1/15/2009

ज़ायके का दिन

रेस्तरां में एक दिन ....









(चार पाँच महीने पहले खींची गई तस्वीरें )

8 comments:

  1. भई वाह...कई तस्वीरें बोलती हैं...रेस्तरां में यूं भी कहानी बुनी जा सकती है...

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  2. कैमरा - कैमरा--काम की तस्वीरें धुंधली कर ली --:)

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  3. इन्हे देख भूख लग आई

    आपके शब्दों की :-)

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  4. हम तो धुंधलके में कुछ ढूंढ रहे थे......कौन सा है...साउथ एक्स का लगता है !

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  5. तस्वीरें बहु अच्छी हैं, श्रीमती जी देर से खाने पर बुला रही हैं, अब जाना ही होगा। विदा!

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  6. प्रत्यक्षा आपके जाल घर पर पधारे सभी पाठकोँ को मकर सँक्रात की बधाई
    और तस्वीरेँ बेहद आकर्षक हैँ

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  7. शब्द चित्र खींचने में पारंगत प्रत्यक्षा अब चित्रों से खेल रही हैं? ये भी सुंदर...

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  8. Anonymous4:25 pm

    तस्वीर सुन्दर लगा दी।

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