tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post2252885185723611776..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: केमोफ्लाज़्ड पतनशीलताPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-77310485251967888632007-08-31T20:59:00.000+05:302007-08-31T20:59:00.000+05:30आपने जो लिखा है वो बहुत सब्जेक्टिव होकर लिखा है, ल...आपने जो लिखा है वो बहुत सब्जेक्टिव होकर लिखा है, लेकिन अगर इसका दायरा इतना सिमटा हुआ नहीं होता तो बात दूर तक पहुंचती। मसलन इसमें संबोधन इतने ज़्यादा है कि लगता है एक खास परिधि में चीजें कही जा रही हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इस दुनिया को और व्यापक बनाया जाए? अनजाने ही सही लेकिन ये बाकी लोगों को हमारे परिवेश, सोचने के तरीके से काट देती है। आपको नहीं लगता?नवीन कुमारhttps://www.blogger.com/profile/00051993748080979007noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-26823263979876841242007-08-23T19:35:00.000+05:302007-08-23T19:35:00.000+05:30वास्तव में टैंजेंट चला गया था तंज । बात तो समझ में...वास्तव में टैंजेंट चला गया था तंज । <BR/>बात तो समझ में आ गई थी और बात भी ऐसी थी कि जिस पर विवाद का कोई प्रश्न ही नहीं होना चाहिये । <BR/>स्टीरियोटाइपिंग तो गलत है ही चाहे किसी भी रूप में हो । वास्तव में ये उन लोगों के द्वारा बनाया गया ’टूल’ है जो ज़िन्दगी को बहुत सरल कर के देखना चाहते हैं , सब महिलाएं ऐसी होती है या सब काले आदमी ऐसे होते हैं या सब मारवाड़ी लोग ऐसे होते हैं । ज़िन्दगी के निर्णय सरल तो बन जाते हैं लेकिन क्या सही होते हैं ? कितना अच्छा हो यदि हम सब पूर्वाग्रहों से मुक्त हो कर 'हर आदमी’, ’हर घटना’ को सिर्फ़ उस के परिपेक्ष में जाँचे , न धर्म , न जाति , न राष्ट्र , न ’जेन्डर’ ।अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-67302847360440156352007-08-23T15:59:00.000+05:302007-08-23T15:59:00.000+05:30स्त्री हो या पुरुष पतनशीलता पर किसी का पेटेंट नही ...स्त्री हो या पुरुष पतनशीलता पर किसी का पेटेंट नही है . दोनों पतनशील होने के लिए स्वतंत्र हैं . पर आदमी को थोड़ी ज्यादा छूट मिली दिखती है . हम सब का चेहरा अपने समय और समाज और रूढियों की गर्द-गुबार से धुंधलाया होता है . किसी हद तक ही हम उसे साफ़ करने में सफल हो पाते हैं .<BR/><BR/>पर अन्ततः पतनशीलता कैसी भी और किसी की भी हो लम्बे समय तक 'कैमोफ़्लैज़्ड' नहीं रह सकती . वह झलक मारती ही है . <BR/><BR/>आपने बहुत संजीदगी से लिखा है,वरना हमारा समाज तो दूसरे की पतनशीलता में अपना उल्लास ढूंढने वाला समाज होता जा रहा है .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-3992567536967691872007-08-22T20:33:00.000+05:302007-08-22T20:33:00.000+05:30जब तक इन्सान अपने आप को सच्चाई के हर स्तर पर देख प...जब तक इन्सान अपने आप को सच्चाई के हर स्तर पर देख परख न लेँ,कई सारी <BR/>विसँगतियाँ रह जायेँगी-<BR/> बदलाव तो उसके भी बाद की प्रक्रिया है !<BR/> समाज के सच को "प्रत्यक्ष" करने का प्रयास सही दिशा मेँ किया गया है प्रत्यक्षा,<BR/> आगे भी , आशा है, बातेँ जारी रहेँगीँ<BR/>स्नेह -<BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-32451259864446308662007-08-21T23:15:00.000+05:302007-08-21T23:15:00.000+05:30सही कहा.सही कहा.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-90507763067076460162007-08-21T09:52:00.000+05:302007-08-21T09:52:00.000+05:30अफसोस है कि इस लेख में जो तंज़ है वो सचमुच टैजेंट च...अफसोस है कि इस लेख में जो तंज़ है वो सचमुच टैजेंट चला गया । बात चाहे गंभीरता से कही गई हो या तंज़ से ...समझने वाले न समझना चाहें , जानते बूझते तो चाहे बात एकदम लोवेस्ट डिनामिनेटर की भी की जाय ,हँसी में उडाई जाती है। बिरादरी या तो पैट्रोनाइज़िंग हो जाती है या फिर पुरुष सहोदरता वाली बात हो जाती है , जैसा कि प्रत्यक्ष हुआ शिल्पा और मेरी लेख पर की टिप्पणियों से और ज्ञानदत्त जी के लेख टिप्पणियों से ।<BR/>इस लेख में किसी पर आक्षेप लगाने की कोशिश नहीं की गई सिर्फ एक मानसिकता को रेखांकित करने का छोटा सा प्रयास भर था , ये भी साफ साफ जानते बूझते कि इसका हश्र क्या होगा । बस , मेरी तरफ से प्रोटेस्ट लॉज़ करना था ऐसे मुद्दे पर जिसके भुक्त भोगी अलग अलग परतों पर हम सब हैं ..