7/18/2011

दोस्त

धीमे कोई गीत , ज़रा एक सुर, सूनी गलियों में तिरता बुदबुदाता है , दोस्त ?
नशे में बहकती किसी लय पर थिरकती एक टूटी सी हिचकी, कोई आधे से साँस की छूटी टूटी सी भूली एक तान, गिरे देह की दाह में कोई एक ताप गीले से स्नेह का अँधेरे में सहलाता , खिड़कियों से कूदता दबे पाँव फुसफुसाता है , देखा है तुमने हवा के पाँव? नीम नशे में दुबकती ,सिमटती , उँगलियों के नोक पर आखिरी ज़र्रे की जरा सी आँच तक काँपती  
भोली सी ज़िद आँख मींचे बोलती है , हम हैं हम ही तो हैं , माथे पर जैसे गर्म एक चुँबन, बच्चे की छाती की दौड़ती कोई धड़कन , मीठा मीठा कितना कितना मीठा , जाने कहाँ से आता शिराओं में बजता , न दिखता न होता पर सच फिर भी होता रात के अँधेरे में चँपा के पीले फूल सा गमकता , दोस्त ?

( oil and acrylic painting )

14 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव.

संजय भास्‍कर said...

......श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनायें !
जय भोलेनाथ

डॉ .अनुराग said...

पॉज़ कर दो इस लम्हे को कोई !

सागर said...

एकांत अनुभूति में निकली बिसरी, पगी, सुन्दर कविता.

Rahul Singh said...

चटख और महकीला.

प्रवीण पाण्डेय said...

हवा के पाँव, हर ओर।

राजेंद्र अवस्थी said...

इतनी गहरी समीक्षा आपकी रचना के माध्यम से दोस्त के बारे में पहली बार पढ़ने को मिली,
पूरी तरह न्याय किया है आपने दोस्त के साथ मेरा मतलब रचना के साथ...बहुत बढ़िया..

स्वप्नदर्शी said...

badhiyaa

स्वप्नदर्शी said...

nice

Rangnath Singh said...

ऐसा की आपके दोस्तों से रश्क हो आए :-)

neera said...

एक सिप और पूरे पेग की तलब!

RAJWANT RAJ said...

beintha khoobsoorti se is rishte pr apni klm chlai hai aapne .mere samne srijan path ka kvita ank hai our usme ''jwwvan me pyar jyada? nhi hai ''kvita ne mujhe badhy kr diya ki aapko khoj kr pdhu .
aapka blog snsar adbhut hai .
aagt lekhan ke liye bhut bhut shubhkamnayen .

vijay kumar sappatti said...

मैं क्या कहूँ

आपके ब्लॉग को इतनी देर से पढ़ रहा हूँ और शब्दों के जादू में बह रहा हूँ. ये छोटी सी रचना , कुछ कहनिया , अर्म्स्तोंग का गीत .. क्या बात है जी , मेरा तो मन ही नहीं भरा .. अब आते ही रहूँगा आपके ब्लॉग पर और सच में कुछ शब्दों से कुछ नयी नज्मो को जन्म भी दूंगा .. आपका दिल से धन्यवाद.

बधाई !!

आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

roses said...

good paint...
rosesandgifts.com