कहते हैं दिन का देखा सपना सच होता है । जब से सुना यही दिनमान रहा । इतना देखा और जो देखा उसका इन्दराज़ दर्ज करते रहे । नीले सपने पीले सपने , सुरीले सपने सुहाने सब । चुपके चुपके हँसते , खुद पर खुद से । पेड़ देखते , पंछी देखते , पर्वत पर बादल का टुकड़ा देखते । बाबू की मीठी हँसी देखते । अपनी उँगलियाँ फैला कर उसमें जाने सारा संसार देखते । लम्बी रातों में गीले से गीत का संगीत , मद्धम रौशनी के झिलमिल में किसका कहा , जाने कहाँ पढ़ा , क्या था ? सात तारों का अँधेरा ? पूछते तुमसे किसी अंतरंग घेरे की रौशनी में नहाये ,फुसफुसाता हूँ मैं , व्हेन यू ड्रीम अ ड्रीम डज़ द ड्रीम ड्रीम यू ?
फताड़ू के नबारुण
1 month ago