tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post5794695794451247570..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: ओले ओलेPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-51431629672327682942007-02-20T05:39:00.000+05:302007-02-20T05:39:00.000+05:30ह्ह्म्म्म्म, बचपन की याद दिला दी आपने। वो ही ओले, ...ह्ह्म्म्म्म, बचपन की याद दिला दी आपने। वो ही ओले, उन्न को बीनो, कटोरी में इकट्ठा करो ! और जीजी की गीली फ़राक देखकर उस पर हंसो ( जिस में उस ने ओले बीन कर रखे हैं ! ... कुछ गप्प से खा जाओ, कुछ भोले बाबा पर चढ़ा दो ! बचपन के स्वांग कम थोडी ना होते हैं :)<BR/>कविता अच्छी लगी। देस याद आता है, बचपन याद आता है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-6881933686140318082007-02-16T01:27:00.000+05:302007-02-16T01:27:00.000+05:30कविता तो मुझे भी जीतू भाई की तरह खास समझ नहीं आती,...कविता तो मुझे भी जीतू भाई की तरह खास समझ नहीं आती, दरअसल कविता समझने के लिए भी एक सेन्स चाहिए जो सब मैं नहीं होती। ये बात अलग है कि तारीफ करने में हम किसी से पीछे नहीं रहते। :)<BR/><BR/>फोटो तथा आपके संस्मरण बहुत अच्छे लगे।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-20569299395250146862007-02-15T20:32:00.000+05:302007-02-15T20:32:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी पहली बार आपका लिखा पढ़ा| आपकी कविता औ...प्रत्यक्षा जी पहली बार आपका लिखा पढ़ा| आपकी कविता और चित्र ने मन मोह लिया| कितनी सहज कविता है | वाह! इस कविता को पढ़कर मुझे गुलज़ार की याद आ गई |सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-56521204950764965732007-02-13T19:28:00.000+05:302007-02-13T19:28:00.000+05:30पूर्वस्मृति मोहक होती है या शायद यह मनुष्य की प्...पूर्वस्मृति मोहक होती है या शायद यह मनुष्य की प्रकृति है कि हम मोहक को बार बार याद करते हैं। खैर मेरी बिटिया भी स्नोमैन बनाना चाहती है पर जब पहाड़ों में ले गए तो वहॉं से मायूस लौटे और अब वहॉं नी भर बर्फ गिरी है। और तो आपके गुड़गॉवा के ओलों से भी वंचित रह गए हम तो। वैसे नए कैमरे का अच्छा प्रयोग सीख लिया आपने।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-45712938721520487302007-02-13T14:50:00.000+05:302007-02-13T14:50:00.000+05:30फोटो बहुत अच्छा है। कविता भी, लेकिन क्या है ना कि ...फोटो बहुत अच्छा है। कविता भी, लेकिन क्या है ना कि अपने को कविता की समझ नही (बकौल फुरसतिया, मेरे को कविता झिलती नही)<BR/><BR/>इस लेख को लेकर फिर से हम नॉस्टल्जियाने लगे है। देखो कब मौका लगता है मोहल्ले की बारिश का।<BR/><BR/>आप बहुत दिनो बाद लिखी? कहाँ थी इत्ते दिन? <BR/>लगातार लिखती रहा करो।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-6466983074324600212007-02-13T12:34:00.000+05:302007-02-13T12:34:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी, आप नॉस्टेल्जिया का अच्छा वृत्तां...प्रत्यक्षा जी, आप नॉस्टेल्जिया का अच्छा वृत्तांत कहती हैं। रांची मेरा भी शहर रहा है। ओले हमारे हिस्से में भी पड़ते रहे हैं। आप कहानियां भी लिखती हैं, शायद मैं सही हूं, क्योंकि ज्ञानोदय में आपकी ही कहानी छपी थी दो अंक पहले। तो कहना ये है कि मासूमियत से भरे वे बचपन के ओले ज़िन्दगी के दूसरे मोर्चों पर शहर समाज के लिए किस तरह भारी पड़ रहे हैं, उस पर आपको लिखना चाहिए। थोड़ा समय लगा कर। धीरे धीरे। पूरे रचाव के साथ।Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-18598694040933618092007-02-12T20:46:00.000+05:302007-02-12T20:46:00.000+05:30आप अगर झारखंड रांची की बात कर रही हैं तो मैं भी JP...आप अगर झारखंड रांची की बात कर रही हैं तो मैं भी JPSC Mains देने आया हुआ हूँ और यह नजारा वहाँ भी था पर सुंदर रचना के साथ वह मंजर और निखर गया…बधाई…तस्वीर भी क्या जुगत से ली है…!!!Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-10720593832614973012007-02-12T16:07:00.000+05:302007-02-12T16:07:00.000+05:30बर्फ देखकर अच्छा लग रहा है। लेकिन यह समझ नहीं आ रह...बर्फ देखकर अच्छा लग रहा है। लेकिन यह समझ नहीं आ रहा है कि यह पिघल क्यों नहीं रही है। एक बात और नहीं समझ में आई कि फोटो के हिसाब से कविता लिखी गयी या कविता के लिये फोटो खींची गयी! वैसे तो हमें दोनों अच्छे लगे!Anonymousnoreply@blogger.com