राई कूडर ने क्यूबा के उन संगीतकारों को , जो फिदेल की क्यूबा में गुमनामी के गर्त में खो गये थे, रिसरेक्ट किया है फिल्म् बूयेना विस्ता सोशल क्लब में .. कॉम्पे सेगुंडो, इब्राहिम फेरर, रूबेन गोंज़ालेज़, एलियाडे ओचोबा, ओमारा पोर्तुओन्दो .. लिस्ट लम्बी है और उनका संगीत अचंभित कर देने वाला ..
कहते हैं हवाना में संगीत मनोरंजन नहीं है , ये जीने का तरीका है
बूयेना विस्ता हवाना का वो प्रसिद्ध लोकप्रिय क्लब था जहाँ चालीस के दशक में दिग्गज संगीतकारों का जमघट लगता था । लगभग पचास वर्ष बाद क्लब बंद हुआ । विम वेंडर्स और राई कूडर ने उस गुज़रे ज़माने को इस फिल्म में उसी उल्लास से कैद किया है । पारंपरिक क्यूबन और लातिन अमरीकी संगीत का जादू हवाना की सड़कों और मकानों से होता घरों के भीतर से गुज़रता इन संगीतकारों की ज़बानी अपनी सहज कहानी कहता , संगीत की धूप खिली रंगत की खुशी से नहाता सराबोर करता है ।
घनी आबादी वाले हवाना के मरियानो इलाके में सिर्फ सदस्यों के लिये बना था ये सोशल क्लब । फिल्म की शुरुआत में राई कूडर और कॉम्पे सेगुंडो फिल्म के क्रू के साथ जब स्थानीय लोगों से क्लब का लोकेशन पूछते हैं तो किसी को मालूम नहीं निश्चित कहाँ था क्लब। ऐसे समय में जब अफ्रोक्यूबंस के खिलाफ नस्लीय भेदभाव संस्थागत था उस समय ऐसे क्लब किसी सामुदायिक गिल्ड की तर्ज़ पर या जिसे वहाँ कबिल्दो कहते थे , लोगों के एकसाथ मिल बैठने के अड्डे थे ।
रूबेन गोंज़ालेज़ जो क्लब में तीस और चालीस के दशक में पियानो बजाते थे , चालीस के दशक का वर्णन करते कहते हैं
"an era of real musical life in Cuba, where there was very little money to earn, but everyone played because they really wanted to".
ये वही समय था जब जैज़ से प्रभावित संगीत माम्बो , चरांगा और पचाँगा और चा चा जैसी नृत्य शैलियों का विकास हुआ । एक तरीके से ऐफ्रो-क्यूबन संगीत शैली जैसे रँबा और सोन का निरंतर विकास होता रहा । आर्सेनियो रॉड्रीगेज़ ने एक नये इंस्ट्रूमेंट की मदद से इस संगीत को तब्दील किया सोन मोंतुनो में , जिसे क्यूबन संगीत का आधार कहा जाता है और जिसका बहुत गहरा प्रभाव बीसवीं सदी की न सिर्फ लातिन अमरीकी बल्कि अमरीका के संगीत पर भी पड़ा । सोन क्यूबन लोकप्रिय संगीत का एक ज़ानर है जिसमें स्पैनिश गिटार और अफ्रीकी बांटू रिद्म और परकशन के तत्व हैं ।
खैर , राई कूडर ने इस अल्बम को मात्र छह दिन में रिकार्ड किया और इसमें चौदह ट्रैक्स थे , चैन चैन से लेकर आखिर में ला बायेमेसा और बाद में विम वेंडर्स के साथ मिलकर ड्क्यूमेंटरी बनाई जो कि खुद् उनके अनुसार
"It felt like it was a true character piece"
अच्छे संगीत और बच्चे सी सहजता और भोलेपन वाली खुशी के साथ इन संगीतकारों को गाते बजाते देखना चाहे वो अम्स्टरडम हो या न्यूयॉर्क , हर बार ऐसा ही लगता है जैसे अपने मुहल्ले के आत्मीय संसार में अपने में लीन वो संगीत रच रहे हैं और इस सिलसिले में अगर कुछ लोग वहाँ जुट कर आपके संगीत को सराह दें , बस इससे ज़्यादा और खुशी क्या चाहिये ।
संगीत का मीठा नशीला खुमार जो किसी भी सर्द दिन में हमारी छाती में धूप भर दे जैसे ये चैन चैन
12 comments:
सच में, मीठा, नशीला खुमार भर देते हैं, ये संगीत के क्षण।
चैन चैन....yes!!!!
सही कहा आपने कि संगीत का मीठा नशीला खुमार जो किसी भी सर्द दिन में हमारी छाती में धूप भर दे !! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (दूसरा भाग)
संगीत सुनने में ही नहीं पढ़ने में भी सुमधुर गूँज देता है। आभार
संगीत सुनने में ही नहीं पढ़ने में भी सुमधुर लगता है। आभार
निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
निसंदेह बेहतरीन संगीतमय प्रस्तुति.
मुझे तो हिन्दुस्तानी म्यूजिक पसंद है.
संगीत प्रश्नोत्तरी में दिलचस्पी हो तो इसे देखें.
http://rythmsoprano.blogspot.com/2011/01/blog-post_3129.html
स्पैनिश का छात्र होने के नाते ज्यादा मज़ा आया. शुक्रिया...:).
आपके ब्लॉग से क्यूबाई संगीत के अनछुए पहलू के बारे में जाना। समय मिलते पोस्ट के साथ दिए वीडियों को देखूंगी/सुनूंगी...
कविता
आपके ब्लॉग से क्यूबाई संगीत के अनछुए पहलू के बारे में जाना। समय मिलते पोस्ट के साथ दिए वीडियों को देखूंगी/सुनूंगी...
कविता
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