tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post7062955575499216030..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: तकलीफदेह मौत या मर्सी किलिंगPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-33175160502130123772008-02-14T19:07:00.000+05:302008-02-14T19:07:00.000+05:30प्रत्यक्षाजी, आपके ब्लॉग पर एकाध बार आ चुकी हूँ ,औ...प्रत्यक्षाजी, आपके ब्लॉग पर एकाध बार आ चुकी हूँ ,और बार बार आना चाहूँगी । फिलहाल इतना ही कि मैं मनीष जी के विचारों से सहमत हूँ..Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08878542403462383588noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-16342831033385862812008-02-11T20:43:00.000+05:302008-02-11T20:43:00.000+05:30बड़ा पेचीदा सवाल पूछा है आपने। दिमाग तो सीधा कहेगा ...बड़ा पेचीदा सवाल पूछा है आपने। दिमाग तो सीधा कहेगा कि होनी चाहिए पर ये दिल इसमें तो आशा की किरण जलती ही रहेगी कि शायद वो प्यारा स्वस्थ हो जाए। और ये शायद तब तक रहेगा जब तक चमत्कार का शब्द हमारे शब्दकोश में विद्यमान है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-54199846454717062362008-02-11T17:13:00.000+05:302008-02-11T17:13:00.000+05:30"मर्सी किलिंग" सुनने और बोलने में आसान है । हकीकत ..."मर्सी किलिंग" सुनने और बोलने में आसान है । हकीकत में उतना ही दूभर अपने पालतु कुत्ते को डाक्टर की राय पर अमल करने के लिये लेकर गयी पर उसकी आंखों के भाव से आहत वापिस लौट आयी। दिल-दिमाग पूरे दिन आपस में सवाल-जवाब करते रहे और मैं असमंजस में । अन्त में शायद अभी इसकी जिन्दगी बाकि है कह कर सन्तोष कर लिया और पूरे यत्न से सेवा करी।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-36589613839851053122008-02-11T15:26:00.000+05:302008-02-11T15:26:00.000+05:30vivaran padh kar rongate khde ho gae...!vivaran padh kar rongate khde ho gae...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-8607531033470638702008-02-11T15:25:00.000+05:302008-02-11T15:25:00.000+05:30दरअसल जो चीज आपको हॉन्ट कर रही है वह बिल्ली नहीं आ...दरअसल जो चीज आपको हॉन्ट कर रही है वह बिल्ली नहीं आपकी संवेदनशीलता है। अच्छा है कि यह बची हुई है। इस दुर्लभ चीज को बचाए रखिये।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-7108800082382170712008-02-11T13:26:00.000+05:302008-02-11T13:26:00.000+05:30मेरे से दो घर के फ़ासले ्पर एक 9 साल का बच्चा अपनी...मेरे से दो घर के फ़ासले ्पर एक 9 साल का बच्चा अपनी दादी व बाबा के साथ रहता है,हाथ पैरो से लाचार,दिमाग काम नही करता,जैसे लिटा दो घटों उसी करवट पड़ा रहता है,भूख प्यास समझ नहीं आती,चेहरे से मक्खियाँ भी नही हटा सकता,भविष्य मे ठीक होनें की आशा भी नहीं… उसे देखकर इतनी बेबेसी लगती है। काश कि……"मर्सी किलिंग"पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-44589399649173445832008-02-11T03:52:00.000+05:302008-02-11T03:52:00.000+05:30करीब ढाई माह पूर्व कुछ ऐसा ही अनुभव मैने भी किया थ...करीब ढाई माह पूर्व कुछ ऐसा ही अनुभव मैने भी किया था, उसकी तफसील यहां लिखी<BR/>http://paryanaad.blogspot.com/2007/11/blog-post_30.html<BR/>इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपने अपनी टिप्पणी में सवाल किया था कि मर्सी किलिंग के बारे में क्या ख्याल है, तब मैंने यह लिखा था (जानता नहीं आपने पढ़ा या नहीं)..