उसने और कुछ नहीं कहा
मैं देखती रही
इंतज़ार करती रही
सुबह हुई
दिन ढला
फिर रात हुई
बारिश में चिड़िया
भीगती रही
बालू में लिखा
मैंने घर
फिर तस्वीर बनाई
एक बगीचा
दो कमरे
बहुत सी खिड़कियाँ
ढेर सारी धूप
कुछ हवा
उसने लकड़ी से बनाया
उन तस्वीरों पर
एक क्रॉस
उसने और कुछ नहीं कहा
उस सफर पर
जिन पर चलकर
मैं पहुँचती भीतर
वहाँ तब उग आये थे
कुछ सूखे दरख्त
पसरी काली चट्टान
नदी का सूखा चौड़ा तल
कुछ काली मिट्टी
तलछट पर
दो बून्द पानी
ज़रा सी काई
और बस
मेरा मन
मेरा मन
उसने मुट्ठी भर रेत
झटके से
बिखेरा
उसने और कुछ नहीं कहा
मैंने सोचा
उफ्फ ये इंतज़ार
मैंने पर काटे उस परिंदे के
हवा में कलाबाजी खाई
धूप का एक गोला निगला
चील की तरह
ऊपर नीले आसमान में
दो गोल चक्कर काटे
सर पीछे फेंककर
ठहाका लगाया
उसने भौंचक
मेरी तरफ देखा
बड़ी दुखी उदास नज़रों से
देखा
पर अब भी
उसने और कुछ नहीं कहा
बस इतना भर हुआ कि
अब हमने जगहें बदल ली हैं
चील अब भी बेखटके
उड़ती है , सुनो !
बस इतना भर हुआ कि
ReplyDeleteअब हमने जगहें बदल ली हैं
चील अब भी बेखटके
उड़ती है , सुनो !
बहुत खूब....आप को अपनी बात संकेतों के जरिये कहनी खूब आती है......
1.
ReplyDeleteसुबह हुई
दिन ढला
फिर रात हुई
बारिश में चिड़िया
भीगती रही
……………………
2 .
मैंने सोचा
उफ्फ ये इंतज़ार
मैंने पर काटे उस परिंदे के
हवा में कलाबाजी खाई
धूप का एक गोला निगला
चील की तरह
ऊपर नीले आसमान में
दो गोल चक्कर काटे
..................
भाव-शिल्प के इस अनूठे प्रयोग के बाद आपने जगह बदल सो अच्छा ही किया...भावुकता, निर्ममता की कसौटी पर इस हद तक कसी गई कि पाठक को दूर तक उड़ती चील को निहारे पर मजबूर गई। कठिन समय में बेहद अच्छी रचना।
बस इतना भर हुआ कि
ReplyDeleteअब हमने जगहें बदल ली हैं
चील अब भी बेखटके
उड़ती है , सुनो !
-वाह! बहुत उम्दा. बधाई.
bahut hi marmik bhav pragat huye hai kavita mein,dil ko chu liya,bahut badhai
ReplyDeleteउसने जो नहीं कहा, उस अनकहे से ही सब कुछ कह दिया। अब और कुछ कहने की जरुरत कहाँ?
ReplyDeleteबस इतना भर हुआ कि
ReplyDeleteअब हमने जगहें बदल ली हैं
चील अब भी बेखटके
उड़ती है , सुनो !
बहुत खूब है आपकी नज्म, बहुत सारी गहराईयां समेटे हुए..
प्रत्यक्षा बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteदो बूंद पानी, ज़रा-सी काई और मेरा मन.
ReplyDeleteऔर इन सबमें नमी है. सुंदर.
बहुत सुन्दर कविता...आपका अंदाज़ निराला है.
ReplyDeleteक्या पता कि उसने कुछ कहा हो और उस आवाज़ को चीलों के शहर का शोर निगल गया हो...
ReplyDelete