मुझे चित्रकारी का बहुत शौक था । पहले रंगों में खेलती थी , पेंसिल स्केचेज़ भी खूब बनाये । सीखने की बहुत इच्छा रही पर मौका नहीं मिल पाया ।जब स्कूल में थी तो किताबों और कॉपियों के मार्जिंस पर तरह तरह के चेहरे बनाना पसंदीदा समय निकालने का , वो भी पढाई के वक्त , तरीका था । अब भी मीटिंग्स में , वर्कशॉप में , कॉंफरेंसेस में , लोगों की शक्लें बनाना , मज़ा आता है ।
कई साल पहले बनाये गये अपने दो वाटर कलर पेंटिग्स पेश हैं
और ये रहा एक और
ये शौक अब छूट सा गया है । कभी खूब सारी छुट्टी मिले तो फिर शुरु किया जाय ।
वाटरकलर सुन्दर हैं, प्रत्यक्षा। और चित्रों की प्रतीक्षा है।
ReplyDeleteकल्पना यदि सुन्दर और मौलिक हो तो चित्र चाहे कूची से बनें या कलम से, अच्छे ही होंगे ।
ReplyDeleteअरे बाप रे, छुपी रुस्तम हैं आप तो।
ReplyDeleteकभी सोचता हूं अच्छा ही हुआ जो आप चित्रकार न बनीं, नही तो आपको चिठ्ठाकारी करने का वक्त न मिलता और हम न जाने कितने बेहतरीन लेखों कविताओं आदि से वंचित हो जाते।
वैसे वंचित तो हम अब भी हैं। वो मुन्नार यात्रा का क्या हुआ? मुन्नार , मुन्नार , हम आ रहे हैं, लेकिन कब पंहुचेंगे भाई? क्या वृत्तांत पूरा हो गया?
बहुत बहुत अच्छे चित्र हैं। अभी तो मैंने यहीं से save कर लिये हैं। यदि ये digital छाया चित्र बडे़ आकार मे प्राप्त हो सकें तो आपका बहुत आभारी रहूँगा।
ReplyDeleteशुक्रिया लक्ष्मी जी , अनूप जी, छाया जी , मिश्रा जी, अब तारीफ कर दी है तो कुछ और स्केचेज़ और वाटर कलर्स झेलने पडेंगे ;-)
ReplyDeleteछाया जी , मुन्नार यात्रा बाकी है , लिखेंगे । केरल यात्रा के फोटो अडियल टट्टू हो गये हैं लैपटॉप पर अपलोड नहीं कर पा रहे । वैसे अंदर की बात बतायें ,आलसी लोगों से और क्या उम्मीद कर सकते हैं
'अजगर करे न चाकरी ,पंछी करे न काज
दास मलूका कह गये सबके दाता राम'
मिश्राजी ,ये पेंटिंग छोटी सी है । इसे भाई ने डिजि कैम से खींचकर पीसी में डाल दिया । पता नहीं ये बडा हो सकता है या नहीं ।मैं वैसे भी तकनीकी बुद्धु हूँ ।
कल आपके ब्लॉग पर आया तो देखा कि एक नहीं बल्कि ३ पोस्ट हैं। लगा कि प्रत्यक्षा जी किसी हालत में ये चित्र दिखाये बिना नहीं मानेंगी :) किस पोस्ट पर comment करूँ इस असमंजस में
ReplyDeleteवापस लौट गया ।
बहरहाल सुंदर चित्र हैं । आगे भी आप इन्हें बांटेगी ऐसी आशा है ।
अति सुन्दर प्रत्यक्षा जी ! आपकी "कूचीकारी" और "शब्दकारी" दोनो देखने यहाँ आते रहना होगा!
ReplyDeleteहमारी तरफ से भी बधाई स्वीकार कर लें। कल की तारीख में ही 'एडजस्ट' कर लें। अब जो बने होंगे उनको तो पोस्ट किया बिना तो आप मानेगी नहीं,इतने लोग कह जो चुके हैं ,इस लिये अनुरोध है कि और भी चित्र दिखा दें।
ReplyDeleteहा हा मनीष , सही पकडा । दिखाये बिना ऐसे कैसे छोड दूँ ।
ReplyDeleteशुक्रिया रचना , अगले पोस्ट में दोनों झेलना पडेगा :-)
अनूप जी हाज़िर है अगला पोस्ट
यहां सभी चित्रों की तारीफ कर रहे हैं।
ReplyDeleteअब मैं क्या करूं प्रत्यक्षा जी क्योंकि यहां की सरकार flickr.com को बलॉक कर रखी है :(