगा तट पर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सुनने का आनंद ही कुछ और रहा होगा. टीवी पर ही सही उसका कुछ भाग तो हमने भी उठाया.पर ये भी पता चल गया कि 'लाईव ' सुनने और देखने का अनंद क्या होता है.

ज़िला खान को सुना और पहली बार सुना.
ज़िला खान ,उस्ताद विलायत खान की बेटी हैं. ज्यादातर सूफी संगीत गाती हैं. उस दिन ठुमरी गा रही थीं. उन्हें गाते देखकर एक आह्लाद की अनुभुति हुई. इतने तन्मयता और पैशन से गा रही थीं.
उनके बाद पंडित चुन्नीलाल मिश्र जी का गाया ,शिव वंदना सुना . पहाडी झरने सी उन्मुक्त बहती आवाज़
"हे शिव शंकर औघड दानी " फिर एक ठुमरी और .
आह !क्या सुख की अनुभूति.
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जब छोटे थे तब माँ , पापा, जब शास्त्रीय संगीत सुनते तब बेहद आश्चर्य होता कि कैसे उन्हें ये कर्णप्रिय लगता है. तब ये भी याद है कि बेगम अख्तर की अवाज़ भी अच्छी नहीं लगती थी. पर घर में अच्छे संगीत को सुनने का महौल था. माँ बहुत अच्छा गाती भी थीं, रेडियो से उनके प्रोग्राम आते थे. एक लोकगीत जो खूब गाती थीं

'कुसुम रंग चुनरी रंगा दे पियवा हो
चुनरी में गोट्वा लगा दे पियवा हो
कुसुम रंग चुनरी '


धीरे धीरे कब ये सब अच्छा लगने लगा, पता ही नहीं चला. अब मल्लिकार्जुन मंसूर, पंडित भीमसेन जोशी , पंडित जसराज, कुमार गंधर्व, उनके पुत्र मुकुल शिवपुत्र , गिरिजादेवी, किशोरी अमोनकर से लेकर बेगम अख्तर, मलिका पुखराज़ , आबिदा परवीन , मेंहदी हसन, सब को सुनते हैं और खूब सुनते हैं.
ऐसा नहीं कि अंग्रेज़ी गाने नहीं सुनते लेकिन हमारी सूई अटक गई है किसी पुराने ज़माने में और अब भी बीट्ल्स, जोन ब्याएज़, साइमन गारफंकल पर ही अटकी हुई है. बेटा सुनता है नये पॉप सिंगर्स को, जिनके नाम मुझे नहीं मालूम. उनकी धूम धाम वाली मस्ती मेरी समझ में नहीं आती.

अब समझ में आता है , जेनेरेशन गैप किसे कहते हैं.

जब हम स्कूल में थे तो एक गाना खूब सुनते थे
"फंकी टाउन"
ये लिप्स इंक का रेकार्ड था और इस गाने में सिर्फ एक ही लाईन था 'फंकी टाउन ' जिसे कई तरह से गाया जाता. मेरी माँ खूब हँसती इसे सुनकर. कहतीं ये तो अंग्रेज़ी में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत है . हमारे संगीत में भी तो एक ही लाईन को कई तरह से गाया जाता है.

इसी बात से एक बात और ध्यान में आई कि जब हर्षिल और पाखी बहुत छोटे थे तब मैंने और संतोष ने ये सोचा था कि हम उन्हें खूब अच्छे संगीत के माहौल में पालेंगे पर अब वो सिर्फ, "कमबख्त इश्क़ "या फिर "वीआर गोईंग टू इबिज़ा" टाईप के गाने सुनते हैं . पर उम्मीद है बडे होने पर कहीं न कहीं कुछ और बेहतर सुनने की अभिलाषा उनमें जागे जैसा कि मेरे साथ हुआ. कोई बीज अच्छे संगीत का डालने में अगर सफल हुये तो यही बडी उपलब्धि होगी.

ये तय है कि संगीत ,हर तरह का बढिया होता है. पर आप किसे पसंद कर रहे हैं ये काफी कुछ उम्र पर भी निर्भर करता है. उम्र के साथ साथ पसंद भी शायद परिपक्व होती जाती है, शायद ! ;-)

3/13/2006

पगलाई कोयल खोजती है किसको

बून्दें बरस गयीं
फागुन की आस में

आमों के बौर महके
हवाओं के कण कण में

बौराया मन भटका
गाँवों की गलियों में

और पगलाई कोयल
खोजती है किसको

3/01/2006

एक पत्र भगवान के लिये

कुछ दिन पहले मेरे पास एक मेल आया. उसमें बच्चों के पत्र भगवान के नाम थे. बेहद प्यारे, भोले, मासूम पत्र. शायद आप में से कई ने पढे होंगे इन्हें . आज मेल बॉक्स की सफाई अभियान शुरु की तो इस मेल पर ध्यान आया. ये अंग्रेज़ी में हैं पर बच्चों के मन की भाषा, उनके विश्वास की भाषा शायद हर जगह एक ही होती है .

