10/12/2010

नीम -बिस्मिल कई होंगे


असफुद्दौला तुम्हारे जूते की नोक पर किसका तस्मा फँसा है ? तस्मा ?

असफुद्दौला नीचे देखते हैं , वहाँ कुछ भी तो नहीं है, न तस्मा न जूता न पाँव । फिर ठठाकर हँसते हैं , अच्छा तस्मई और तासीर

बेग़ैरत बेवफा बे नियाज़

पीछे मेंहदी हसन गुनगुनाते हैं ,नमक घुली तासीर

नावक -अंदाज़ जिधर दीदा –ए -जानाँ होंगे
नीम -बिस्मिल कई होंगे कई बे -जाँ होंगे

आवाज़ की नमक घुल जाती है , त्वचा की ?

आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे
तीरे नज़र देखेंगे , ज़ख्मे जिगर देखेंगे

तस्मे का एक रेशा फँसा है , एक केसर का । जीभ की नोक बार बार वहीं लौटती है कमबख्त

कहते हैं ये वही समय है जब धूप छिटकती है बदन पर , और स्याह सदा मन पर

असफुद्दौला धीमे बुदबुदाते हैं परिन्दा फ़ाख्ता , बदजात
पहाड़ा रटते हैं , हिज्जे ..आलिफ बे ते

शाम के समय ऐसे बदसगुन न उचारो .. धानी चूड़ियों की किरचें समेटती औरत उसाँस भरती है ।
कहती है हम तो सदा से ऐसे ही थे , ज़रा मक्कार ज़रा भोले , गर्मी के दिन में पानी के छपाके
सुरमई तसमई तासीर , ठंडी सर्द तासीर जैसे ठंडी आह के रसीले लजीले अफसाने

औरत झुकती सचमुच शरमाती है , नीम बिस्मिल कई होंगे ....


(बी प्रभा की पेंटिंग)

7 comments:

  1. नज़्म !! कुछ नहीं सूझा... जाने दिया ... पास

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  2. गुज़रा नज़र के सामने हर लफ्ज़ तुम्हारा,
    न समझ में आये तो, तेरा दिल समझ में आ गया।

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  3. हाय!!! डूब गए है ...अब जरा देर से निकलेगे

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  4. missed the plot here! :-(...must be my grey cells....

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  5. Anonymous11:39 pm

    कौन गाव,देश काल..दुनिया है ये.......?
    किस अन्जानी,अलहदा,गुम्शुदा जगह कि बाशिन्दि हो....??
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    लजीले अफ़्सानो का रन्ग कहा से ले आई ???

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  6. Anonymous1:56 am

    Sorry for my bad english. Thank you so much for your good post. Your post helped me in my college assignment, If you can provide me more details please email me.

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