प्रत्यक्षा
5/09/2005
खुशी है एक सफेद चादर
खुशी एक ऐसी सफेद चादर है
जिसे ओढते ही
मैं अद्र्श्य हो जाती हूँ
उन तमाम गमों से
जो
घात लगाये बैठे हैं
दबोच लेने को मुझे
अपने खूँखार पँजों में
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