होती है न ? आप ही बतायें.



प्रिय भगवान ,
आप सचमुच अदृश्य हैं या ये कोई ट्रिक है ?



प्रिय भगवान ,
आपने ज़िराफ को , जैसा वह दिखता है, वैसा ही बनाना चाहा था या वो आपसे गलती से ऐसा हो गया ?




प्रिय भगवान ,
मैं बडा होकर बिलकुल अपने पिता जैसा दिखना चाहता हूँ , बस इतने सारे बाल नहीं





प्रिय भगवान ,

मैं वसंत का इंतज़ार करता रहा पर अब तक वसंत नहीं आया . आप भूलना मत




प्रिय भगवान
लोगों के मरने के बाद आपको नये आदमी बनाने पडते हैं फिर ऐसा क्यों न करें कि जो
अभी हैं उनसे ही काम चलायें




प्रिय भगवान
मैं चर्च में शादी देखने गया और उन्हों न्रे वहीं चुंबन लिया . क्या ये सही है ?




प्रिय भगवान
आपको मेरी चिंता करने की ज़रूरत नहीं . मैं (सडक पार करते वक्त ) दोनो ओर देखता हूँ




प्रिय भगवान
मुझे लगता है कि स्टेपलर आपका सबसे बडा आविष्कार है




प्रिय भगवान
मैं कभी कभी आपके बारे में सोचता हूँ ,तब भी जब प्रार्थना नहीं कर रहा होता





प्रिय भगवान
क्या बाईबल के समय में लोग वाकई वैसी (अलंकृत ) भाषा बोलते थे ?






प्रिय भगवान
मैं अमरीकी हूँ . और आप ?




प्रिय भगवान
शुक्रिया , छोटे भाई के लिये, लेकिन मैंने तो आपसे एक पिल्ले के लिये कहा था





प्रिय भगवान
ज़रूर आपको सारी दुनिया से प्यार करना बेहद मुश्किल होता होगा . मेरे परिवार में तो सिर्फ चार सदस्य हैं और मैं फिर भी उनको हर वक्त प्यार नहीं कर पाता





प्रिय भगवान
ईस्टर और क्रिसमस के बीच कृपया एक छुट्टी डाल दें ,उस बीच अभी कुछ भी अच्छा नहीं





प्रिय भगवान
अगर आप चर्च में मुझे देखेंगे तो इसबार मैं आपको अपने नये जूते दिखाऊँगा





प्रिय भगवान
अगर हमें दुबारा आना है फिर पैदा होकर तो मुझे प्लीज़ जेनिफर मत बनाना, मुझे उससे बेहद चिढ है




प्रिय भगवान
मुझे नौ सौ साल तक बाइबल के उस आदमी की तरह जीना है





प्रिय भगवान
अगर आप मुझे अलादीन का चिराग दें तो बदले में मैं आपको कुछ भी दे सकता हूँ , सिवाय मेरे पैसे और शतरंज के





प्रिय भगवान
हमें स्कूल में बताया कि एडीसन ने बिजली बनाई . फिर रविवार स्कूल में बताया कि आपने प्रकाश दिया. मेरा पक्का विश्वास है कि एडीसन ने आपका आइडिया चुराया होगा



प्रिय भगवान
प्लीज़ डेनिस को इसबार किसी दूसरे स्कूल भेज दो




प्रिय भगवान
अगर आपने डाइनासोर को एक्स्टिंक्ट नहीं किया होता तो हम नहीं होते , आपने बिलकुल ठीक किया




प्रिय भगवान
शायद केन और एबेल एक दूसरे को नहीं मारते अगर उनका अलग कमरा होता. मेरे भाई के साथ तो अलग कमरा काम करता है




प्रिय भगवान
मैं नहीं सोचता कि आपसे बेहतर कोई होगा और मैं इसलिये ये नहीं कह रहा क्योंकि आप भगवान हैं





तो मज़ा लिया न आपलोगों ने भी . और हाँ ये मेल मैंने डीलीट नहीं किया . कभी जब लोगों के कपटपने से मन दुखी होगा तो ये मेल मुझे फिर शांत होने में मदद करेगा.

एक प्रार्थना मेरी भी


प्रिय भगवान
बच्चों को हमेशा ऐसे ही मासूम , भोले और निष्कपट बनाना