प्रत्यक्षा
7/04/2005
अचानक
अचानक
मैं बेसाख्ता यूँ ही
हँस देती हूँ
शायद
तुम भी कहीं मुझे याद कर
हँस रहे होगे
2 comments:
Unknown
3:20 pm
बहुअ खूब प्रत्यक्षा जी।
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अनूप भार्गव
3:58 am
मैं सोते सोते चौंक कर उठ जाता हूँ
तुम ने ज़रूर कोई बुरा ख्वाब देखा होगा ।
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बहुअ खूब प्रत्यक्षा जी।
ReplyDeleteमैं सोते सोते चौंक कर उठ जाता हूँ
ReplyDeleteतुम ने ज़रूर कोई बुरा ख्वाब देखा होगा ।