बहुत सुन्दर प्रत्यक्षा जी.........
रोज मुकम्मल हो दिन ,रोज मिले चाय,चाय अगर हो गयी हो,एक कविता हो जाय।
लीजिये. हाज़िर एक पोस्ट और सारिका शुक्रिया ,भावों को समझने के लिये :-)
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नारदग्राम
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3 comments:
बहुत सुन्दर प्रत्यक्षा जी.........
रोज मुकम्मल हो दिन ,रोज मिले चाय,
चाय अगर हो गयी हो,एक कविता हो जाय।
लीजिये. हाज़िर एक पोस्ट और सारिका शुक्रिया ,भावों को समझने के लिये :-)
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