10/31/2006

ओ मधुमक्खी

ये तस्वीर है मेरे भतीजे दिव्यांश की । इसे हम प्यार से दिवि पुकारते हैं । दिवि महाराज ने हाल में ही प्री स्कूल जाना शुरु किया है । ये सिंगापुर में रहते हैं ।
ये तस्वीर ली गई उनके स्कूल के कंसर्ट वाले प्रोगराम से जहाँ वो मधुमक्खी बने थे । दायीं ओर वाला बच्चा दिवि है । अब आप बताइये जब मधुमक्खी इतनी सुंदर है तो फूल कितने सुंदर होंगे ।

दिवि

ओ मधुमक्खी
कितने फूल देखे
कितनी वादियाँ घूमे

आओ अब सुस्ता लो
बैठो कुछ पल
और हँसो

हँसो कि
हम भी खुश हो लें
हँसों कि
हम भी
मुस्कुरा लें

कि हम भी
घूम लें तुम्हारे संग
फूलों भरी वादियों में

10 comments:

  1. प्रत्यक्षा जी,

    हमें तो पता ही नहीं था कि जहाँ हम रहते हैं वहाँ इतनी सुँदर सुँदर मधुमक्खियाँ होती हैं. :)

    वैसे जब वो "भतीजा" है तो वो - मधुमक्खा होगा ना??

    :D

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  2. Anonymous4:47 pm

    मधुमक्खा!!
    तथा उससे प्रेरीत कविता दोनो ही सुन्दर हैं.

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  3. क्योंकि पुष्प का आमंत्रण ही सुन्दरता को रहा निखार
    तभी हुआ है मधु से पूरित चंचल बचपन का संसार
    जो अबोध हैं वही बोध का अर्थ सत्य समझाते आये
    सौम्य शिवम भर कर नयनों में फिर सुन्दरता रही निहार

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  4. मधुमक्खी खुद फूल जैसी ही सुन्दर है।

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  5. Anonymous9:47 pm

    मधुमक्खी पर लिखी कविता और मधु भरी मुस्कान दोनों मीठी है।

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  6. वाह प्रत्यक्षा जी, खुबसुरती का नायाब मिश्रण आपकी कविता और शिवम की मुस्कान में. बहुत बढ़ियां.

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  7. Anonymous10:50 pm

    मधुमक्खी बहुत प्यारी और सुंदर है कविता भी पसंद आई

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  8. बढि़या है. लेकिन सुना है मधुमक्खी काटती भी बहुत जोर से है.

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  9. Anonymous7:53 am

    मधुमक्खी फूलों जितनी ही सुंदर दिख रही है....मेरा मतलब है फूल खुबसूरत तो मधुमक्खा हैंडसम

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  10. Anonymous6:09 am

    ठंडी-ठंडी बूँद पड़ीं है
    ठंडी-ठंडी बूँद पड़ीं है

    पापा, नीली पैन्ट ना पहन के निकलें
    कल परसों ही नई सिली है !

    ठंडी-ठंडी बूँद पड़ीं है....
    :)

    मधुकीट ने मन मोह लिया !

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