दीपक कहे
जगमगाये जग
मेरे ही संग
कैसी लगन
जलता रहा दीप
अँधेरा डरा
तेरा चेहरा
फुलझडी सी हँसी
रौशन जहाँ
घर आंगन
जुगनू से चमके
आज दीवाली
मुट्ठी भर
बिखेर दिये तारे
धरती पर
नैन चमके
दीये की रौशनी से
यही है खुशी
आज बिराजे
श्री लक्ष्मी औ गणेश
घर घर में
रंगोली सजी
जोत कलश जला
दीवाली मनी
फताड़ू के नबारुण
1 month ago
2 comments:
बधाई!हम इसी लिये कह रहे थे लिखने को ताकि हम भी कमेंट के बहाने हायकू गंगा में डुबकी लगा सकें। हर्र-फिटकरी के बिना रंग चोखा कर सकें। तो मुलाहिज़ा फरमाया जाये हमारे भी कमेंटिया हायकू पर:-
दीवाली आई
बड़ी मंहगाई है
कैसे मनायें?
ये तो है खैर
पर किया क्या जाये
मनाना तो है।
मंहगाई है
सही कह रहे हो
बलिहारी है।
पटाखा बोला
अरी ओ फुलझड़ी
जरा मुस्का दो।
ये!छेड़ते हो
बम भैया से कहूं?
फट जायेंगे!
इठलाती हो
नखरे दिखाती हो
नहीं बोलते।
अरे मजा़क
का बुरा मत मानो
पटाखे प्यारे।
तुम कहो तो
मुस्काती ही रहूं मैं
सुबह शाम।
चलो भइया
अब चाय पिलाओ
पत्ती कड़क।
चीनी मंहगी
दीवाला निकला है
बे-चीनी लाओ।
अंधेरा है ये
ऐसे नहीं जायेगा
खिलखिलाओ।
हंसी के दीप-
से दीप जलाकर
मार भगाओ।
खुशी मनाओ
हंसो-खिलखिलाओ
मौज मनाओ।
दीवाली जाये
तो भी खुश हो जाओ
ईद है भाई।
गले लगाओ
फिर खिलखिलाओ
सिवईं खाओ।
अरे कितना
लिखोगे कमेंट में?
लिहाज करो।
बहुत हुआ
समेटता हूं इसे
खुश हो जाओ।
मुबारक हो
दीपावली,ईद भी
मुबारक हो।
ये तो हम समझ गये थे कि आप हमारे हायकू को स्प्रिंगबोर्ड बना कर अपने हायकू की लंबी कूद लगाने वाले थे.
कुछ हायकू और
कैसी दीवाली ?
ईद कैसे मनती
अँधेरी रात ?
कुछ भी कहो
हम तो मनायेंगे
दीवाली ईद
ऐसी ही हँसी
खिलती रहे सदा
पर्व सा दिन
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