धर्म , जाति , सोशल स्टैटस , कितने स्टीरियोटाईप्स हैं । औरतें जेंडर बेसिस पर इनके आलावे भी भुगतती हैं । <BR/>ये बहस और विमर्श का मुद्दा है ,हंसी का नहीं ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-82463587764550391772007-08-20T23:13:00.000+05:302007-08-20T23:13:00.000+05:30अफ़सोस कि आप पतनशीलता के फेर में फंसकर इधर-उधर हो ...अफ़सोस कि आप पतनशीलता के फेर में फंसकर इधर-उधर हो गईं.. भाई बिरादरी को किसी और ने नहीं, आपही ने बहाना दे दिया कि बात हंसी-दिल्लगी की है.. जहां तक मेरी बात है, हमेशा की तरह, मैं सन्न हूं!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-15510228585054534822007-08-20T21:14:00.000+05:302007-08-20T21:14:00.000+05:30अरे !महिला होते हुए भीइतना अच्छा लिख लेती हैं आप !...अरे !<BR/>महिला होते हुए भी<BR/>इतना अच्छा लिख <BR/>लेती हैं आप ! :-) :-) <BR/>बाप रे बाप !!!!अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-13228270662250740352007-08-20T11:47:00.000+05:302007-08-20T11:47:00.000+05:30तो आपकी कविता ?उन्हें समझ आ गई और बधाई ?भी मिल गई ...तो आपकी कविता ?उन्हें समझ आ गई और बधाई ?भी मिल गई ! आश्चर्य ! नहीं कहा गया कि किसी से लिखवाया गया है नहीं कहा कि भई हल्की बातों का बुरा मान जाती हैं आप बहुत अजीब हैं आप ,! वाकई सुखद आश्चर्य !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-41541082986294568102007-08-20T08:50:00.000+05:302007-08-20T08:50:00.000+05:30अज़दकी रोग तो संक्रामक हो गया है । कोई टीका वीका ह...अज़दकी रोग तो संक्रामक हो गया है । कोई टीका वीका है क्या तो लगवा लेंYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-44145248972073284032007-08-20T06:57:00.000+05:302007-08-20T06:57:00.000+05:30कविता तो समझ में आ गयी। अच्छी भी लगी। बधाई। लेख अप...कविता तो समझ में आ गयी। अच्छी भी लगी। बधाई। लेख अपने नाम के अनुरूप लगा। कैमाप्लाज्ड। पतनशील नहीं लगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-20635166600478767762007-08-20T00:47:00.000+05:302007-08-20T00:47:00.000+05:30बहुत अच्छा लेख है । वैसे मुझसे पहले ३ पुरुष भी कुछ...बहुत अच्छा लेख है । वैसे मुझसे पहले ३ पुरुष भी कुछ ऐसा ही दर्शा चुके हैं तो मुझे और भी विश्वास हो गया कि अच्छा है ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-83324470773391842622007-08-19T21:29:00.000+05:302007-08-19T21:29:00.000+05:30बहुत दिनों के बाद प्रकटी हैं आप, पतनशीलता का रियाज...बहुत दिनों के बाद प्रकटी हैं आप, पतनशीलता का रियाज़ करने में लगी थीं क्या?अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-27676958954286003692007-08-19T21:02:00.000+05:302007-08-19T21:02:00.000+05:30आप ने चाहा कि इन्स्टैंट पतनशीलता मिल जाय.. पर देखि...आप ने चाहा कि इन्स्टैंट पतनशीलता मिल जाय.. पर देखिये पतनशीलता के टैग लगाने के बावजूद प्रगतिशील हो गई..पर कोशिश करती रहिये.. धीरे धीरे रोज़-ब-रोज़ के अभ्यास से उस अवस्था को प्राप्त हो जायेंगी.. ऐसा मैंने सुना है..मैं अभी भी प्रगतिशील मोड से निकल नहीं पा रहा हूँ.. मैं ने किट लेके रखा हुआ है.. पर हिम्मत नहीं पड़ती.. आप ने हिम्मत की.. आप को बधाई और शुभकामनाएँ..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-34625535957649970292007-08-19T21:01:00.000+05:302007-08-19T21:01:00.000+05:30जब आप पतनशीलता पर उतारू ही हैं तो समझ लें तत्वज्ञ...जब आप पतनशीलता पर उतारू ही हैं तो समझ लें तत्वज्ञान व पतनशीलता 'औरतों' के इलाके की चीजें नहीं है उन्हें -<BR/><BR/>चुपचाप घर संभालना चाहिए लिखें तो वहीं कोमलकांत पदावली जिसपर वाह वाह हो सके<BR/><BR/>और हॉं आप ये स्टीरियोंआईप्स आदि गूढ़ व सूक्ष्म सोच कैसे पा रही हैं- ये तो मेल डोमेन की चीजें हैं- आपने किसी और से लिखवाया है-<BR/><BR/>फिर आप इतनी महत्वपूर्ण प्रतिमाओं का सिंदूर खुरचने की जुर्रत कर ही क्यों रही हैं ?<BR/><BR/>बल्कि तत्वज्ञानियोंके लिए तो आप कहीं-कहीं तो दूसरे का सिन्दूर खरोंच कर अपनी मांग में लगा रही हैं <BR/> <BR/>और भी बहुत सा त्त्वज्ञान इकट्ठा कर रहे हैं आजकल हम प्रतिमाओं से कहें तो सारा उड़ेलें,मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.com