tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post8701267757000921407..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: किताबों के बीचPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-46793877310909539232007-09-11T11:04:00.000+05:302007-09-11T11:04:00.000+05:30अच्छा विवाद चल रहा है यहां ! इस बहाने सबका पुस्तक ...अच्छा विवाद चल रहा है यहां ! इस बहाने सबका पुस्तक (प्र )दर्शन बाहर आ रहा है!Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-51868860464157850242007-09-10T15:13:00.000+05:302007-09-10T15:13:00.000+05:30अबे, बेनामी इल्लो-टिल्लो-बिल्लो! घर में मम्मीज...अबे, बेनामी इल्लो-टिल्लो-बिल्लो! घर में मम्मीजी ने नाम पब्लिक में लेना नहीं सिखाया था, कि किताब की दुकान बाहर खड़े होकर आप इन्हीं बेनामी-दाग़दार अदाओं का रियाज़ कर रहे थे? कार नहीं है आपके पास? तो इसके लिए सार्वजनिक शोक-सभा का आयोजन किया जाए? कंप्यूटर अपनी है या वह भी बेनामी अदाओं की करतब से लहायी गई है? जीवन में किताब कभी पढ़ी है? नहीं पढ़ी होगी? क्योंकि किताब पढ़ाई की तो तमीज़दार आपकी ज़बान लगती नहीं? मगर नहीं पढ़ी है तो पढ़नेवालों से खार खाने की कसम तो मम्मीजी ने नहीं खिलाई है ना? किसी और ने खिलाई है? मैं उन चवालीस किताबों का ज़िक्र करूं जो साथ-साथ पढ़ रहा हूं? फिर क्या करेंगे आप.. कांखेंगे या बगल में खड़े होके पादना शुरू करेंगे? गंवार कहींके!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-25354445406303767272007-09-10T13:50:00.000+05:302007-09-10T13:50:00.000+05:30kitni parhi likhi hain yah sab aapki kahaniyon se ...kitni parhi likhi hain yah sab aapki kahaniyon se pata chal jata hai. ab is tarah apn tathakathit parhaku hone ka nagn pradarshan kyon karrahi hain aap?<BR/><BR/>AC car me baith kar kitab parhna aur uska yun dhidhora pitna ek ashlil vilasita hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-9663282636475733212007-09-09T23:12:00.000+05:302007-09-09T23:12:00.000+05:30बहुत खूब। एक साथ कई पुस्तकें तो हम भी पढ़ते हैं। ए...बहुत खूब। एक साथ कई पुस्तकें तो हम भी पढ़ते हैं। एक वक्त में एक से काम नहीं चलता और संभव भी नहीं लगता। कुछ बरस पहले खरीदी मार्कोपोलो की आत्मकथा को ढूंढ रहा था। फिर पढ़ने का मन था। दीदी के घर पर पर मिली साथ ही आठ नौ और पुस्तकें भी जो वक्तन फ वक्तन उन्हें पढ़ने दी थीं। विस्मृत खजाना मिलने की खुशी शायद ऐसी ही होती होगी।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-91444587117038884162007-09-09T08:59:00.000+05:302007-09-09T08:59:00.000+05:30छवि सुधारने का अच्छा प्रयास है... कि देखो मूढ़मतिय...छवि सुधारने का अच्छा प्रयास है... कि देखो मूढ़मतियों... !!! एक तुम हो जो दिन रात टीवी से चिपके रहते हो बज्रमूर्खों. और एक मैं हूँ जो ....<BR/><BR/>कभी सुना है नाम इतनी किताबों, इतने लेखकों का. और हाँ... मेरे पास गाड़ी भी है. यानी कार और उसमें बैठकर भी मैं पढ़ती हूँ.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-47893088924820239172007-09-05T10:59:00.000+05:302007-09-05T10:59:00.000+05:30महान पढ़ाकुओं की 12 टिप्पणियां! तेरहवीं टिप्पणी वैस...महान पढ़ाकुओं की 12 टिप्पणियां! तेरहवीं टिप्पणी वैसे भी ज़िक्स्ड होती है! <BR/>खैर मैं यही दर्ज करना चाहता हूं कि पुस्तक ईश्वर (या मानव) की लाजवाब कृति है. हर लाजवाब कृति को निहारना अच्छा लगता है पर परखना/पढ़ना कठिन होता है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-17122603733746280972007-09-04T01:29:00.000+05:302007-09-04T01:29:00.000+05:30कुछ और किताबें* अग्निदीक्षा* देशेर बात* नवसाम्राज्...कुछ और किताबें<BR/><BR/>* अग्निदीक्षा<BR/>* देशेर बात<BR/>* नवसाम्राज्यवाद के नये किस्से<BR/>* एकोत्तरशती<BR/>* खट्टर काका<BR/>* संघर्ष<BR/>* सांग आफ़ यूथ<BR/>* आदिविद्रोही<BR/>* अमेरिकन<BR/>* आयरन हील<BR/><BR/>कुछ पुरानी हैं-कुछ नयी, पर ज़रूरी.Reyaz-ul-haquehttps://www.blogger.com/profile/07203707222754599209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-69110303288159400252007-09-03T17:52:00.000+05:302007-09-03T17:52:00.000+05:30good articales and i appriciate u for ur efforts.i...good articales and i appriciate u for ur efforts.i try ti readout all , but someother day.keep itup. thankyousiddharthhttps://www.blogger.com/profile/06651619770917650494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-23686938175077904432007-09-03T14:04:00.000+05:302007-09-03T14:04:00.000+05:30aapko samajhna mushkil ho gaya hai. likhne ke nam ...aapko samajhna mushkil ho gaya hai. likhne ke nam par to sangharsh rahit komal photo dikahayengi aur ab bade bade lekhkon ka nam gina kar ek baudhik aatank paida karne ki koshish kar rahi hain. kitabon ki guniye unke hawale se garajiye mat.