कुछ बेहद उदासी वाला गाना क्रून करना चाहती हूँ , नशे में डूब जाना चाहती हूँ । माई ब्लूबेरी नाईट्स । अँधेरे रौशन कमरों की गीली हँसी में फुसफुसाते शब्दों को छू लेना चाहती हूँ , उस धड़कते नब्ज़ को छू कर दुलरा लेना चाहती हूँ । गले तक कुछ भर आता है उसे छेड़ना नहीं चाहती , बस रुक जाना चाहती हूँ एक बार , तुम्हारे साथ ।
चलते चलते धुँध में खो जाना चाहती हूँ एक बार । और एक बार उस मीठे कूँये का पानी चख लेना चाहती हूँ । एक बार तुमसे बात करना चाहती हूँ बिना गुस्सा हुये और एक बार प्यार , सिर्फ एक बार । फिर एक बार नफरत । सही तरीके से नफरत , न एक आउंस कम न एक इंच ज़्यादा , भरपूर , पूरी ताकत से । और उसके बाद तुम्हें भूल जाना चाहती हूँ । और चाहती हूँ कि तुम मेरे पीछे पागल हो जाओ , मेरे बिना मर जाओ ..सिर्फ एक बार !
अगली ज़िंदगी अगली बार देखी जायेगी...फिर एक बार !
( मार्क शगाल के चाँदनी रात में प्रेमी युगल )
फ़िर एक बार... इतनी खूबसूरत ख्वाइश!
ReplyDeleteवाह!!!!!क्या व्यंजना है। प्यार इतना खुबसुरत होता है????
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ख्वाहिश।
थोडा सा समय मुझे भी दे।
http://www.govindkprajapat.blogspot.com
धन्यवाद
bahut sundar
ReplyDeleteबहुत बढिया!! वैसे किसी भी कार्य को पूरी तरह करें तो आनंद तो आता ही है।
ReplyDeleteनि:शब्द........
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी,
ReplyDeleteसादर अभिवादन
आपके ब्लोग पर कविताएं पढी। क्यसों न आप अपनी रचनाएं प्रकाशन के लिए भेंजे। यदि पत्रिािओं के पते चाहिए तो मेरे ब्लोग पर आएं आप निराश नहीं होंगी।
अखिलेश शुक्ल
संपादक कथा चक्र
http://katha-chakra.blogspot.com
अल्लाह करे कि आपकी ख्वाहिश पूरी हो जाये ...
ReplyDeleteअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
bahut sundar likha hai.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से मार्क साहब को प्रस्तुत किया है आपने।
ReplyDeleteबहुत सुंदर....
ReplyDeleteप्यार खूबसूरत ही नहीं एक ऐसा अनुभव होता है जिसे शब्दों में डाला नहीं जा सकता है। लेकिन इस कविता में कुछ तो बात है
ReplyDeletebahut baDhiya,
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी ,
ReplyDeleteअच्छा शब्द चित्र ..अच्छी ,गहन भावनात्मक अभिव्यक्ति.
इस पोस्ट के साथ ही कथा क्रम के नए अंक में प्रकाशित लघु कथा
पानी का गीत के लिए भी बधाई .
हेमंत कुमार
और चाहती हूँ कि तुम मेरे पीछे पागल हो जाओ , मेरे बिना मर जाओ .सिर्फ एक बार !
ReplyDeleteIts a sensitive and heart touching poem..
ReplyDeleteNice, keep writing.
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Welcome to my blog..
http//:www.hazaronkhwahishenaesi.blogspot.com
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Harsh..
etani khubsurat khwahish maine pahahi bar padhi hai.keep it up .
ReplyDeleteetani khubsurat khwahish maine pahahi bar padhi hai.keep it up .
ReplyDeleteetani khubsurat khwahish maine pahahi bar padhi hai.keep it up .
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