बचपन में पढी थी विलियम ब्लेक की कविता , "टाईगर "।
तब कल्पना की उडान खूब लगती थी । मुझे अबतक याद है कि कक्षा में बैठे हुये खिडकी से बाहर देखते हुये घने अँधियारे जँगलों में विचरते रौबीले खूँखार बाघ की कल्पना की थी ।
बाद में कई बार सबसे पसंदीदा जानवर कौन है के जवाब में हमेशा बाघ ही दिमाग में आया । बाघ से ज्यादा राजसी और कोई जानवर नहीं । मेरे हिसाब से जँगल का राजा शेर भी नहीं
तो पेश है अपनी बनाई एक पेंसिल स्केच और एक कविता
एक पत्ता खडका था
एक चाप सुनाई दी थी
एक साया डोल गया था
दूर बियाबान जंगल में
रात का जादू फिर छा गया था
इस औचक आखेट का अंत
क्या फिर वही होगा
क्या फिर किसी की जीत में
मेरी हार होगी ?
वाह वाह!!
ReplyDeleteप्रत्यक्षाजी, 'कुचीकारी'और 'शब्दकारी' दोनो के लिये.कमाल का बाघ बनाया है आपने!
स्केच बढ़िया है। लगता है कोई शेरदिल ब्लागर अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर अपने पोस्ट पर आये कमेंट पढ़ रहा हो!
ReplyDeleteवाह जी! बहुत अच्छी कलाकारी है, बधाई.
ReplyDeleteजानदार बाघ है ये तो !
ReplyDeleteचित्र अच्छा लगा। बिलकुल सजीव लग रहा है।
ReplyDeleteडर गया ना मै, लगा निकल कर आयेगा अब बाहर स्क्रीन से।
ReplyDeleteबहुत खूब पैन-पेन्सिल का खेल।
ReplyDeleteawesome is the right word here, I'm here for the first time and kind of impressed by the stuff here!..bookmarked!
ReplyDelete-blessed blogging
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फ़िर आँखे भर आई.....
ReplyDeleteअब शायद नहीं आउँगा यहाँ...