बचपन में खूब पुरस्कार बटोरे ,इतना कि जीवन का कोटा ही पूरा हो गया । पिछले कई बरसों से कुछ नहीं । फिर तरकश सम्मान घोषित हुआ । बधाई की चिट्ठी । दस चिट्ठों में नाम । हमने सीरीयसली सोचा । स्त्री पुरुष क्लासिफिकेशन पर कुछ रचना जैसा विचार था । पुरस्कारों की दुनिया में अपने को मिसफिट पाने होने का ख्याल था । ये बड़े बड़ॆ विचार थे , छोटे तो खैर हम सोचते नहीं । फिर फुरसतियाजी ने सेफोलॉजी करते हुये प्री पोल रिज़ल्ट घोषित कर दिया , हमें फेल डिक्लेयर कर दिया । जमानत ज़ब्त हो ऐसी नौबत आये उसके पहले तरकश टीम को अनुरोध किया नाम हटा देने को ।डिगनिफाईड एक्ज़िट ! यू नो । अंतिम चरण है , ऐसा संजय जी ने बताया । आज रिज़ल्ट घोषित हुआ । विजेताओं को बधाई ! किन्हीं ने टिप्पणी में पूछा है कि मुझे कितने वोट मिले । संजय जी का मेल आया । वोट बताया और कहा कि आप चाहें तो सार्वजनिक कर दें ।
अब हमारी शर्मिन्दगी का आलम देखिये । भला फिसड्डी स्टूडेंट से उसके नम्बर पूछे जाते हैं ? कहाँ हम अपना चेहरा और ब्लॉग छुपायें ? पहले सोचा दो तीन दिन गड़क हो जाते हैं । वैसे भी ब्लॉग दुनिया इंस्टैंट दुनिया है । कल किसे याद रहेगा। एस एम एस जैसा कुछ उस दूसरे चलते बहस से , वही मंगलेश डबराल वाला बहस , जैसा कुछ लाईन पिक अप किया था जस्टीफाई करने को। फिर अपने ही शर्म में पानी पानी हों , (पानी संकट है ही , हरयाणा क्या भारत भी नहीं पूरी दुनिया में) , इसके पहले नाक वाक बन्द कर के डुबकी मारते हैं जैसा कुछ सोचा । फिर किसी शुभचिंतक ने चेताया , आर टी आई का ज़माना है । हम भड़के , ये आर टी आई वगैरह किसने ईज़ाद कर दिया ? क्यों बतायें भई । आप पूछें और हम बता दें ? अच्छी चीज़ हो तो बिना पूछे बतायें ..दस बार बतायें बार बार बतायें .. अपने दफ्तर के सुहाने मौसम का हाल बतायें ? कि घर के रंगीन नज़ारे दिखायें ? लम्बी गाड़ी में काला चश्मा लगाये फोटो खिंचायें और अपने नये खरीदे कैमरे की चकचक फोटो दिखायें ?
ये सब तो हम बिना पूछे बतायें । किस आसनसोल के लोकल अखबार में कैंवी पेज के कैंवी लाईन पर हमारा ज़िक्र है , किस पत्रिका ,अरे वही साहित्यिक फाहित्यिक झरिया झारखंड से छपने वाली, में कहानी छपी है , कितने फैंस ने मेल भेजे कितने आलोचकों के एस एम एस को सेव डीलीट किया ? ये सब पूछिये तो हम बतायें । लेकिन ये सब तो आप पूछेंगे नहीं । आप पूछेंगे कितने वोट मिले ? जाईये नहीं बतायेंगे । ये भी नहीं बतायेंगे कि सिर्फ चौंतीस वोट मिले और हमें फिसड्डी फेलियर घोषित किया गया । ऐसे ऐसे ऐंवें पुरस्कारों का हम बाईकॉट करते हैं । विरोध करते हैं । हम बडे पुरस्कारों के लाईन में हैं .. बुकर , नोबेल , ज्ञानपीठ तक चलेगा । मिल जायेगा तो दौड़ेगा ।
हम भी लाइन में खड़े हैं लेकिन आज तक किसी ने शामिल तक नहीं किया
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी अपना गणित सदा से बढ़िया रहा है । मुझे तो पूछने की भी आवश्यकता नहीं पड़ी । बाकी नौ स्त्रियों के वोट को जोड़ो 460 और इस जोड़ को कुल ले वोटों में से घटा दो 493-460= 33 . आ गए आपके वोट । बस एक वोट का कुछ घोटाला है । वह समझ में नहीं आया । सिफॉलोजिस्ट भी हम बुरे नहीं निकले । कहा था हिन्द युग्म जीतेगा और वही हुआ ।
ReplyDeleteपरन्तु हमारे लिए तो जिसका लिखा पसन्द हो वही विजयी ! सो आप विजयी हैं ।
घुघूती बासूती
हम बडे पुरस्कारों के लाईन में हैं .. बुकर , नोबेल , ज्ञानपीठ..
