4/03/2008

सपना सपना सपना

कछुये का खोल में दुबक जाना ही सबकुछ है ? बच्चा पूछता है । या फिर गीली मिट्टी में जो चेरा रेंगता है और पीछे चिपचिपा लसेदार चमकीली रेखा खींचता है , वो रेखा कहाँ जाती है ? बोतल में बन्द जुगनू की रौशनी का बैटरी कब तक चलेगा ? धूप की जो गर्मी मेरे चेहरे को अभी छूती है वो कब चली थी , सूरज से ? तब जब मैं नहीं था ? ये दुनिया भी नहीं थी ? तब क्या था ? सपना था ? मैं सो जाता हूँ तब दुनिया कहाँ चली जाती है ? जहाँ भी जाती है फिर कितने बड़े पहिये होंगे जिनपर सवार फिर फट से वापस भी आ जाती होगी ? नहीं? अभी आँख बन्द करूँ तो गायब । फिर चालाकी करूँ ? जब दुनिया सोचे कि अभी तो सोया है , फुरसत है तभी पाजी बन तुरत अहा तुरत आँख खोल दूँ ? तब इसका मतलब दुनिया के आने जाने का स्विच मेरे पास । उबासी लेता बच्चा सोचता है। अब नींद आती है लेकिन मिनट भर में खोल दूँगा आँखें ..यही सोचता सोचता उतर जाता है कंबल के गर्म खुरदुरे अँधेरे में ।

कछुआ अपनी गर्दन लम्बी करता है एकबार दायें और एकबार बायें देखता है फिर मूड़ी गोत कर सामने चलने लगता है। खरगोश अभी तक पेड़ के नीचे कच्ची नींद में बेहोश ढुलका पड़ा है । बच्चे के मुँह से लार की एक तार ठुड्डी तक लटकती है । उसके आँखों की पुतलियाँ बन्द पलकों में नाचती हैं और धीमे से एक उल्लास उसके होंठों को छू जाता है । कछुआ चलता जाता है सोचता जाता है ये मेरा सपना तो नहीं ।

6 comments:

  1. आपको पढ़ना जितना अच्छा लगता है,कमेंट करना उतना ही मुशकिल । कई बार सोचती हूँ कह दूं हाज़िर हूं ……

    ReplyDelete
  2. सवाल कितने हैं
    है न
    जवाब कहां है
    किसके पास हैं
    मिले हैं कभी
    ऐसे सवाल के जवाब
    भला!
    सपना मेरा नही
    तो
    किसका है
    सपना
    तो
    सिर्फ़ सपना है
    अपना क्या और पराया क्या
    लेकिन
    फ़िर भी
    अपना सपना
    अपना ही होता है न!


    वैसे पारूल जी ने बड़ी सादगी से सच लिखा है, कई बार मेरी भी यही हालत होती है कि बस कह दूं, हां मै आया था यहां इस ब्लॉग पर पोस्ट पढ़ा, शायद गुन नही पाया इसलिए कुछ कह भी नही पाया! :)

    ReplyDelete
  3. इस्‍केच? किधर से आया? कहां उड़ाया?

    ReplyDelete
  4. पारुल : पढ़ना अच्छा लगता है .. ये बहुत अच्छा लगा .. फिलहाल इसबार :-)

    संजीत : सपना तो बच्चे का था , कछुये का कहाँ ? कभी कभी लगता है किसी और के सपने में जी रहे हैं । अब बस आँख खोल भी दो भई! बहुत हुआ ..जैसी कोई बात

    प्रमोद जी : उड़ाया ? हद है !

    ReplyDelete
  5. हाज़िर - और बेहतर - बत्ती जलाने के बाद

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर पोस्ट। आपकी सबसे अच्छी चीजों में एक। स्केच की तारीफ इसके अलावा करनी होगी।

    ReplyDelete