कहते हैं दिन का देखा सपना सच होता है । जब से सुना यही दिनमान रहा । इतना देखा और जो देखा उसका इन्दराज़ दर्ज करते रहे । नीले सपने पीले सपने , सुरीले सपने सुहाने सब । चुपके चुपके हँसते , खुद पर खुद से । पेड़ देखते , पंछी देखते , पर्वत पर बादल का टुकड़ा देखते । बाबू की मीठी हँसी देखते । अपनी उँगलियाँ फैला कर उसमें जाने सारा संसार देखते । लम्बी रातों में गीले से गीत का संगीत , मद्धम रौशनी के झिलमिल में किसका कहा , जाने कहाँ पढ़ा , क्या था ? सात तारों का अँधेरा ? पूछते तुमसे किसी अंतरंग घेरे की रौशनी में नहाये ,फुसफुसाता हूँ मैं , व्हेन यू ड्रीम अ ड्रीम डज़ द ड्रीम ड्रीम यू ?
आपकी प्रस्तुति ने मन मोह लिया, बहुत ही कर्णप्रिय।
ReplyDeleteऐसे ही तो सपने होते हैं. सुन्दर आलेख और आर्मस्ट्रोंग की धुन
ReplyDeleteजबरन न खोल देना कभी आंख
ReplyDeleteख़्वाबों की रूह दुख जायेगी
धुन भली लगी … :)
"लाइक" है जी..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteSuperb blog and really great article here.
ReplyDeleteReally nice.
ReplyDeleteLouis's trumpet and voice has always been very soulfull.
Dooriyon say fark padhta nahi hai
ReplyDeleteBaatain to dilon ki nazdikiyon say hoti hai
Dost to kuch khaas aap jaisay hotay hain
Warna mulaqat tu najaney kitnon say hoti hai
namaskaar. aapkei bhavo ki abhivyakti nei gadgad kar diya. Aabhaar.
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