अगर उसके कहे का हर बार बुरा मानोगे
तब तो हुआ
हुआ करे फिर दुख
ऐसी कितनी छोटी चीज़ें हैं
कितना कितना मनाओगे
दुनिया के अंदर दुनिया देखोगे
अंधेरे के अंदर रात देखोगे
पैर के नीचे पानी देखोगे
भीगे तलवों की तकलीफ देखोगे
ऊपर आसमान की छत नहीं देखोगे?
छाती के अंदर का सुराख देखोगे
सुराख के अंदर का खालीपन देखोगे
खुशी के ठीक अगले पल दुख देखोगे
अंतर के अकेलेपन की तकलीफ देखोगे
आत्मा का जुड़ाव नहीं देखोगे?
नहीं देखोगे क्योंकि
तुम्हारे अंदर लिपटी है रस्सी
लट्टू के गिर्द सुतली
वाईंड अप बर्ड ?
उसी तार पर चक्कर खाओगे
उतनी ही वाईंडिंग्स
उतना ही दुख और उतना ही सुख
कहते हो फिर किसी तिब्बती लामा के निर्विकार ज्ञान से
सब माया है
ओम माने पद्मे हुम
कमल का फूल खिल जाता है
ठीक नाभि के बीचो बीच
फिर अगले दिन मेरे कहे का बुरा क्यों माना
फिर तो हुआ करे दुख
ऐसी कितनी छोटी चीज़ें हैं
कितना कितना मनाओगे
(द वाईंड अप बर्ड क्रॉनिकल के मिस्टर वाईंड अप बर्ड के लिये नहीं)
वाह ! मज़ा आ गया। जितनी अच्छी कविता है उससे कई दर्ज़े दिलकश है आपके पढ़ने का अन्दाज़ । लिखते रहिये और अपनी आवाज़ का जादू बिखेरते रहिये।
ReplyDeleteआपका अनाम प्रसंशक
un-wind and simplify life ....:-)
ReplyDeleteकाफ़ी कुछ सीखने को है कविता में....
वाकई!
ReplyDeleteन केवल अनाम साहब से सहमत हूं बल्कि आपसे यही निवेदन करूंगा कि आईंदा भी अपनी ही आवाज़ में कविताएं पढ़ा कीजिए!
प्रत्यक्षा बहुत खूब, तुम्हारी आवाज़ ने उसमें चार चाँद
ReplyDeleteलगा दिये।
बहुत अच्छी कविता और उतनी ही ख़ूबी से पढ़ा भी आपने,उच्चारण बहुत साफ़ है...कहे तो शब्द मोती की तरह झर रहे हैं....माफ़ी चाहता हूँ...fool शब्द की जगह phool सही शब्द है,बस यही खटक रहा था.. रिसाइटिंग आपकी बहुत बढिया है..आगे भी ये सिलसिला ज़ारी रहे..शुक्रिया
ReplyDeleteBeautiful.
ReplyDeleteओह ! ओह! न सिर्फ phool का fool पकड़ लिया जग ज़ाहिर भी कर दिया :-)
ReplyDeleteहम तो समझे थे कि पहले पॉडकास्ट के नौसिखियेपने में ये फूलिशनेस छिप जायेगी । अभी तक औडियो एडिटिंग़ के फंडे समझने बाकी हैं।
हौसला आफज़ाई के लिये आप सबों का शुक्रिया !
gr8 di!!
ReplyDeleteBeautiful recitation. I made a recording.
ReplyDeleteतो चलिए और घुमा लेते हैं दो तीन चक्कर, - कम तो होने वाले नहीं ९९ के फेर [ :-)]
ReplyDeletep.s. - (१) जय हो पोड कास्ट की (२) अगली किताब पक्का कविताओं की
कुछ सुनाई पडी तालियों की अवाज़ ? बहुत खूब .
ReplyDeletevery very nice
ReplyDeletebahut achhi lagi hume ye kavita. aap bahut achha likhti hain.
ReplyDeletenandini dubey
ऊपर आसमान की छत नहीं देखोगे?
ReplyDeleteसुंदर था वाचन और उस पर आशावाद का आसमान। फ़ूल तो खटका साथ ही 'मणि' की जगह 'माने' भी
Just a word, superb...!!!
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