भई वाह! "ये धूप कहाँ सेखिल आई ??शायदचेहरे से तुमनेबालों कोहटाया होगा...."आपकी कविताये पढता हूँ तो एक नयी ताजगी का एहसास होता है, लिखती रहिये और ये ताजगी बरसाती रहिये.
पूरा देश इसी धूप के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है । अब काली घटा के दर्शन हों तो बात बने । अनुनाद
"काले बादल कितने मनमौजी बरसे कहाँ "शुक्रिया जितेंद्र जी....कवितायें आपको पसन्द आई........अनुनाद जी...अब बारिश भी आ ही चली....
मुरझाये हुए फ़ूलफ़िर से खिल उठे,शायदतुम नें अपनाजादूई आँचलबाग में लहराया होगा
हा हा...अनूप, आप अपना नाम न भी लिखे..आपका लिखा मैं पकड ही लूँगी प्रत्यक्षा
भई रात है गहरी ख्वाब से जागो ,देखोपढ़ोसियों के आँगन का लट्टू बिजली गुल होने परइन्वर्टर ने जलाया होगा
भई वाह!
ReplyDelete"ये धूप कहाँ से
खिल आई ??
शायद
चेहरे से तुमने
बालों को
हटाया होगा...."
आपकी कविताये पढता हूँ तो एक नयी ताजगी का एहसास होता है, लिखती रहिये और ये ताजगी बरसाती रहिये.
पूरा देश इसी धूप के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है । अब काली घटा के दर्शन हों तो बात बने ।
ReplyDeleteअनुनाद
"काले बादल
ReplyDeleteकितने मनमौजी
बरसे कहाँ "
शुक्रिया जितेंद्र जी....
कवितायें आपको पसन्द आई........
अनुनाद जी...अब बारिश भी आ ही चली....
मुरझाये हुए फ़ूल
ReplyDeleteफ़िर से खिल उठे,
शायद
तुम नें अपना
जादूई आँचल
बाग में लहराया होगा
हा हा...अनूप, आप अपना नाम न भी लिखे..आपका लिखा मैं पकड ही लूँगी
ReplyDeleteप्रत्यक्षा
भई रात है गहरी
ReplyDeleteख्वाब से जागो ,देखो
पढ़ोसियों के आँगन का लट्टू
बिजली गुल होने पर
इन्वर्टर ने जलाया होगा