<BR/><BR/>ANPARH PANDE, LUCKNOWAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-90269048009107435062007-09-03T07:10:00.000+05:302007-09-03T07:10:00.000+05:30बढ़िया है। लेकिन हम तभी मानेगे जब पढ़ी गयी किताबों क...बढ़िया है। लेकिन हम तभी मानेगे जब पढ़ी गयी किताबों के बारे में रिपोर्ट पेश की जायेगी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-63836952489645129122007-09-01T22:07:00.000+05:302007-09-01T22:07:00.000+05:30पिछले 6 साल में मैंने सबसे अधिक पढ़ाई गाड़ी में पी...पिछले 6 साल में मैंने सबसे अधिक पढ़ाई गाड़ी में पीछे बैठ कर या बस और ट्रेन में की है। मैं कुछ-कुछ अध्याय करके पढ़ता हूँ। एक किताब महीनों में पढ़ी जाती है। बिना पढ़े आज तक नहीं सोया हूँ और पढ़ते पढ़ते मरने की चाहत है। <BR/>जो किताबें खो गईं उनकी बहुत याद आती है। दोस्तों ने जिन्हें नहीं लौटाया उन्हे फिर खरीदा। 102 किताबों की की दो प्रतियाँ पिछले साल घर में थीं। कुछ दोस्तों को दीं कुछ अपने भाई को भेंज दीं। खो गई किताबों के तकाजे किए पर किताबों के लिए दोस्तों को गाली और गोली दोनों नहीं मार सकता ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-74673315822362830752007-09-01T20:04:00.000+05:302007-09-01T20:04:00.000+05:30पढ़िये --पढ़िये!! शुभकामना. फिर सबके बारे में एक एक ...पढ़िये --पढ़िये!! शुभकामना. फिर सबके बारे में एक एक पन्ना लिख दिजियेगा..वही पढ़कर हम भी भीड़ में अपने आपको पढ़ा लिखा साबित कर लेंगे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-38296383595106148772007-09-01T15:46:00.000+05:302007-09-01T15:46:00.000+05:30पामुक और मुराकामी.. मैं कब पढ़ूँगा..ह्म्म्म..मैं भी...पामुक और मुराकामी.. मैं कब पढ़ूँगा..ह्म्म्म..मैं भी हेडरेस्ट पर धर लेता हूँ इन्हे..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-35672945604368840972007-09-01T15:24:00.000+05:302007-09-01T15:24:00.000+05:30अच्छा है । अरे जब किसी पुरानी पुस्तक की याद आये ...अच्छा है । अरे जब किसी पुरानी पुस्तक की याद आये और फिर पता चले कि <BR/>किसी मित्र ने उधार ली थी फिर वो 'कॉरपोरेट जिलाबदर' हो गया । <BR/>सच मानिए गोली से उड़ा देने की इच्छा होती है । <BR/>हमारे साथ यही हुआ है । जाने कब से 'नौकर की क़मीज़', 'रागदरबारी',<BR/>परसाई की कई किताबें, एक ईरानी लेखक की हस्तरेखाएं पढ़ने की किताब,<BR/>आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की पुस्तकें । और हाल ही में 'इनहेरिटेन्स आफ लॉस' सब की सब<BR/>उधारिये मांग के ले गए । <BR/>आप ही बताईये क्या करें ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-83138551737609847022007-09-01T15:21:00.000+05:302007-09-01T15:21:00.000+05:30इतना पढ़ती हैं और चश्मा भी नहीं लगातीं?इतना पढ़ती हैं और चश्मा भी नहीं लगातीं?चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-26823861192349316442007-09-01T13:06:00.000+05:302007-09-01T13:06:00.000+05:30बस इतनी ही किताबें पढ़ती हैं? और अपने को बड़ पढ़वै...बस इतनी ही किताबें पढ़ती हैं? और अपने को बड़ पढ़वैया लगाती हैं? निर्मल वर्मा में अब तक फंसी हुई हैं? और कृष्णा सोबती? ओह!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-58715879855379090072007-09-01T13:00:00.000+05:302007-09-01T13:00:00.000+05:30किताबो के मामले में मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो जाता...किताबो के मामले में मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो जाता है :)Rajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-36856072816931310212007-09-01T11:07:00.000+05:302007-09-01T11:07:00.000+05:30बाप रे, इतना सारा पढ़ती रहती है आप। कमाल है! चलिए ...बाप रे, इतना सारा पढ़ती रहती है आप। कमाल है! चलिए बहुत सारी किताबों के नाम आपके जरिए पता चल गए। मैं भी इन्हें खरीदकर लाकर रखने की कोशिश करूंगा।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com