tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post3243651202670945833..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: ब्लॉगरों में क्या सुर्खाब के पर लगे होते हैं ?Pratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-7182198779170346622008-08-25T15:16:00.000+05:302008-08-25T15:16:00.000+05:30"ब्लॉगरों की जमात । एक बार भी नहीं कहा कि आईये आपक..."ब्लॉगरों की जमात । एक बार भी नहीं कहा कि आईये आपकी भी तस्वीर खींचते हैं ।"<BR/>ये ही तो खासियत होती है ब्लोग्गर में की उन्हें अपनी फोटो ही अच्छी लगती है...आप की महानता देखिये की फ़िर भी आपने उनके जेंटल मेन की उपाधि से विभूषित किया...शिव इतने स्मार्ट हैं इसकी कल्पना भी मैंने नहीं की थी.उनके इस नए रूप को दिखने के लिए शुक्रिया.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1853951653395901812008-08-18T18:07:00.000+05:302008-08-18T18:07:00.000+05:30वैसे किसने कहा था की सुर्खाब के पर लगे होते है ?वैसे किसने कहा था की सुर्खाब के पर लगे होते है ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-45384826987963356292008-08-18T13:41:00.000+05:302008-08-18T13:41:00.000+05:30इसी को कहते हैं "घर का जोगी जोगना.." इहां हम प्रत्...इसी को कहते हैं "घर का जोगी जोगना.." <BR/><BR/>इहां हम प्रत्यक्षा जी के एन ऑफिस के पास विराजते हैं हमहूँ को अभी तक जैंटीलमैन नहीं बनाया..और शिवकुमार जी को कोलकाता में जाके मानद उपाधि दे डाली. गल्त बात है जी.<BR/><BR/>खैर सूरजमुखी की छाया में ब्लॉगरचर्चा की रपट सुखद रही...काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-83446554387619429102008-08-18T12:55:00.000+05:302008-08-18T12:55:00.000+05:30बाद की रोटी खाई है सो बाद में अकल आती है .लौटते मे...बाद की रोटी खाई है सो बाद में अकल आती है .<BR/>लौटते में गाड़ी मैं भी यही सोच रहा था कि यह कैसी गड़बड़ हो गई . कम से कम हममें से एक को बढ कर तस्वीर लेनी चाहिए थी . पर बातों में इतने मशगूल थे कि घंटे भर में ही कई-कई घंटों की बातें कर लेना चाहते थे . एक ही शहर में रहने के बावजूद भाई शिव से मिलना भी कितना कम हो पाता है . आप तो मानो आकाश-पाताल मंझा कर आई थीं . समय वाकई में कम था . और इसी वजह से जो गड़बड़ी होनी थी वो हो गई . आगे से खयाल रखा जाएगा .<BR/><BR/>एक ब्लॉगर और हैं इस अंक में -- भूपेन . कॉफ़ी हाउस वाले . कुछ और भी हो सकते थे जो विभिन्न वजहों से नहीं हो पाए . स.सृ. का अंक पूरा पढकर राय दीजिएगा . वैसी ही जैसी मैं देता हूं .<BR/><BR/>मिलना हमेशा अच्छा लगता है . बहुत अच्छा . पकी आदतों,तीखी पसंदगी-नापसंदगी और बेलाग बातचीत के स्वभाव के बावजूद यदि मित्र मिल कर बुरा न महसूस करें और आगे भी मिलना चाहें तो इसे अपना सौभाग्य ही मानना चाहिए .<BR/><BR/>आपसे मिलना सचमुच बहुत अच्छा लगा . ऐसा लगा ही नहीं कि पहली बार मिल रहा हूं . इस मिलन को संभव बनाने का कुछ श्रेय कॉमरेड प्रमोद सिंह को भी दिया जाना चाहिए . <BR/><BR/>हबड़-तबड़ में कितनी गत की बात हुई नहीं पता . छवि के अनुरूप ज़रूर कुछ ऊटपटांग बोला होगा . सुकुल जी महाराज 'रनिंग कमेंट्री' की प्रतीक्षा में हैं ताकि बाद में बखिया उधेड़ सकें . सो विवादास्पद को 'कच्ची कौड़ी' मानकर तरह दे सकती हैं . या फिर अक्षय अविनाशी परम्परा में सिर्फ़ विवादास्पद टिप्पणियों को चुनकर भी एक पोस्ट बनाई जा सकती है . <BR/><BR/>बातचीत बनावटीपन से रहित, बिना किसी मुखौटे या 'ऐफ़ेक्टेशन' के बहुत सहज और स्वाभाविक रही . इसलिए मिलना और भी ज्यादा अच्छा लगा . गर्दन-डुबाऊ व्यस्तता और यात्रा की थकान के बावजूद सहज मानवीय संबंधों को मान देने के लिए आभार !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-41546430144120331602008-08-18T10:35:00.000+05:302008-08-18T10:35:00.000+05:30वाकई सुर्खाब के पर लगे हुये हैं,वाकई सुर्खाब के पर लगे हुये हैं,मैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-90458996240723852642008-08-18T10:28:00.000+05:302008-08-18T10:28:00.000+05:30पिछली कई मुलाकातो में मैंने भी महसुस किया की रूबरू...पिछली कई मुलाकातो में मैंने भी महसुस किया की रूबरू होने पर पूर्व में बनी छवियाँ ध्वस्त होती है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-58521190811937725232008-08-18T09:40:00.000+05:302008-08-18T09:40:00.000+05:30चलिये आपने मिल लिया, हम फोटू से ही संतोष कर लेते ह...चलिये आपने मिल लिया, हम फोटू से ही संतोष कर लेते हैं ।<BR/><BR/><BR/>आभार रपट व सूरजमुखी के साथ तस्वीरों के लिये।