12/26/2005

पुराना साल ,दुबका खरगोश, बीता समय

नूतन वर्ष
द्वार खटखटाये
आ जायें हम ?



पुराना साल
दुबका खरगोश
बीता समय



सांता की टोपी
मिसलेटो का पेड
तोहफे सारे



धूम धडाका
बारह बजे क्या ?
इंतज़ार है


रेंनडियर
घुँघरू बजाता है
कैरोल धुन


नाचते सब
खुशी मनाते रहे
क्यों न रोज़


पुराने पत्ते
सा , गिर गया साल
कोंपल फूटी


गिनते रहे
उँगलियों पे हम
साल हिसाब


सूरज बोला
उठ जाओ भी अब
नये साल में


कर लें प्रण
फिर नये पुराने
इस बार भी


इंतज़ार में
लायेगा साल क्या
थोडी सी खुशी


पिछला साल
रुठा , इतने बुरे
हम थे नहीं


गिले शिकवे
चादर के अंदर
बाँधी गठरी


फूल खिलायें
तितलियाँ रंगीन
नूतन वर्ष

5 comments:

अनूप शुक्ल said...

हायकू हैं ये!
वो भी नये साल के
बढ़िया ही हैं।

टाइटिल भी
हायकू में दे दिया
और बढ़िया।

मसिजीवी said...

:)
हायकू और
उत्तर में हायकू
हाय ये क्‍यों

राकेश खंडेलवाल said...

फिर टपका
एक और हायकू
यहां आकर

राकेश खंडेलवाल said...

साल पुराना
याकि फिर नया हो
वही कहानी

Pratyaksha said...

हायकू बोले
कभी हम भी कहें
बात गहरी