ReplyDeleteहम वही सोच रहे थे कि आपको कहाँ देखा है, वो जी लाईन में आपके पीछे 4-5 बंदे छोड़कर खडा़ है वो मैं ही हूँ। आजकल तो आप बाँटने में लगी है, दाता बनी हुई हैं।
बुकर , नोबेल , ज्ञानपीठ..
ReplyDeleteआपकी भरी झोली में ये भी समा जायें ऐसी कामना है.
नॉक नॉक, कोई लाईन को पीछे से शुरु करवाएगा ताकि अपन को पहला नंबर मिल सके ;)
ReplyDeleteआपके जज्वे की कदर करते हैं हम. mired mirage सही कह रहे हैं जरूरी नहीं की जीतने वाला सबकी नजर में जीता हो...और हारने वाला सबकी नजर में हारा हो....और यह भी कोई हार जीत है...बस श्गुल मेला है..
ReplyDeleteआप सच में जीती हैं क्योकि आप के पास हास्य की पूंजी है..
बधाई
प्रत्यक्षा,बहुत-बहुत बधाई कहानी संग्रह के लिए,ऐसे ही लिकती रहो.
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी, अपके बुकर या नोबेल तो नहीं, बल्कि ज्ञानपीठ के लिये तो हम कामना कर ही सकते हैं.
ReplyDeleteफिलहाल तो भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा आपके कहानी संग्रह जंगल का जादू तिल के होने वाले लोकार्पण के लिये अग्रिम बधाई स्वीकार करें.
कुछ पुरस्कारों का न मिलना ज्यादा बड़ा सम्मान होता है .
ReplyDeleteप्रत्यक्षा , मतदान कराने वाले और परिणाम घोषित करने वालों से मैंने आपको मिले मत पूछे थे। आपके लिखे का कायल पाठक होने के नाते।टिप्पणी करने वाला 'किन्हीं' मैं हूँ। रही बात पुरस्कारों की ,जिनका आपने उल्लेख किया है,वे आपको मिलें ।मिल जाने के बाद अगले वर्ष आपका वोट हो जाएगा - तब न्याय कीजिएगा।
ReplyDeleteदेखिये जी आपको तो घुघुती जी ने विजयी बना दिया. हमं कोई नहीं बनाता..बिहार शिफ्ट हो गये तब भी नहीं.
ReplyDeleteचलिये तो पहिले आप ले लीजिये जी इ सब ..फिर हम भी हैं लाइन में...तनि ध्यान रही....
काहानी संग्रह की बधाई... हम पहुंच रहे हैं किसी दिन अपनी कॉपी लेने ..तैयार रखियेगा..विद ऑटोग्राफ...
bacha hua ek vote hamare blog ko mila tha naam hataney se pehlae . ab ghughutee jee kii maths sahii ho jayegee
ReplyDeleteaur pratyaksha aap ko gyaan peeth jarur milaga pustak vimochan kee badhaayee
हमारी बधाई स्वीकारे .बहुत् अच्छा इन्जार आगे भी है.
ReplyDelete"हमें फिसड्डी फेलियर घोषित किया गया...हम बडे पुरस्कारों के लाईन में हैं .. बुकर , नोबेल , ज्ञानपीठ तक चलेगा ..."
ReplyDeleteइधर अपुन भी बुकर-नोबेल-ज्ञानपीठ की हीच लाइन में हैं :)
आज ही पढ़ा कि आपकी कथा संग्रह का विमोचन हुआ है. ढेरों बधाईयाँ.
कथा संग्रह पर बधाई ज्ञानपीठ के दिए सम्मान पर भी - two to go - मनीष .