<BR/>---<BR/>पर्यानाद ने कहा…<BR/><BR/>प्रत्यक्षा, मैं व्यक्तिगत रूप से यूथनेशिया को सही मानता हूं. ऑटोथनेशिया या सेल्फ किलिंग के बारे में मेरा एक बहुत पुराना लेख कभी विवाद का विषय बना था. लेकिन ऐसे मूक और निरीह प्राणियों को दया मृत्यु का विचार ना जाने क्यों अब बेहद क्रूर लगने लगा है. तथापि यदि किसी दिन मैं स्वयं ऐसी स्थिति में गया तो मेरा विकल्प यही होगा, पर जानवरों को.... पता नहीं. अपने दो पालतू कुत्तों को इसी तरह मारने का बोझ सीने पर लिए हूं. पीयू (मेरा पहला कुत्ता) की इंजेक्शन लगने के बाद अंतिम क्षणों में मेरी ओर देखती आंखें कभी भूल नहीं पाउंगा. उनमें कृतज्ञता थी या सवाल आज तक नहीं समझ पाया.<BR/>----<BR/><BR/>आज फिर आपने यही सवाल उठाया है और मेरा जवाब लगभग वही है जो तब दिया था. हालांकि अब इस बारे में कुछ और भी कहना चाहूंगा. पहले मैं सोचता था कि जीव हत्या का अपराध किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जाना चाहिए लेकिन धीरे-धीरे जान पा रहा हूं कि कुछ हालात होते हैं जब जीवन से अच्छी मौत ही होती है. यह एक क्रूर विचार हो सकता है और सापेक्ष है. मेरे लिए सही किसी और के लिए गलत. तथापि मेरा अब यह दृढ़ विचार है कि मर्सी किलिंग को वैध कर दिया जाना सही होगा. और ऐसा करने वाले हम पहले लोग नहीं होंगे. तमाम विवादों के बावजूद दर्जनों देश पहले से इसके पक्षधर हैं. हॉलैंड..<BR/>यह एक ऐसा विषय है जिस पर दोनों पक्षों के पास अपने अपने मजबूत तर्क हैं लेकिन आप किसी न किसी विकल्प को तो चुनते ही हैं, और जब अंतिम विकल्प चुनने का प्रश्न हो मैं मर्सी किलिंग के पक्ष में हूं. <BR/>वह विषधर जिसे मैने सड़क से उठाया, जीवित बच गया था. लेकिन उन छह दिनों में मैंने जो कुछ अनुभव किया उसे याद कर समझ सकता हूं कि आपके मन में क्या चल रहा है.. यही कह सकता हूं कि जीवन में अनेक अप्रिय सच्चाइयों का सामना करना ही पड़ता है. <BR/>मैं यह सोच कर खुद को दिलासा देता रहा था कि वह बच गया होगा... बाद में पुष्िट भी हो गई .... आपकी कार का पहिया तो साफ है ना.. बस..पर्यानादhttps://www.blogger.com/profile/15618107830101324791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-25280802583808160732008-02-10T20:49:00.000+05:302008-02-10T20:49:00.000+05:30शायद वो बच गयी हो लेकिन आप का मन आपको कचोटता रहेगा...शायद वो बच गयी हो लेकिन आप का मन आपको कचोटता रहेगा लेकिन फ़िर भी ये कहूँगा कि अपने मन को स्वच्छ करके आगे बढें, जिन्दगी में ऐसी कितनी ही मौतें हम देखते हैं जिनसे हमारा आत्मीय रिश्ता जुड़ा हुआ होता है. <BR/><BR/>मेरी माँ भी अभाव और मेरी साधनहीनता और संपन्नहीनता के कारण मेरे ही घर में प्यास से तड़प-तड़प कर मर गयी इस बात का आजतक मुझे अफ़सोस है और ये मेरा सबसे बड़ा पाप भी क्योंकि जिसने मुझे लाड़ प्यार से पाला उसी की मौत ब्रेन हैम्रेज और लाइलाज शुगर ने ले ली.<BR/><BR/>अब सोचता हूँ कि मौत कितनी बड़ी सच्चाई है जिसके लिये हम जिन्दगी भर खुद को झूठी तसल्ली देते रहते हैं.kamlesh madaanhttps://www.blogger.com/profile/14947827548102778374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-2105142190334066362008-02-10T20:10:00.000+05:302008-02-10T20:10:00.000+05:30कितनी भी मर्सी से की गई हो किलिंग का अर्थ नहीं बदल...कितनी भी मर्सी से की गई हो किलिंग का अर्थ नहीं बदलता....फिर आज का दर्द कल नहीं मिट सकता ऐसा कुछ निश्चित करने का कोई फूलप्रूफ तरीका भी नहीं है।<BR/><BR/>बहरहाल....बिल्ली की बात का इससे कोई नाता नहीं है...नियति और संजोग...थोड़ी सी मर्सी खुद पर कर लीजिये।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.com