सराय के आगे घुड़सवार रुकता है । घोड़े के मुँह से फेनिल झाग नीचे गिरे उसके पहले गर्द भरे चेहरे से उलटी हथेली थकान पोंछते, हारे गिरे कँधे को समेटता , अस्फुट बुदबुदाता है , इस समय का मैं नहीं , ये समय मेरा नहीं ..
भट्टी के आगे , सुलगते अंगारों पर कड़कड़ाते, हथेलियों से ताप उठाते , जोड़ती है , मन ही मन गुनती है , झुर्रियों के जाल में खोजती है सब सपने जो मर गये , अंगारों के फूल भरती छाती में , हुक्के के तल पर गुड़गाड़ाता है पानी , समय ? पीरागढ़ी का सराय इस वक्त भी खुला है , मुसाफिरों के लिये..
चौड़ी सड़क शहर का सीना चीरती है , बचपन में देखा कोई साई फी दृश्य हो । घुमावदार फ्लाईओवर्स , जगमगाती रौशनी के तले बंजरपने का गीत हो । घुड़सवार भौंचक है , देखता है , घोड़े की नाल बजती है , पीछे कोई गूबार नहीं छूटता ..
(नेकचन्द सैनी के रॉक गार्डेन में )
फताड़ू के नबारुण
1 month ago
16 comments:
पिछले साल हम भी वहां गये थे ...रात में गये थे ....कुछ फुसफुसाहट सी सुनी थी ..आज मालूम चला किसकी थी ?
शब्दों की तेजी,और भावों का स्पंदन उस समय की उदासी कहता है जब वो समय मैं था ,...शायद , बधाई इस स्पर्श के लिए
shabd chitran bada hi sundar hai.
achche shabdon ka chayan kiya hai...
sunder
अच्छी पोस्ट . धन्यवाद .
शब्दों की झाँकी सजाने का आपका अन्दाज लाजवाब है। शुक्रिया।
कभी कभी ये सोच के घबराहट होती है कि आख़िर किस समय के हैं हम क्या कोई समय हमारा भी था
या होगा!
..........हर कहीं कहाँ होता है.....कारवाँ गुजर गया....गुबार देखते रहे......कभी तो पीछे लौट कर देखने से जिंदगी हसीं दिखायी देती है....और कभी ग़मगीन.....घोडे तो हम ख़ुद हैं....समय मुसाफिर......और मज़ा यह कि हम इसका उलटा सोचते हैं....समय तो निकल जाता है.....और हम घोडे की तरह......टापते.....!!
कैसे लिखती हैं प्रत्यक्षा इतना अच्छा?
शब्दों का ताना बाना कविता जैसा आभास दे रहा है ! कुछ तो विशेष बात है इसमे !
राम राम !
kuch din pahale hi dekh ker aaye per likh nahi paya.padhker yad aa gaya.
प्रत्यक्षा जी हमें अपने ब्लॉग पर आपके लिंक में आपकी एक पोस्ट "प्लेटफार्म पर" दिख रही है पर आपके ब्लॉग पर आने पर वो नजर नही आ रही है
bahut sundar likha hai aapne
achchi post ke liye shukria
peeragadi ki saray achhi lagi. ek ek shacd ko jo piroya hai aapne kavita si ban padi hai yeh rachana.
badhai.
mere blog(meridayari.blogspot.com)par bhi aayen.
Mantramugdh kar diya....
बस इतना कहूंगा की आपको धन्यवाद, एक और अच्छी रचना के लिए .
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