मुन्नव्वर सुल्ताना बेगम आज ज़रा मायूस थीं । शीशे के सामने घँटो बिताये पर बालों की काकुलपत्ती ठीक ठीक नहीं सजनी थी सो नहीं सजी । एक लट भी कमबख्त घूँघर न होना था फिर लाल गुलाब का फायदा क्या । उसपर तुर्रा ये कि हाले दिल बेहाल । न उनको सुनाया गया न थाम के नौ गज शरारे के खम में छुपाया गया । जूतियाँ तक पैरों में ऐसी काट खाती थीं कि बस , इस पहलू उस पहलू बेचैन लहर मचलती बस । पान और ज़रदे किमाम की खुश्बू से सिर घूमता था । छोटे नक्काशीदार हत्थे वाले आरसी में जहाज जैसे पलंग पर लेटे लेटे जाने क्या देखती सोचती थीं ।
काहिरा अंकारा के बुर्जों पर शाम ढलती थी । कहवाघरों में धुँआते अँधेरों में बहसे गर्म होती थीं । यहाँ इस लाल पत्थरों वाली हवेली पर अँधेरा चुपके से आता था । चमगादड़ निपट अँधकार में उलटे लटके घँटे गिनते थे । दान्यूब के तट पर बर्फ जमती थी । समोवार की गर्म भाप चेहरे को कंठ के पहले धिपा देती । आग और बर्फ का खेल चलता । सरदी और गर्मी की रस्सी कूदते मौसम बदलता । सेंट पीटर्सबर्ग स्कायर पर लाल मफलर ओढ़े इर्वीना स्मेलोवा ओदोलेन स्मेलोव के हाथ में अपना हाथ , ठंड से चिलब्लेन वाले हाथ , थमा देती । नील नदी पर बजरे पर तैरते अमोन और ज़हरा पानी में डुब से डुबकी मारते सूरज को देख देख उदास मुस्कुरा देते । मिराबो में अनातोल मारी अन्ना को देख कहता , j'avais aimé une fois , मैंने प्यार किया था कभी । उसकी आँखें कहीं सुदूर चली जातीं । नहीं देखती कि मारी अन्ना का चेहरा फक्क पड़ गया है । ऑस्टिन में सिगरेट से धूँआ छोड़ते , धूँये से आँख मिचमिचाते नाओमी अचानक रसेल को कहती मूव अवे हनी , मूव अवे । रसेल मूव अवे नहीं करता , बस इंतज़ार करता , इंतज़ार । दुनिया में जाने कहाँ कहाँ औरत और मर्द यों हाथ में हाथ डाले चुप घूमते , बिना एक शब्द बोले बतियाये । ऐसे जोड़े जो बिना कहे एक दूसरे को समझ लेते । और ऐसे भी जो खूब खूब बोलकर भी ज़रा सा भी नहीं समझते । कतरा भर भी नहीं । न एक दूसरे को न खुद को । और जीवन बिता देते इसी मुगालते में कि समझ लिया सब।
मुन्नव्वर जान दौड़ कर जाती मेहराबों वाले झरोखे पर , पल भर को झाँकती फिर पलट निढाल गिर पड़तीं । साटन और किमखाब के चादर पर बदन फिसल जाता । कितना दुख । मिस मजूमदार होतीं तो कहतीं ,की दारूण कोथा , फिर अपना चाँदी का गुच्छा अपने सलोने कमर में खोंस होंठ दबा कर अफसोस ज़ाहिर करतीं । मुन्नव्वर मुन्नव्वर ! तुम्हें प्रेम हो गया है । मुन्नव्वर छाती पर हाथ धरे आँख फाड़े एक पल को मिस मजूमदार को देखती है । प्रेम ! मुझे ? फिर एकाएक बिस्तर पर ढह जाती है । हँसते हँसते उसकी आँख से आँसू की धार बहने लगती है । मिस मजूमदार अफसोस और करुणा से उसकी तरफ देखती हैं । उफ्फ बेचारी लड़की ! हाथ में पकड़ा वर्जिनिया वुल्फ की मिसेज़ डैलोवे ज़रा और कस कर पकड़ लेती हैं । मुन्नव्वर की हँसी अब जा कर रुकी है । ओह मिस मजूमदार , प्रेम नहीं मुझे तो सिर्फ बदहज़मी हुई है बदहज़मी । डाईज़ीन की गुलाबी गोली बड़े से बड़े प्यार पर मजबूत पड़ती है ।
Ma come mai non mi hai dato il numero di Munawwar? Come ti permetti di guardare tutta questa violenza cosi facilmente?
ReplyDeleteMa come mai non mi hai dato il numero di Munawwar? Come ti permetti di guardare tutta questa violenza cosi facilmente?
ReplyDeleteparce que munnawwar n'est pas dans l'amour, seulement légèrement peptique ?
ReplyDeleteप्रमोद जी प्रत्यक्षा जी इस कानाफूसी का क्या तात्पर्य हैं ! मसला क्या है हमें भी समझना है :)
ReplyDeletePS: "But how could you not give me the number of Munawwar? How you allow yourself to watch all this violence so casually?"
ReplyDeleteP: "because munnawwar is not in the love, only slightly peptic?"
- इंटरनेशनल टिंगू अनुनाद अनुवाद एजेंसिप्स्की
बाप रे बाप!
ReplyDeleteक्या? है क्या ये?
ये थोड़ा 'हाउस ऑफ बेबेल' हो गया नीलिमा :-) सब अलग भाषा बोल रहे हैं । बेनामी जी ने अनुवाद दे ही दिया । मेरा काम कर दिया ।
ReplyDeleteAquí está mi pregunta en español para su italiano y francés: ¿por qué señora Mazumdar está leyendo a señora Dalloway y está aconsejando Munawwar en amor?
ReplyDeleteअभय ..la mme. mazumdar lit Mme dalloway qu'est pourquoi tellement la pitié pour (faussement cependant) le munnavvar abruti pauvre. tellement pour le féminisme
ReplyDeleteयहां तो सब गड़बड़ घोटाला लगता है।
ReplyDeleteप्रत्यक्षा,very interesting!क्या-क्या नही होता तुम्हारे ब्लाग पर।
ReplyDeleteHé vous juste les paroles creuses rendez tous idiots comme cela, n'est-ce pas ? :)
ReplyDeletehameshaa ki tarah ...bahut mun bhaaya..
ReplyDeleteलो कल्लो बात, मैं आया तो यह देखने था कि किस मुनव्वर को प्रेम हो गया।प्रतिक्रियाओं को देखकर असल मु्द्दा भूल कर यह सोचने लगा कि हमारे बीच में कितने विद्वतजन है जो इधर विदेशी भाषा मे फ़ुसफ़ुसा रहे हैं। धन्य हैं
ReplyDeleteTrès intéressant.
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी हमेशा की तरह बढ़िया था आपका लिखना। किरदार बेहतरीन मगर कमेंट सेक्शन में आकर बदहजमी के शिकार हम हो गए...ढूंढते है डायजीन :)
ReplyDeleteAbhay: "Here it is my question in Italian, Spanish and in French: why Mrs. Mazumdar is reading Mrs. Dalloway and is advising Munawwar in love?"
ReplyDeletePrats: "Mrs. Mazumdar reads Mrs. dalloway becos she has so much pity for (wrongfully however) the poor stunned Munnavvar as much for feminism."
- इंटरनेशनल टिंगू अनुनाद अनुवाद एजेंसिप्स्की