2/18/2008

आपकी नींद हराम क्यों ? दूसरों के सेट पर डाह क्यों ?

आईये सेट सेट खेलें । मैं आपको सेट करूँ आप मुझे । कितना मज़ा आयेगा । मुझे और आपको तो आयेगा ही । हो सकता है जो सेट के बाहर हों उन्हें नहीं आयेगा । पर उससे क्या ? जो हमारी सेट बिरादरी से बाहर उससे हमें क्या ? गाहे बगाहे हमारे सेट में आया तो हड़का देंगे बाहर । कमीज़ उतारेंगे उतरवायेंगे । अरे आपका । अपना नहीं । आपको मेरी उतरी दिखे तो आपकी नज़र का दोष । हमारा क्या ? हमारे लिये तो सिर्फ मेरा इलाका मेरा सेट । आमची मुम्बई आपका बलिया बिहार । मज़ाल किसकी ।

आखिर मनुष्य में पशुत्व तो विद्यमान है । उसका सबूत देते रहना चाहिये , अपने आप को भी और दूसरों को भी । अपने इलाके की रक्षा के लिये चौकन्ने । हाँ अगर मुस्कुराते हँसते तारीफ के पुल बाँधते आईयेगा तो स्वागत है । हम भी आयेंगे आपके वहाँ , कुछ सुगन्धी फूल गिरायेंगे वहाँ , आपके सेट को सैटेलाईट सेट बनायेंगे .. ज़्यादा स्नेह उमडेगा तो अपना छोड़ आपके सेट को अपनायेंगे । लेकिन हरबार सेट सेट ही खेलेंगे ।

ब्लॉग अरेरे दुनिया में शान से जीने का पहला नियम अभी तक नहीं समझे तो क्या खाक समझे ? कितने साल बीते ? फिर भी नहीं सीखे ?

बनाईये न आप भी अपना सेट । शुरु करिये इस घोषणा से हाँ हम सेट होना चाहते हैं । क्या आप भी ? अरे शर्माईये मत । आईये न , सेट बनाईये न !

13 comments:

  1. अच्‍छा है सेटिंग खेल, आपको सेट करती हूं मैं। अर्र... लेकिन क्‍यूं करूं सेट... मुझे क्‍या फायदा होगा... पहले फायदे के बारे में भलीभांति विचार कर लूं, फिर आती हूं आपको सेट करने।

    ReplyDelete
  2. प्‍लीज़, आप हमारे सेट में रहिये? हालांकि सेट होने लायक मेरे पास जूते हैं नहीं. ताश भी नहीं हैं. ऐसी हहियाहट और हुलास भी नहीं है. मगर फिर भी, प्‍लीज़, आप रहिये! रहियेगा न?

    ReplyDelete
  3. हम तो बहुत पहले सैट हो गये है...जब सैट हो गये तभी तो ऎसे बहस वाले मुद्दे उठाते हैं..हमें किसी सैट की जरूरत नहीं है फिलहाल... :-)

    ReplyDelete
  4. का कहें स्कूल-कॉलेज के जमाने से अब तक एक ठो कन्या भी नई सेट कर पाए अपन, तो इस ब्लॉग जगत में का सेट और सेटिंग का खेला खेलेंगे ;)

    ReplyDelete
  5. Anonymous4:30 pm

    चलिए मैं आया आपके यहां। लेकिन आप भी फंस गयी ब्‍लॉगजगत की माया में। कहीं तो निर्विरोध निर्वाचन की गुंजाइश रहने दीजिए। हालांकि दिनकर की पंक्ति आपके साथ है, जो तटस्‍थ है समय लिखेगा उनका भी इतिहास।

    ReplyDelete
  6. सैट तो हम भी होना चाहते है पर कैसे समझ नही आ रहा है.
    कछु मदद-वदद कीजियेगा का?

    ReplyDelete
  7. Anonymous6:07 pm

    Aapka idhar drink milega?

    ReplyDelete
  8. मुझे तो समझ ही नहीं आया...कैसे खेलते हैं??

    ReplyDelete
  9. बढिया सेटिंग चल रही है..

    ReplyDelete
  10. हमें तो केवल आइसक्रीम, जैली आदि ही सैट करनी आती है । हम तो आजतक अपने बाल तक ना सैट कर पाए। अब तो इन कालीमिर्ची- नमक वाले मिले- जुले बालों को क्या सैट करेंगे ? और क्या ब्लॉगरों को ?
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  11. अच्छा है हम भी सेटियाना ..पर पहले तौलेगें कहां सेट होने का कितना फायदा है ...कहां बढिया ऑफर है ... सीख रहे हैं ! सेटविहीन रहकर भी क्या जीना !

    ReplyDelete
  12. are mai bhi aaya...

    ReplyDelete
  13. सही निशाना सैट किया.... मान गया. लेकिन ये भाई लोग इतना खुश क्‍यों हो रहे हैं, सैट होने को इतनी बेताबी.. सैट?

    ReplyDelete