नदी बनती है , पहाड़ बनता है तुम बनते हो
प्यार बनता है
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तुम्हें चूमना खुद को चूमना होता है तुम्हें छूना खुद को , आईने में तुम देखते हो जिधर मैं भी वहीं देखती हूँ
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रात में तकिये के नीचे तुम्हारी आवाज़ सिरहाने
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कँधे से कँधे सटाये साथ बैठना सिर्फ और कुछ न बोलना
क्योंकि बोलती है चिड़िया
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हमारे बीच एक संसार हम देखते हैं उसे स्नेहिल
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तुम कहते हो
हाथी उड़ते हैं मैं हँसती हूँ पर विश्वास कर लेती हूँ
कछुये की पीठ पर तुमने लिख दिया है नाम देखती हूँ
मेरा
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सान्द्र उदासी में डूबे तुम तुममें डूबी मैं
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पानी के तरंग में
रखती अपनी उँगली
बीच ओ बीच देखती तुम देखते हो
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स्मृति सिर्फ बीती नहीं उसकी भी जो आगत है , स्मरण उन सब का गिनती हूँ तुम्हारे उँगलियों के पोरों पर , तुम्हारी उँगलियाँ खत्म होती हैं , मेरा स्मरण
तब भी चलता है
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फाख़्ता
कहते तुम हँसते हो
कितना दुलार
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रंगते हैं हम कागज़ पर धान के खेत
पीला सरसों
नीली नदी हरे पहाड़ और एक छोटा घर
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चिड़िया के चुगने को , चावल के दाने , देखती है टुकुर टुकुर गौरया
शाँत मन
मैं भी
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रात भर
बात झरती रही चाँदनी सफेद चादर पर
***
तुम तक
मेरी सब बात मुझ तक तुम्हारी
कहें हम बारी बारी
हमारी
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नींद में अकबक
ख्याल , तुम जो पास नहीं , सोउँगी तब जब होगा सब
पूरा संसार तुम्हारी बाँहों में
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प्रेम कुछ नहीं होता मुझे चूमते तुम कहते हो मैं कहती हूँ , हाँ फिर सोचती हूँ
तुम्हारे लिये फिक्र
और सोचती हूँ बहुत बहुत सारा
ऐसा जिसे
प्यार कहा नहीं जा सकता
(गुस्ताव क्लिम्ट की पेंटिंग चुँबन )
फताड़ू के नबारुण
1 week ago
25 comments:
सुंदर और गाढ़ी.
तुम कहते हो
हाथी उड़ते हैं मैं हँसती हूँ पर विश्वास कर लेती हूँ
कछुये की पीठ पर तुमने लिख दिया है नाम देखती हूँ
मेरा...waah kya soch hai maza aa gaya padh kar kisi abtract painting ki tarah tha sab kuch...bahut achcha laga...
bahut sunder, shabdon ka achchha prayog,
nahin hoti prem ki koi paribhasha
hota hai to sirf ahsas
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बेहतरीन शैली
सुन्दर अभिव्यक्ति
ऐसा "अ-प्यार " कितना प्यारा है ना!!!
Awesome........
वह क्या लिखी हैं आप..
सोउँगी तब जब होगा सब
पूरा संसार तुम्हारी बाँहों में
बहुत अच्छा :) :)
वाह! प्यार की रौशनी में ओस की बूंद पर रची लव पेंटिंग्स...
अलग सी शैली....अच्छी प्रस्तुति
सारी की सारी बेहतरीन, किसी एक को चूज़ करना मुश्किल होगा..
बस एक सवाल -
सान्द्र उदासी के मायने क्या होगे? Is सान्द्र = concentrated??
अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
प्रेम को आपने नई परिभाषा देने का जबरदस्त प्रयास किया है।
आपकी रचना चौंकाती है। न जाने क्यों मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में ब्लाग जगत आपकी और भी धुँआधार रचनाओं से परिचय प्राप्त करेगा.
सुन्दर ....
सोचती हूँ बहुत बहुत सारा
ऐसा जिसे
प्यार कहा नहीं जा सकता ...
फिर भी कितना प्यारा ...
कछुए की पीठ पर लिखा नाम ...शानदार बिम्ब ...
जय हो! सान्द्र प्यार की विरल अभिव्यक्ति!
bahut khub
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
anokha alag sa pyaar . badhaayi .
नये तरह का लेखन । सुर भी है, लय भी ।
प्रत्याक्षा, प्रेम की परिभाषा आप ने गढ़ दी। उफ़! जैसे मन की बात!
realy aise prem me dub jane ko ji kar rahahai ............too good
:)बहुत बहुत सारा सोचना …सुन्दर सुन्दर बात है ये
bahut sundar!
सुदामा के तंदुल सी मैं
छुपती रही यहाँ -वहां
तुम मिले
तुमने छुआ
मुझे मिला
प्रेम का ऐश्वर्य।
------------------आपकी इस खूबसूरत पोस्ट पर मै अपनी एक कविता लिख रही हूँ ..........,प्रेम की इतनी सांद्र प्रस्तुति ! गज़ब !
इस कविता की कई पंक्तियाँ अन्दर तक स्पर्श करती हैं, बहुत खूब !
pyar ki bahut hi gahree aur sunder abhivyakti
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