1/30/2006

इक लफ़्ज़े मुहब्बत का


अमित ने मुझे टैग किया. पहले तो दो बार सोचा, लिखूँ न लिखूँ फिर खेल भावना से प्रेरित हो कर सोचा लिख ही डालूँ. अखिर शाश्वत मुद्दा है.....प्रेम का
तो खुदा को हाज़िर नाज़िर जान कर जो जाना, जो अनुभव किया वो पेशे खिदमत है.


पर शुरु करूँ उसके पहले हाज़िर है ये शेर

इक लफ्ज़े मोहब्बत का अदना ये फसाना है
सिमटे तो दिले आशिक फैले तो ज़माना है

तो जब तक आपलोग इरशाद कहें , हम बढाते हैं गाडी आगे, इश्क़ की...


तो सबसे पहले ,प्रेमी तो वही जिसमें जुनून हो, दीवानापन हो, पागलपन हो.
ज्यादा सोच विचार किया तो प्रेयसी कोई और ले उडेगा.


दूसरे , सिर्फ जुनून से काम नहीं चलेगा. प्यार में गहराई हो ठहराव हो, जीवन भर के साथ का जोश हो. ऐसा दिल भी क्या ,जो नन्हे पिल्ले की तरह जिसने पुचकारा, उसके पीछे हो लिया .


तीसरे , उसका साथ ऐसा हो जैसे खुद का साथ हो . अब भई कोई तो ऐसा हो जो आपके अंदर के बाथरूम सिंगर को निकाल कर बाहर कमरे में ले आये.
तो लोग जो आपका गाना सुनकर कानों में ठूँसने को रूई तलाश करने लगते हैं, ऐसे मौसम में कोई न सिर्फ आपका सुरीला गाना सुने बल्कि कभी कभार ( अब हर बार तारीफ कुछ ज्यादा नहीं हो जयेगी ? ) तारीफ भी कर दे,
ऐसे शख्स से आप कैसे न प्यार करें.


चौथे, कोई ऐसा हो , जिसे आप 'टेकेन फॉर ग्रांटेड ' ले सकें . उसके भरोसे आप किसी को कोई आश्वासन दे सकें. अब थोडी बहुत नाराज़गी , इस बात पर आलाउड है. रूठने मनाने का चटपटा सिलसिला भी तो चलते रहना चाहिये .

पाँचवा , हर शौक साँझे में करें , न भी जी चाहे तो भी. कहते हैं न बाँटने से प्यार बढता है .

छठा , उसे आपको हँसाने की कला आनी चाहिये. जो जोडा साथ हँसता है वह उमर भर हँसता है. तो ऐसे ही हँसते हँसाते उम्र कटे .

सातवाँ , प्यार में रोमाँस जरूर , जरूर जरूर, क्योंकि रोमाँस खाने में नमक जैसा है. न हो तो जीवन बेमज़ा हो जाये. अब रोमाँस कुछ भी हो सकता है, मसलन

मोमबत्ती की रौशनी में रात्रि भोज

बिना किसी खास अवसर के तोहफा..फूल से लेकर हीरे तक

किसी गज़ल या ठुमरी सुनते किसी खास मोड पर निगाहों का मिल जाना

किसी कॉमेडी पर एक जैसी बात पर हँसी आना

या फिर सडक पार करते समय हाथ थाम लेना, लंबी ड्राइव पर भी ये किया जा सकता है :-)


लिस्ट आगे बढाई जा सकती है.....स्कोप अनलिमिटेड


और आठवाँ , उसे आपकी राय को महत्त्व देना चाहिये . आपकी बातें ध्यान से सुने. न सुने तो भी चलेगा पर आपको अपनी बढिया एक्टिंग से विश्वास जरूर दिला दे.






और अब बारी है अगले शिकार की. मेरी लिस्ट
1) सारिका, नाज़ुक कवितायें लिखती हो, देखें इसपर क्या लिखती हो

2) अनूप भार्गव , आपको पकड लिया :-) अब एक लेख लिख ही डालें

3) फुरसतिया जी , इस विषय पर हास्य रस का खूब स्कोप है, तो हो जाय

4) मनोशी , कुंडली क्या बोलती ?

