12/06/2007

नीचे पल्प की दुकान ऊपर खाली आसमान

पात्र ..सिर्फ दो ..बोबा बे और रामिनी ममानी
स्थान लक्मे ब्यूटी सलून
समय दोपहर साढ़े तीन बजे
दिन आह सप्ताह खत्म होने को चला ..आज शुक्रवार है



(बालों पर ड्रायर का हेल्मेट पहने , चेहरे पर लेप प्रलेप लगाये , आँखों पर खीरा के दो गोल टुकड़े सजाये )


र: कुछ सोचा हमारे ज्वायंट वेंचर के बारे में ? धूप में बैठकर गैलेरिया टाईप किताब और म्यूज़िक की दुकान चलाने का मज़ा ... साथ में कॉफी शॉप

ब: वेरी अप मार्केट और हम सिर्फ एक्सेंटेड अंग्रेज़ी बोलें

र: अरे रिवर्स स्नॉबरी भी चल सकती है । भोजपुरी या हिन्दी ?
ब: या तो एक्सेंटेड अंग्रेज़ी या फिर ठेठ भोजपुरी ..जो अंग्रेज़ी बोले उससे भोजपुरी बोलें और वाईसवर्सा ....

र: और क्या पहनें ? हैंडलूम की साड़ी या किरण बेदी टाईप कुर्ता विद जैकेट

ब: सीधे कटे स्फेद स्याह बाल .... बीड्स और लकडी की चीज़ें .... बहुत सारा ऑरगैनिक स्टफ

र: बड़ी बिन्दी ? डॉली ठाकोर या स्वप्न सुंदरी ?

ब: काजल , सुरमा और देसी चाँदी के गहने ?

र: सारे एथनिक कपड़े...कुच्छी लहँगे ..मोजरी ... लिनेन लिनेन

ब: सिर्फ इसोटेरिक जारगन बोलें ..नाक हवा में ... शोभा दे टाईप बिची बिच ?

र: एक्सिस्टेंशियलिज़्म ? मेटा फिज़िकल ? इम्पेरीसिज़्म ....एपिस्टेमेलॉजी ....वगैरह वगैरह ?

ब: शायद एक सिगरेट चाँदी के होल्डर में जो हम कभी फूकेंगे नहीं , सिर्फ प्रभाव के लिये ( मुझे तो आस्थमा की बीमारी है )

र: या फिर बीड़ी ? पान रंगे दाँत भी हो सकते हैं ..वहीदा रहमान जैसे ?

ब: बीड़ी जिसे हम ऑफर करें वीआईपी कस्टमर्स को ..नक्काशीदार ट्रे में ?

र: हाँ जी

ब:: जिसको बीड़ी ऑफर किया समझो दे हैव अराईव्ड

र:फिर लम्बी लाईन ..दुकान के बाहर

ब: हमारी दुकान के बाहर दिखना माने स्टैटस सिम्बल

र: फिर हम आई एस ओ सर्टिफिकेट भी ले लेंगे

ब: नहीं लम्बी लाईन नहीं ..वेरी सेलेक्टिव .. हेवी ड्यूटी डिसकशन ..माल खरीदो सौ के बात करो हज़ार के

र: ओह ला..डी डा .. वेवी वेवी अपर क्लास !

ब: ये भी हम तय करेंगे कौन अपर क्लास ..पारंपरिक मूल्यों को उलट पुलट देंगे

र: हाँ जी .. अरोमैटिक पॉटपोरीज़ बिखरे इधर उधर और एक तरफ गोबर अपनी मिट्टी से जुड़े होने का असर दिखाता

ब: कुल्हड़ में चाय और गोबर गैस की अंगीठी ?

र: पेज थ्री सोशलाअईट्स लड़ मर रहेंगी गोबर पाथने के लिये ....ऊह वॉट ऐन एक्स्पीरीयंस ...ट्रूली माईंड ब्लोईंग न ? लेट्स चिल आउट बेबी !

ब: हाँ .. मेरा गोईठा तेरे से अच्छा टर्न आउट किया मैन

र: डिज़ाईनर वंस ओनली ? क्या

ब: मार्केटिंग मार्केटिंग .. फिर शुरु करें

र: (उबासी ) अगले हफ्ते पेडिक्योर कराने आते हैं ..तब तक ...सोचते हैं ..( रेस्तरां ...डिज़ाईनिंग ...और क्या क्या करें .....बोबा का क्या ..पल्प लिखा ..ऐश की ...)

