प्रत्यक्षा

2/25/2020

व्यतीत

›
नीता , जो व्यतीत है , दोहराई जा रही है रात और दिन में । श्यामल उसके लिये एक सीमा है जिसके बाद सब गैर और अनैतिक है । दक्षिणेश्वर , बेलूर ,...
1 comment:
9/25/2019

जॉन लेनन का चश्मा

›
चूंकि हमारे घर कोई पूजा , कथा, रीति रिवाज की परंपरा नहीं रही, हम कई चीज़ों से अनभिज्ञ रहे , गनीमत सिर्फ एक पूजा ठीक से होती, चित्रगुप्...
9/12/2019

›
1 comment:

ईनारदाना

›
मुझे एक घर चाहिये था . हवा और रौशनी से भरा . पीले नारंगी फिरोज़ी और सब्ज़ रंगों से सजा . मैंने तब पॉल गोगाँ नहीं जाना था , मू...
3 comments:
›
Home
View web version

मैं कौन ?

My photo
Pratyaksha
garden of five senses ..
View my complete profile
Powered by Blogger.