5) आशीष , अब तुमसे उपयुक्त पात्र और कौन, रिसर्च मसाला अच्छा है, काम आयेगा

6) लक्ष्मी गुप्त जी , कुछ लिख ही डालें

7) सुनील दीपक जी , खेल को आगे बढाया जाय ?

8) जीतू जी, आपके बिना हर लिस्ट अधूरी है :-)

9) ग्रेग , आपके विचार जानने की उत्सुकता है



तो खेल की अगली कडी के इतंज़ार में....

19 comments:

  1. Aakhir aap bhi lapete me aa hi gayi. Baat to sahi likhi hai, jitne bhi premi (lover) famous hue hain sabhi junooni thai.

    ReplyDelete
  2. लगता है आपने तो PHD कर रखी है इस विषय मे. मै भी भाग ले सकता हु क्या?

    ReplyDelete
  3. Anonymous8:42 pm

    वाह प्रत्यक्षा जी, मज़ा आ गया, मुझे इससे कम की आशा भी नहीं थी!! :)
    लेकिन एक गड़बड़ है, आपकी प्रविष्टि में जितनी भी कड़ियाँ हैं, मेरे नाम से लेकर सभी शिकारों के चिट्ठों तक, सभी टूटी हुई हैं। कृपया सुधार लें। :)

    मै भी भाग ले सकता हु क्या?
    बिलकुल ले सकतें हैं। प्रत्यक्षा जी से कहें, आपका नाम भी शिकारों की लिस्ट में डाल दें। और यदि नाम नहीं भी है, तो भी, बिना शिकार हुए ही लिख डालों यार!! :)

    ReplyDelete
  4. जितना प्रेमरस था हमारे अंदर वह हम पहले ही उड़ेल चुके हैं। जिन लोगों ने न पढ़े हों वे हमारे
    लेख प्रेम गली अति सांकरी तथा ये पीला वासन्तिया चांद पढ़ लें। इस बीच हम अपना स्टाक फिर से देखते हैं कितना बचा है प्रेम, दीवानापन।

    ReplyDelete
  5. अमित कडियाँ ठीक कर दी हैं
    पंकज, आप हुये दसवें शिकार, तो लिख डालें :-)

    ReplyDelete
  6. प्रत्यक्षा,

    जब मैंने आपकी छित्र पढ़ी तो पहले बार हंस आया दो-तीन दिनों में। एक बात: मैंने कभी नहीं कहा कि यह मोहब्बत का बात है? लेकिन मैं कोई झूठ नहीं बोल सकता हूँ, अंग्रेज़ी में भी, हिन्दी में भी...

    यह बहुत लम्बी कहानी है, बहुत लम्बी मेरेलिए, और कभी-कभी लगता है कि यह कहानी जो मोहब्बत के बारे में है सिर्फ़ मोहब्बत की नहीं बल्कि पूरी ज़िन्दगी की। इक प्रेमी सिर्फ़ प्रेमी नहीं है: उससे सारा विश्वास देखते हैं...

    एक और छित्र: बहुत समय के लिए मैं धन्यवाद देना चाहता था आपके कोमेंटों के लिए... लेकिन सोच रहा था: अगर नहीं प्रत्यक्षा की पूरी ब्लोग नहीं पढ़ सकता हूँ तो बेवकूफ़ी मूँह कैसा खोल दो सकता हूँ। बस धन्यावद पढ़ने के लिए और भी "सुप्पोर्ट" के लिए इस समय में... दरसल अभी फ़ोन के लिए इंतज़ार कर रहा हूँ... कहानी अगे चल रही है...