ReplyDeleteशाम में ही यहां से आगे बढ़ गया था अभी फिर लौटा, आपको बधाई देने कहानी संग्रह के लिए, स्वीकार करें।
ReplyDeleteइनाम के लिये कह ही चुके थे कि वोट दे दिये हैं लेकिन जीत न होगी। हमारे विश्वास की रक्षा हुई। हम इससे खुश हैं। किताब छप कर लोकार्पित हो रही है इसकी बधाई। वहीं आलोक पुराणिक की दो -तीन किताबें भी लोकार्पित होंगी। दोनों ब्लागर साथी लोकार्पित करायें किताबें और मुस्कराते हुये फोटू खिंचायें। लेकिन ये बीमारी वाली खबर कैसी है क्या बीमार हो गयीं खुशी में? या गुस्से में? बहुत गुस्सा किया पिछली दो पोस्ट में। ये अच्छी बात नहीं है जी। :)
ReplyDeleteबाप रे बाप ! इतने गुस्से भरे लेख के बाद इस हल्के फ़ुल्के अच्छे से लेख को पढ कर बहुत अच्छा लगा । अब ये न कहना कि नारियों से गुस्सा करने का अधिकार छीनने की वकालत कर रहा हूँ :-)।
ReplyDeleteजहां तक तरकश पुरुस्कार का सवाल है , उन ३४ में से एक वोट हमारा दिखा हो तो बताना । ज़रूर से पहुँच जाये , इसलिये दो बार भेजा था ।
ज्ञानपीठ से पुस्तक के प्रकाशन के लिये बधाई । अब ये कहें कि हम ने तो बहुत पहले ही कहा था कि ’तुम ये गुल खिलाने वाले हो’ , तो अपनी ही तारीफ़ हो जायेगी जब कि ये समय तो तुम्हारी तारीफ़ का है :-)। ३ फ़रवरी के कार्यक्रम से चित्र ज़रूर भेजना ।
बस ऐसे ही अच्छा अच्छा लिखती रहो और हां कभी कभी ’सिस्टम’ को ’क्लीन’ करने के लिये गुस्सा भी वाज़िब है ।
प्रत्यक्षा जी, कहानियों की पुस्तक विमोचन पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें. हमें एक कॉपी कैसे मिलेगी !! इस पर ज़रूर विचार करिएगा :)
ReplyDeleteजंगल का जादू तिल तुम्हारी पुस्तक के लोकार्पण पर बहुत बहुत बधाई प्रत्यक्षा और स्नेह सहित आशीष -
ReplyDelete- ईश्वर आपके इन सारे पुरस्कारों से नवाजे ये कामना है -
- बढिया लिखती तो हो ही ...और भी उन्नति करना
- लावण्या
Pratyaksha, kahani sangrha ke prakashan ke liye bahut bahut badhai, aap aise hi likhti rahi yehi kaamna hai.
ReplyDeleteप्रत्यक्षा आपको पुस्तक प्रकाशन की बधाई। बाकी सब बेमानी है।
ReplyDeleteअरे, क्या आप भी....पर क्यों? सूर्य को दिया दिखाने की धृष्टता कौन कर सकता है? क्या सचमुच नहीं मिलने से दुखी हैं?
ReplyDeleteजानता हूं कि गलत सोच रहा हूं. मेरी शुभकामनाएं अग्रिम लीजिए उन पुरस्कारों के लिए (जिनकी आपने सूची दी है). पुस्तक विमोचन के लिए भी शुभकामनाएं.
सीजफायर तो हो गया ना? मलाई-मक्खन...
ReplyDeleteआप सबों के स्नेह पर आभार कहूँ ये हिमाकत नहीं करूँगी । जब ये पोस्ट लिखा था तब सोचा नहीं था कि सूरजप्रकाशजी पुस्तक विमोचन वाली पोस्ट लिख देंगे । वो दुनिया अलग है जैसा कुछ सोचकर उसे प्रायवेट ही रखा था । अब लग रहा है गलत सोचा था । लेकिन इतनी शुभकामनायें थोड़ा दिमाग खराब करती हैं ...खुशी तो देती ही हैं :-)
ReplyDeleteऔर जो लोग लाईन में लगे हैं ... सब मेरे आगे हैं .. ज़रा जल्दी कदम बढ़ाईये ..लाईन आगे सरकाईये..
अरे यह ज्ञानपीठ,बुकर,नोबेल की लाईन तो लम्बी ही होती जा रही है !!चलो एक अलग लाइन बनाएं एक अलग पुरस्कार के लिये..!!!जो हमीं से शुरू हो और हमीं पर खत्म .
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteऔर हाँ मिठाई कब खिला रही है।
बाप रे बाप लोग तो वाकई उत्साही है ब्लोग्स को लेकर,अब लगता है आलस छोड़ना होगा.पर आपका गुस्सा सोच मे दल रहा है मोहतरमा?
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