9/25/2008

पीले अँधेरे में

बर्कोज़ में रौशनी धूँये से भरी है , फुसफुसाती मादक नीली । दो वाले मेज़ पर वो बैठा चुप सिगरेट पीता है । कोई गोल्डफिश बोल में नहीं ला देता उसके अकेलेपन को बाँटने के लिये । दूसरी तरफ कोने में बैठी लड़की की नीली कमीज़ का एक कोना दिखता है , उसकी कुहनी दिखती है और जी में आता है एक बार उँगली से उसकी कोहनी सहला लें । लड़की अचानक उठती उसकी ओर आती है । एक मिनट की हकबकाहट के बाद समझ आता है कि उसके मेज़ के बगल से वॉशरूम का रास्ता है । लड़की के बाल इतने सीधे चमकीले हैं ,उसके गाल की हड्डियाँ इतनी चौड़ी , उसे योको याद आती है । अलबम के कवर पर योको । उँगलियों से उस लड़की के कँधे और बाँह कैनवस पर पेंट करना याद आता है जिसका चेहरा किसी धुँध में घुल मिल जाता है । सिर्फ सफेद कोये वाली आँख याद रहती है । जैसे नीली रात में सूरजमुखी के फूलों का बगीचा ।

वेटर सूप रख गया है । सूप की तरह ही मेज़ पर रौशनी पतली हल्की है । मेज़ की सतह पर पहुँचने के पहले ही खत्म होती हुई । उसके होंठ धीमे बुदबुदाते हैं


I walked on the banks of the tincan banana dock and
sat down under the huge shade of a Southern
Pacific locomotive to look at the sunset over the
box house hills and cry.
Jack Kerouac sat beside me on a busted rusty iron
pole, companion, we thought the same thoughts
of the soul, bleak and blue and sad-eyed,
surrounded by the gnarled steel roots of trees of
machinery.


लड़की अपने मेज़ तक लौटने के दौरान मुड़ कर उसकी तरफ देखती है । उसके गाल की उभरी हड्डियों पर रौशनी खेलती है कोई खेल ..ऐसा कि उसे लगता है उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही है । वो अपनी नज़रें हटा लेता है । सामने काले ब्लाउज़ और काले स्लैक्स में बैठी लड़की सिगरेट पीती है और उठते धूँये में आँख मिचमिचाकर सामने देखती है । उसके साथ बैठा आदमी लगातार फोन पर धीमी आवाज़ में बतिया रहा है । उसकी इच्छा होती है कि अगर होस्टेस गोल्डफिश लाये तो उठाकर उस काले ब्लाउज़ वाली लड़की के मेज़ पर रख दे ..लो तुम्हारा अकेलापन बाँटने.. और फिर उसे गिंज़बर्ग सुना दे ..अपनी धीमी खरखराती आवाज़ में .. उसके अंदर कोई रौशनी जगा दे ..


So I grabbed up the skeleton thick sunflower and stuck
it at my side like a scepter,
and deliver my sermon to my soul, and Jack's soul
too, and anyone who'll listen,
--We're not our skin of grime, we're not our dread
bleak dusty imageless locomotive, we're all
beautiful golden sunflowers inside, we're blessed
by our own seed & golden hairy naked
accomplishment-bodies growing into mad black
formal sunflowers in the sunset, spied on by our
eyes under the shadow of the mad locomotive riverbank sunset Frisco hilly tincan evening
sitdown vision.



पीले अँधेरे में उसके अंदर एक सूरजमुखी खिलता है । अचानक एक बेचैन हरहराहट बाँध तोड़ती है । वेटर के ऑडर के लिये पूछने पर मुस्कुराता है , बस और कुछ नहीं , बिल .. द सूप वज़ नॉट गुड ? के जवाब में सिर्फ एक बार और मुस्कुराता है , मेरे अंदर संगीत अच्छा नहीं था , तुम्हारा सूप ज़ायकेदार था , लेकिन अब बिल .. अचानक ऐसी हड़बड़ी .. कुछ शब्द कुछ वाक्य एक बेचैन अफरातफरी में कदमताल कर रहे हैं , कभी दे ब्रेक इंटू अ जिग .. वो समेटता है सब ,सेलफोन , गिंज़बर्ग की किताब , चाभी , वॉलेट सारे के सारे शब्द और भाव , गले तक आते शब्द , कंठ में फँसते अटकते ..

देर रात तक किसी अनजाने बाउल गीत को सुनते लिखता है एक ऐसी कहानी जो कभी लिखी नहीं गई थी आजतक

(ऊपर अंग्रेज़ी में गिंज़बर्ग की कविता सनफ्लावर सूत्रा की पंक्तियाँ )

6 comments:

डॉ .अनुराग said...

कुछ चीजे अक्सर आपके लिखने में साथ जुड़ती है साकेंतिक रूप से .....इस बार गोल्डफिश है .मुझे साउथ एक्स का एक रेस्टोरेंट याद आ गया वैसे.....

PREETI BARTHWAL said...

पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ है पढकर कुछ अलग सा एहसास हुआ। लेकिन अच्छा लगा।

शायदा said...

ये अपने अंदर का संगीत खिसका हुआ हो तो सूप का ज़ायका अक्‍सर क्‍यों‍ बिगड़ जाता...?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

आप तो एक अलग दुनिया का अक्स खींच देती हैं इसी दुनिया के भीतर से..। खूबसूरत और दिलक़श।

Anonymous said...

aapke shabdo me kisi aur duniya ki sachchayee lagti hai, shabdo ka achchhi tarah bandha hai aapne, baharhal koobsoorat kahani.

निर्मल गुप्त said...

pratyaksha,
i like your poems in style and content.nirmal