विरह की वेदना की सुन्दर अमिव्यक्ति.
प्रत्यक्षा जी"और पगलाई कोयलखोजती है किसको"बहुत सुंदर रचना है।बधाईसमीर लाल
विरह की वेदना की सुन्दर अमिव्यक्ति.
ReplyDeleteप्रत्यक्षा जी
ReplyDelete"और पगलाई कोयल
खोजती है किसको"
बहुत सुंदर रचना है।
बधाई
समीर लाल