10/27/2006

अलसाते पल को कुछ और ज़रा पी लें

हर्षिल को खेल में ज्यादा रुचि है । कला से उसका दूर दूर का भी नाता नहीं । दूसरी ओर पाखी नृत्य ,संगीत और चित्रकारी में खूब रुचि रखती है । दोनों बच्चे बिलकुल विपरीत रुचि वाले । अचानक एक दिन पाखी ने भैया की शिकायत करते हुये कहा कि वो पढाई नहीं करता सिर्फ पढने के वक्त फोटोज़ बनाता रहता है । इसे हमने भाई बहन के बीच की लडाई का एक नमूना समझा । आखिर हर्षिल से ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी । एक सीधी रेखा तो वो खींच नहीं पाता । हर प्रोजेक्ट में आकर मिन्नते करता है मुझसे कि कोई ड्राईंग मैं बना दूँ ।

पर पाखी की बात सही थी । गणित की पुस्तक को एकदिन मैं उसे पढाने की नीयत से पलट रही थी कि पिछले पन्नों पर मुझे ये दिखा ।

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और ये

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हरेक चेहरे पर अलग भाव भंगिमा । बडा बरीक काम था । हर्षिल से इतनी तन्मयता की अपेक्षा मैंने नहीं की थी । पर मैं गलत साबित हुई ।

फिर पिछले दिनों उसे तीरंदाज़ी का शौक चर्राया । स्कूल के कोच ने कहा अच्छा करता है । हमने बहुत ना नुकुर के बाद उसे चंडीगढ भेजा जहाँ उसे चुना गया हरयाणा का प्रतिनिधित्व करने को राष्ट्रीय तीरंदाज़ी प्रतियोगिता में । जिस लडके में एकाग्रता की बेहद कमी थी वही पूरी एकाग्रता से तीरंदाज़ी कर रहा है । आगे वो जीते या न जीते , एक बात हमें सीखा गया कि किसी भी बच्चे में कोई क्षमता ऐसी होती है जिसे माता पिता भी कई बार नहीं पहचान पाते ।
बस यही उम्मीद रखती हूँ कि ऐसी ही एकाग्रता से वो अपने सभी काम करे ।

पिछले दिनों हमारे कार्यालय द्वारा बच्चों के लिये करियर काउंसेलिंग की एक कार्यशाला अयोजित की गई थी । वहाँ से लौट कर मैंने हर्षिल से पूछा ,

“ तुम्हारा लक्ष्य क्या है ?”
( अभी अभी एक सेशन सुन कर आये थे तो कुछ देर तक तो असर लाजिमी था )
उसने जवाब दिया ,

“ मैं एक अच्छा इंजीनियर बनना चाहता हूँ “

मैं ‘अच्छे ‘ पर खुश हुई । सिर्फ इंजीनीयर भी कह सकता था । मैंने पूछा ,

“ और ? “

” मैं एक सानंद इंसान (हैप्पी पर्सन ) बनना चाहता हूँ “


मुझे लगा कि लडका सही रास्ते जा रहा है ।




ऊन के गोले
गिरते हैं खाटों के नीचे
सलाईयाँ करती हैं गुपचुप
कोई बातें
पीते हैं धूप को जैसे
चाय की हो चुस्की
दिन को कोई कह दे
कुछ देर और ठहर ले
इस अलसाते पल को
कुछ और ज़रा पी लें
जिन्दगी के लम्हे
कुछ देर और जी लें

16 comments:

Anonymous said...

प्रत्यक्षा जीः पहले तो आपको जनम दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ - बाकी सकेच्स भी बढिया हैं।

Anonymous said...

बच्चा सही राह पर जा रहा है, मुबारक. साथ ही तिरंदाजी में मेडलो पर सही निशाना लगाए ऐसी कामना करता हूँ.
पर हर किसी को सिगरेट क्यों बनाया हैं बन्दे ने.
और हाँ जन्मदिवस की शुभकामनाएं.

Anonymous said...

(भूल सुधार)
पर हर किसी को सिगरेट पीता क्यों बनाया हैं बन्दे ने.

Pratik Pandey said...

अब चित्रकार तो अच्छा होना ही है, आख़िर आनुवांशिक गुण भी कोई चीज़ हैं। देखना यह है कि कविता करना कब शुरू करता है :-)

गिरिराज जोशी said...