लिखवैया .. पी स्कायर ..मतलब दो प ..बूझो कौन ? ओह ! कितना फलसफा ?

15 comments:

  1. ब्लागवा्णी के जरिए आप तक पहुंचा। आपको नियमित रुप से ब्लागवाणी पर देखना वाकई बेहद सुखद अनुभव है। हम लोगों ने एक कम्यूनिटी ब्लाग बनाया है, अभी बहुत लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं। हम चाहते हैं कि इस ब्लाग से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें ताकि अपनी बात कहने सुनाने का एक पब्लिक प्लेटफार्म बनाया जा सके। अगर आप चाहें तो www.batkahee.blogspot.com पर क्लिक कर इस ब्लाग तक पहुंच सकते हैं। और अगर आपको ठीक लगे तो आपका स्वागत है...। अपने बारे में एक संक्षिप्त परिचय लिखकर...इस ब्लाग को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। इनविटेशन लिंक http://www.blogger.com/i.g?inviteID=7959074924815683505&blogID=1118301555079880220 पर क्लिक करते ही आप इस ब्लाग 'आफ द रिकार्ड' के सदस्य बन सकते हैं। आपका स्वागत है...।
    विवेक सत्य मित्रम्

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  2. " पेज थ्री सोशलाइट्स लड़-मर रहेंगी गोबर पाथने के लिये "

    उच्च-भ्रू प्रतीति कराने वाले सांस्कृतिक दृष्टि से खोखले और बौद्धिक दृष्टि से लद्दड़ नकलची-वर्ग के बकलोलपन का अच्छा खाका खींचा है आपने .

    एकदम स्कैन करके धर दिया है उनके प्लास्टिकी सौन्दर्यबोध को . इधर समाजसेविकाओं और सोशलाइट्स के बीच की विभाजक रेखा इतनी क्षीण हो चली है कि भेद नहीं मालूम चलता . आपने अच्छा लक्षण-वर्णन किया है . पहचान आसान होगी .

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  3. बुहूहू..टोटली एलियन स्‍टफ फॉर मी...

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  4. बहुत रोचक लेखन. मज़ा आया.
    नीरज

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  5. पुनश्‍च: प्रत्‍यक्षा, आपके गहरे सेंस ऑफ ह्यूमर और इसमें छिपे व्‍यंग्‍य का मैं कायल हो गया हूं. बेतरतीबी के पीछे से झांकती तरतीब और बिना सीधे उल्‍लेख के अपनी बात कहने का आपका यह अंदाज भा गया जी.
    प्रशंसा करने के लिए कुछ कहना चाह रहा हूं पर सटीक शब्‍द नहीं सूझ पा रहे ...
    वैसे ये ब्‍यूटी पार्लर में बीड़ी? बस यूं ही एक बात नथिंग एल्‍स...

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  6. बहुत बढ़िया हवामहल बनाए आपके पात्रों ने । जब वे अपनी दुकान खोलें तो हमें भी निमन्त्रण दिलवा दीजियेगा । आखिर इन चरित्रों को बनाया आपने है !
    घुघूती बासूती

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  7. प्रत्यक्षा जी , आपकी परोक्ष शैली कभी कभी सुखद आश्चर्य में डाल देती है .

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  8. अंदाजेबया अच्छा है......

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  9. आईडिया इस मार्केटेबल....अगली मीटींग में हमें भी बुलाईये।

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  10. ह्म्म्म्म्. मैं क्या कहूँ ??!!!!!

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  11. पूनम , तुम सिर्फ ये कहो कि आधा तो मेरा है :-)

    इस वार्तालाप का आधा भाग पूनम का लिखा हुआ है , वही फलसफे वाली !

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  12. पर इतनी रोचक बातचीत नहीं थी.तुम्हारी लेखनी ने उसे कमाल का बना दिया .

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  13. इहां जौन गोंइठा पथायेगा ओकरा से हम बनायेंगे लिट्टीचोखा... एकदमे अप मार्केट लिट्टीचोखा।

    बहुत खूब प्रत्यक्षाजी... मजा आ गया।
    -शशि सिंह

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  14. uff ek baar fir pairon taley zameen nachaa di aur ser uper aasmaan ghuuma diyaa aapney...bahut khuub.....

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  15. वाह ! क्या क्या, कैसे कैसे .... किस किस बात का ज़िक्र हो ?? बड़ी अजीब स्थिति है. एक एक बात लाजवाब. बस कमाल है .......

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