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-68617815042258279732008-08-18T06:59:00.000+05:302008-08-18T06:59:00.000+05:30Good report about a good meeting ~~ It is always a...Good report about a good meeting ~~ <BR/>It is always a pleasure to meet some one the entire perception changes. Isn't it ?लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-83728127268494301702008-08-18T03:35:00.000+05:302008-08-18T03:35:00.000+05:30वाह चुपके चुपके दो ब्लॉगरों से मिलकर दो को पढ़ भी ...वाह चुपके चुपके दो ब्लॉगरों से मिलकर दो को पढ़ भी लिया और वो भी बिना अपनी फोटों डाले। बढ़िया है।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-68985584261227054942008-08-18T00:31:00.000+05:302008-08-18T00:31:00.000+05:30तस्वीरें बढ़िया हैं रपट भी, पर अपने को छुपा लेना अच...तस्वीरें बढ़िया हैं रपट भी, पर अपने को छुपा लेना अच्छी बात नहीं प्रत्यक्षा जी।<BR/><BR/>दो सज्जनों से मिल आने की बधाई।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-27504617756013135272008-08-18T00:15:00.000+05:302008-08-18T00:15:00.000+05:30बहुत संक्षेप में निपटा दिया? ऐसी भी क्या जल्दी थी?...बहुत संक्षेप में निपटा दिया? ऐसी भी क्या जल्दी थी? कौन सा पार्क, कौन से पंगे, कैसी चर्चा, किस शहर में? कुछ भी तो नहीं बताया आपने...सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-39468769125500433592008-08-17T23:41:00.000+05:302008-08-17T23:41:00.000+05:30अब इंतजार है इसकी रनिंग कमेंट्री का।अब इंतजार है इसकी रनिंग कमेंट्री का।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-84421695769491909702008-08-17T21:50:00.000+05:302008-08-17T21:50:00.000+05:30शिव बहुत ही बेहतरीन इंसान हैं - इस पर मेरा वोट भी ...शिव बहुत ही बेहतरीन इंसान हैं - इस पर मेरा वोट भी - पर आपकी फोटू नहीं खींचे इस बात पर उन्हें खींचना पडेगा [ :-)] - manishAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-60515808337206088302008-08-17T21:37:00.000+05:302008-08-17T21:37:00.000+05:30एक अच्छी पोस्ट है ..शुक्रिया ...एक अच्छी पोस्ट है ..शुक्रिया ...Anwar Qureshihttps://www.blogger.com/profile/04281359999900189306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-57486376819951717752008-08-17T21:23:00.000+05:302008-08-17T21:23:00.000+05:30प्रियंकर अपनी पत्रिका 'समकालीन सृजन' लाये थे । अभी...प्रियंकर अपनी पत्रिका 'समकालीन सृजन' लाये थे । अभी सरसरी तौर पर पन्ने पलटे हैं । दो ब्लॉगर दिखे अनुसूचि में ..सुनील दीपक और प्रमोद । ये दो लेख पहले पढ़े । बाकी खरामा खरामा । शानदार पत्रिका (पत्रिका कम किताब ज़्यादा)लग रही है । अफसोस कि किताबों की बात ज़्यादा न हो पाई । अगली बार सही ।<BR/> +<BR/>शिवजी मेरे बनाये परसेप्शन से कहीं ज़्यादा जेंटलमैन लगे , हैं । फिर फिर साबित हुआ कि पहला इम्प्रेशन हमेशा सही नहीं होता । और लोगों से मिलने के बाद का कम्फर्ट लेवेल अलग ही होता है । इस लिहाज़ से भी ये मिलना बेहद ज़रूरी रहा । <BR/> = क्या...........?<BR/>कुल मिला कर छोटी किंतु सार्थक पोस्ट <BR/>तीनो ब्लॉगर + सुनील दीपक और प्रमोद =पाँचों ब्लॉगर'स को विनत नमन किंतु पारुल जी के प्रश्न पर मेरी सहमतिबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-68644750247871141592008-08-17T21:22:00.000+05:302008-08-17T21:22:00.000+05:30प्रियंकर अपनी पत्रिका 'समकालीन सृजन' लाये थे । अभी...प्रियंकर अपनी पत्रिका 'समकालीन सृजन' लाये थे । अभी सरसरी तौर पर पन्ने पलटे हैं । दो ब्लॉगर दिखे अनुसूचि में ..सुनील दीपक और प्रमोद । ये दो लेख पहले पढ़े । बाकी खरामा खरामा । शानदार पत्रिका (पत्रिका कम किताब ज़्यादा)लग रही है । अफसोस कि किताबों की बात ज़्यादा न हो पाई । अगली बार सही ।<BR/> +<BR/>शिवजी मेरे बनाये परसेप्शन से कहीं ज़्यादा जेंटलमैन लगे , हैं । फिर फिर साबित हुआ कि पहला इम्प्रेशन हमेशा सही नहीं होता । और लोगों से मिलने के बाद का कम्फर्ट लेवेल अलग ही होता है । इस लिहाज़ से भी ये मिलना बेहद ज़रूरी रहा । <BR/> = क्या...........?<BR/>कुल मिला कर छोटी किंतु सार्थक पोस्ट <BR/>तीनो ब्लॉगर + सुनील दीपक और प्रमोद =पाँचों ब्लॉगर'स को विनत नमन किंतु पारुल जी के प्रश्न पर मेरी सहमतिबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-83389990418204198402008-08-17T19:21:00.000+05:302008-08-17T19:21:00.000+05:30खुद को छुपाया…कित्ती बुरी बात--वैसे पोस्ट :)खुद को छुपाया…कित्ती बुरी बात--वैसे पोस्ट :)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.com