प्रत्यक्षाजी, पहले पूत के पैर पालने में दिखते थे मगर लगता है आजकल गणित की किताब के पिछवाड़े दिख रहे है॰॰॰ :) :D :D :D

"मारो हीवड़ो कैव्हे ओ छोरो एक दिन ब्होत नाम करैलो"

मेरी शुभकामनाएँ!!!

राकेश खंडेलवाल said...

तारों भरे कटोरे से दो घूँट चांदनी पी लें
अपना जीवन है हम चाहे इसको जैसी जी लें
चित्रित करें अजंता, या फिर लक्ष्य मीन पर साधें
रहे प्रेरणा साथ, निमिष में ही हिमगिरि को फ़ांदें

अनूप शुक्ल said...

किसी भी बच्चे में कोई क्षमता ऐसी होती है जिसे माता पिता भी कई बार नहीं पहचान पाते ।
में बच्चे की जरूरत नहीं है और माता-पिता की जगह लोग पढ़ें.
मतलब किकिसी में कोई क्षमता ऐसी होती है जिसे लोग कई बार नहीं पहचान पाते ।
बाकी स्केच बढ़िया है. बच्चे ने जैसा देखा वैसा बनाया! हमारी शुभकामनायें कि बच्चे अपने लक्ष्य प्राप्त करें

Anonymous said...

एक एक चरित्र को बारीक पहचान दी है बच्चे ने। फिल्म लाईन में जाने चांस हैं।
हमारी शुभकामनाएं

Udan Tashtari said...

अब अगर बालक ब्लाग बनाता तो हम उसका भविष्य फल बताते, मगर अभी तो बस उज्जवल भविष्य के लिये ढ़ेरों शुभकामनायें और शुभाशिष दे रहे हैं.:)

और हां, स्केच के साथ साथ आपकी कविता भी बहुत अच्छी लगी.

बधाई.

Anonymous said...

जन्म दिन की बधाई।
बच्चो की क्षमता का सही आंकलन बेहद कठिन है। मेरा बेटा जो दस बरस की उमर तक पानी की लहरों के छू भर जाने से आसमान सिऱ पर उठा लेता था,एक दिन तैराकी में अपनी state का प्रतिनिधत्व करेगा,मैंने कभी सोचा भी न था। आज उसे पूल से दूूर रखना मुश्किल है।
दुआ है आपके बेटे के सब सपने पूरे हों और आप जल्द ही उसकी उपलब्धियों का शुभ समाचार हमें दें।

Manish Kumar said...

वाह ! अच्छे स्केच बनाए हैं । अपनी प्रतिभा का समुचित उपयोग करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ता रहे ऐसी आशा है ।

मसिजीवी said...

करती तो आप कविता और चित्रकारी भी बढिया हैं पर आपकी जिस कला के हम खासतौर पर कायल हैं (और जिससे थोड़ी बहुत ईर्ष्‍या भी रखते हैं) वह है - पेरेंटिंग। बधाई

bhuvnesh sharma said...

प्रत्यक्षाजी आपकी कविता के बारे में कहने के लिए शब्द ढूँढ़ रहा हूँ।
आपकी एक एक कविता बार-बार पढ़ने का मन करता है।
जन्म्दिन की भी शुभकामनायें

Anonymous said...

अरे वाह बच्चा तो तीरंदाज भी निकला.....शुभकामनायें उसके कंप्टीसन के लिये, बच्चों की क्षमता के लिये सही कहा

Pratyaksha said...

आप लोगों की शुभकामनाओ का बहुत आभार ।
शुक्रिया शुएब
संजय बच्चा जो देखेगा वही बनायेगा :-)
प्रतीक , वो कविता न करे वही अच्छा
गिरि आपकी मुँह मेँ घी शक्कर
राकेशजी , बस प्रेरणा रहे साथ । बहुत सुंदर पंक्तियाँ
अनूप जी , सही कहा बिलकुल
जगदीश जी , देखें आगे आगे होता है क्या
शुक्रिया समीर जी , कविता की तरीफ के लिये भी :-)
मनीष और तरुण , बस ऐसा ही हो
मसिजीवि, आपने तो मुझे खुश कर दिया , सच
भुवनेश , कविता आपको पसंद आती है , मुझे खुशी हुई

Pratyaksha said...

रत्ना जी , बेटे की उपलब्धियाँ बहुत खुशी देती हैं , है न ।