    ReplyDelete
  7. Anonymous1:05 pm

    अमित कडियाँ ठीक कर दी हैं
    वैसे आप यदि अपने ब्राउज़र की शीर्षक पट्टी(टाईटल बार) में देखें तो वहाँ भी आपको एक पंगा दिखाई दे जाएगा!! ;)

    ReplyDelete
  8. अब और ससपेंस नहीं , बता ही दें, अमित :-)
    कौन सा पंगा रह गया

    ReplyDelete
  9. Anonymous1:58 pm

    ये तो दिल दा मामला है, बस हम टूट पडते है...... थोडा इंतजार का मजा लिजीये और हम अपना किस्सा ए मोहब्बत बयां करते है...

    आशीष

    ReplyDelete
  10. Anonymous4:11 pm

    अब और ससपेंस नहीं , बता ही दें, अमित :-)
    कौन सा पंगा रह गया

    प्रत्यक्षा जी, लगता है आपने मेरे सुझाव पर अमल करते हुए अपने ब्राउज़र की टाईटल बार को नहीं देखा!! :) अगर देख लेतीं तो समझ जाती कि मेरा इशारा टाईटल बार में नज़र आते html के strong टैग की ओर है जो कि वहाँ नहीं दिखाई पड़ने चाहिए। यदि अपने ब्राउज़र में देखने में आलस्य आ रहा है तो इस स्क्रीनशॉट में देख सकतीं हैं!! ;)

    ReplyDelete
  11. Anonymous8:24 pm

    हा जी, हमारी प्रेम गाथा(व्यथा) यहां देख लिजीये

    पूराने जख्म हरे हो गये है :-D

    ReplyDelete
  12. Anonymous2:37 pm

    मानसी ने कहा प्रत्यक्षा...

    ReplyDelete
  13. हम तो शराफतपूर्वक लिख दिया हूँ , इसलिये हमसे तगादा ना किया जाय,बाकी शिकारों से बाकायदा लेख वसूली की जाय।

    ReplyDelete
  14. प्रत्यक्षा,

    प्रेम के बारे में जो बोलता है वह प्रेम को नहीं जानता और जो जानता है वह कुछ बोल नहीं सकता। असल में यह बात भगवान के बारे में कही जाती है। But God is Love, you know. वैसे किसी ने यह भी कहा है कि प्रेम के बारे में जो बोलता है वह महा मूर्ख है लेकिन इतना कहने के बाद उसने प्रेम पर ९० मिनट का भाषण दिया। जहाँ तक लिस्ट का सवाल है, मेरी तो एक ही requirement हैः बिलकुल मेरी पत्नी जैसी हो। मेरे जैसे साठ साला आदमी से और तुम्हें क्या उम्मीद थी?

    लक्ष्मी

    ReplyDelete
  15. लक्ष्मी गुप्त जी , आपके साठ साला अनुभव से हम लाभ जरूर उठा सकते हैं.जन कल्याण के लिये लिख डालिये :-)

    प्रत्यक्षा

    ReplyDelete
  16. Pratyaksha,

    agar aisii hii baat hai, to jaa[ye yahaa.N par:

    http://kavyakala.blogspot.com/2006/02/blog-post_07.html

    ReplyDelete
  17. Anonymous7:29 am

    इक लफ्ज़े मोहब्बत का अदना ये फसाना है
    सिमटे तो दिले आशिक फैले तो ज़माना है

    इक लफ़्ज़े मोहब्बत के दीवान हज़ारों हैं
    कहने को दिले आशिक अरमान हज़ारों हैं
    इक शेर में कब सिमटे जज़्बात मोहब्बत के
    तब ही तो सुखनवर ये लिखाने को हज़ारों हैं :-)

    एक और सुखनवर

    ReplyDelete
  18. Anonymous7:34 am

    ्पहचान अगर लोगे जानोगे मोहाबात है
    बस एक ही ज़ज़्बा पर किरदार हज़ारों हैं
    वो इश्के जुनूं हो या फ़िर इश्के हकीकीहो
    इस राह पे कुरबानी देने को हज़ारों हैं

    अच्छा लिखा है प्रत्यक्षा.

    ReplyDelete