हाथ पसारे
इष्टदेव से
क्या माँगते रहे ?
मुट्ठी भर धूप
चन्द कतरे खुशी
रोटी भर भूख
कुछ घूँट प्यास ?
क्यों न अब
कुछ और माँगा जाये....
माँगा जाये अब
ढेर सारी आस
बहुत सारा विश्वास
जो हर धडकन पर
साँस ले और
जीवित हो जाये
पले बढे
और मजबूत हो जाये
इतना मजबूत
कि
हमने गढा तुम्हें
या तुमने रचा हमें
इसका फासला
सिमट जाये
उस एक पल के
तीव्र आलोक में
अब तुम
ये मत कहना
कि मैने माँग लिया
इसबार
खुली हुई
अँजुरियों से भी
बहुत कहीं ज्यादा
एक पूरा नीला आकाश ?
विज्ञान की सामान्य समझ और मानविकी
1 month ago