4/18/2007

क्षण भंगुर


पेटकुनिये लेटे
ठुड्डी को तलहत्थी में भरे
लडकी पलटती है पन्ना
किसी रंगीन पत्रिका की
ठिटकती है उँगलियाँ
अगला पन्ना पलटते

तस्वीर में लम्बी ग्रीवा पर
मोतियों की लडी
रानी है कोई ,पुरानी
तुत्मस की बनाई बुत
सुंदरता साकार !

मिचमिचा आँख
पढती है छोटे अक्षरों में
नेफरतिति , ओह !
वही सुंदर इजिप्शियन रानी
तुत अँख आमन की माँ
शायद सौतेली
पडी होगी किसी ताबूत में
सूखी ठुर्राई हुई , जैसे सूखा छुहारा
एक वक्त थी कितनी सुंदर

लडकी उठती है
श्रृंगार मेज़ के सामने
ग्रीवा मोडे
निहारती है
कुछ शोख अदायें
फिर दुखी हो जाती है
एक दिन मैं भी......
फिर उठाती है मोतियों की माला
लपेटती है , लम्बी ग्रीवा
अभी तो
आज मैं भी सुंदर !!!

14 comments:

  1. Anonymous4:23 pm

    लड़की के मनोभावों का क्या खूब चित्रण किया है प्रत्यक्षाजी, आपकी यह रचना दिल को छूती है।

    सुन्दर रचना के लिये बधाई!!!

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  2. सौंदर्य की परिकल्पना मन में सौंदर्य से ज्यादा विश्वास जगाती है
    साधुवाद

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  3. Anonymous5:30 pm

    बहुत सुन्दर कविता ।

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  4. अच्छी लगी गूढ़ मनोभावों को कहती आपकी सीधी सपाट रचना ....बधाई

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  5. बढ़िया सुंदर रचना!

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  6. बढ़िया है! कुछ तो लिखा! चाहे छुहारे जैसी ठुड्ढी ही सही। :)

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  7. क्या बात है कुछ शब्दो में सब कुछ कह डाला,..
    बहुत सुन्दर!
    सुनीता(शानू)

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  8. 'पडी होगी किसी ताबूत में
    सूखी ठुर्राई हुई , जैसे सूखा छुहारा
    एक वक्त थी कितनी सुंदर'

    काश सौंदर्य का यह सच हम सब जल्‍द सीख जाएं, ताबूत में पहुचने से पहले।

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  9. आपका है कुछ अंदाजे बयां और :)

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  10. तन की सुन्दरता तो नश्वर है... मन सुन्दर होना चाहिये.. आपकी रचना की तरह्...
    लिखते रहिये

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  11. बहुत सुंदर भाव, ईश्वर के सिवा कुछ भी नित्य (Evergreen, Immortal) नहीं।

    बहुत पहले एक कविता पढ़ी थी, ओजमेंडियस नामक राजा के बारे में उसमें भी कुछ ऐसे ही भाव व्यक्त किए गए थे।

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  12. अभी , आज को जीती हुई ये कविता अच्छी लगी ।

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  13. Anonymous4:16 pm

    मिट्टी का शरीर,
    मिट्टी की बुत,
    कभी नेफ़रटीटी,
    कभी ताबूत.

    मिट्टी सुन्दर,
    मिट्टी से उपजा सबकुछ सुन्दर,
    मिट्टी जिससे उपजी, वह कैसा?
    अत्तदीपा विहरथ !

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  14. कैसी तीक्ष्‍ण, भावप्रवण, मार्मिक कविता लिख लेती हैं आप.. ओह, अद्भुत! यह यहीं लिखी थी या कैरो जाकर लिखी थी?.. नहीं, कोई नहीं, बस सामान्‍य जिज्ञासा थी.. यहां भी लिख ही सकती हैं.. इतनी प्रतिभा है, कुछ भी कर सकती हैं!

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