पीछे से कोई अपनी उँगलियों से गर्दन सहलाता है । ठीक बाल के नीचे का हिस्सा । एहसास के रोंये हवा में लहराते झूमते हैं । फिर ऐसी झूम नीन्द आती है कि बस ।
आजकल उसने पाया है कि हर रात सपने आते हैं । जब से उससे मिली है तबसे । उससे मिलना भी क्या मिलना था । किसी बिज़ी ट्राफिक सिग्नल पर अगल बगल दो गाड़ियों के चालक , शीशे के आरपार एक दूसरे को पलभर नाप लें । काले चश्मे और सॉल्ट पेपर दाढ़ी में अटकी आँख एक बार फिर देख ले । उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था । क्षण भर को अपना चेहरा मुस्कान में खिंचता सर्द होता है इस भावहीनता पर । रात वॉशबेसिन पर दिनभर की गर्द धोते शीशे में नज़र जाती है । उसकी आँखों से देखती हैं होंठों की बुनावट जब मुस्कान इतनी फिर इतनी फिर इतनी होती है । क्या दिखा होगा कि उसने कुछ नहीं देखा ..कुछ भी नहीं देखा ।
उसने कुछ अस्फुट मंत्र बुदबुदाये थे । अब मैं तुम्हारे सपने में मिलूँगी । उन नीली कुहासे ढँक़ी पहाड़ियों की तराई में , नीले हाथियों के झुंड के पीछे किसी पत्तों भरी टहनी से ज़मीन बुहारते तुम्हारे पदचिन्ह खोज लूँगी ।
गाड़ी के शीशे के पार गीयर न्यूट्रल करते बेपरवाही से मुड़ा था । उसका साफ शफ्फाक चेहरा और पीछे समेटे सारे बाल में खिलता उगा चेहरा अचानक एक मुस्कुराहट से भीग गया था । जबतक उसकी मुस्कान को मैं छूता पकड़ता गाड़ी आगे बढ़ गई थी । मेरे बाँह पर के रोंये अचानक खड़े हो गये थे । स्टीरियो पर लियोनार्दो कोहेन ‘ डांस मी टू द एन्ड ऑफ लव ‘ , गा रहा था ।
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सपना हर रोज आता है
ReplyDeleteऐसे मिलने में भी
अजीब तरीके के होते हैं सपने न जाने किस किस बात को गाँठ बाँध लेते हैं और आते रहते हैं शायद उन तक अभी दिमाग नही पहुँच पाया है
अभी जल्दी है ‘ डांस मी टू द एन्ड ऑफ लव ‘ फ़िर इत्मीनान से सुनना है शेयर करने के लिए शुक्रिया
प्रत्यक्षा जी ,
ReplyDeleteमै आप की इस अद्वितीय लेखनी का कायल हो गया हूँ जब से आप की रचना को पढ़ा है बस मन करता की आप की सब रचनाओ को आज ही पढ़ डालू . आप की रचनाये पढ़ कर जे . कृष्ण मूर्ती की याद आती है , एक जीवंत अभिव्यक्ति मन को अन्दर तक छू जाती है . अभी तक मैंने जितने ब्लॉग पढ़े है उनमे वो बात नही जो आप के ब्लॉग और लेखनी में है . आप की रचनाये पढ़ कर मन जैसे सांत हो जाता है . मै बहुत लिखना चाहता हूँ आपके ब्लॉग की अद्वितीयता के बारे में पर शब्द ही कम पड़ जा रहे है . मैंने आपके ब्लॉग का उरल अपने ब्लॉग पर दिया है जिससे मुझे आपके ब्लॉग पर आने जाने में सुविधा होगी.
धन्यवाद .
बहुत बढिया. आप्ने अप्नी एक अच्छी शैली बना ली है. बधाई.
ReplyDeleteसमझ नही आ रहा क्या कहूँ सब कुछ इन्द्रधनुषी सा दिखता है...
ReplyDeleteआपका ब्लाग एक ऐसा ब्लाग है जिसका एक भी पोस्ट मैं miss नहीं करती। अद्वितीय लेखन शैली। काश, कभी आप जैसा भी लिख पाऊँ...
ReplyDeleteमंत्रमुग्ध कर दिया।
ReplyDeletejhuumney pe majbuur..aaj to party hai??
ReplyDeleteek finance executive itna achcha likh raha hai ... badhai
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे कितने रंग आँखों के सामने से गुजरे ,मुट्ठी में भरना चाहा ओर चिडाते हुए निकल गये ...आहिस्ता आहिस्ता आँखों के सामने से....कुछ है जो अब भी हथेली में रह गया है
ReplyDeletePratyaksha ji,
ReplyDeletehar bar apke blog par sabdon kee nayee akritiyan milkar satrange indradhanush banatee dikhai padtee hain.
Hemant Kumar