tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post115578027266276351..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: छुट्टी के दिन की सोंधी बातेंPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1156764331321899692006-08-28T16:55:00.000+05:302006-08-28T16:55:00.000+05:30सुबह, सुबह भूख लगा दी देसी खाने की आपने. चलो आमलेट...सुबह, सुबह भूख लगा दी देसी खाने की आपने. चलो आमलेट ही खा लिया जाऐ. वैसे हमें तो तारीफ कर कर के मजदुर बनाया जाता है.Kalicharanhttps://www.blogger.com/profile/13820034560677352485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1156392977597955622006-08-24T09:46:00.000+05:302006-08-24T09:46:00.000+05:30राकेशजी , सही कहा आपने , वो तो वाकई कविता ही थी । ...राकेशजी , सही कहा आपने , वो तो वाकई कविता ही थी । :-)<BR/><BR/>रचना , आगे भी आयें हमारे घर । स्वागत है ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1156256270987780652006-08-22T19:47:00.000+05:302006-08-22T19:47:00.000+05:30किचन में जो लिखी संतोष ने, वो एक कविता थीसफ़ाई के ब...किचन में जो लिखी संतोष ने, वो एक कविता थी<BR/>सफ़ाई के बहाने तुम उसे कहते कहानी हो<BR/>अभी आगाज़ में हैं दाल चावल और ये भुजिया<BR/>तो अगली बार की बातें, कचौड़ी की जुबानी होराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1156176725420369252006-08-21T21:42:00.000+05:302006-08-21T21:42:00.000+05:30नमस्ते प्रत्यक्षा जी.. आज पहली बार आपके "ब्लाग घर ...नमस्ते प्रत्यक्षा जी.. आज पहली बार आपके "ब्लाग घर " मे आये हैँ और मजे की बात है की आपकी छुट्टी है और हम सीधे आपके रसोइघर मेँ....rachanahttps://www.blogger.com/profile/14183659688400073503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155873570767356802006-08-18T09:29:00.000+05:302006-08-18T09:29:00.000+05:30खाना खाने लायक निकला :-)चावल, दाल ,चटनी और आलू का ...खाना खाने लायक निकला :-)चावल, दाल ,चटनी और आलू का भुजिया ।<BR/>ये और बात है कि रसोई की सफाई ने मेरा इतना समय ले लिया । उसके आधे समय में मैं पूरा खाना पका लेती । लेकिन फिर भी संतोष के हाथ का पका खाना ...यम्मPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155822884645204072006-08-17T19:24:00.000+05:302006-08-17T19:24:00.000+05:30आखिरकार आपको खाने को मिला क्या?आखिरकार आपको खाने को मिला क्या?Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155822492621148292006-08-17T19:18:00.000+05:302006-08-17T19:18:00.000+05:30लेकिन तीनों ने मिलकर बनाया क्या? :)अब तो पढ़ कर भूख...लेकिन तीनों ने मिलकर बनाया क्या? :)<BR/>अब तो पढ़ कर भूख लग आई और बनाना तो खुद ही पड़ेगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155804292015000002006-08-17T14:14:00.000+05:302006-08-17T14:14:00.000+05:30संतोष साहब का सिद्धान्त हमारे यहाँ लागू नहीं होता,...संतोष साहब का सिद्धान्त हमारे यहाँ लागू नहीं होता, कभी कभार भूले चूके कह दिया कि आओ आज नाश्ता मैं बना दूँ, हो गई छुट्टी हमारी; मजाल है जो नाश्ता बनने तक रसोई में वापस कदम भी फ़िरकें। :)Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155800291330231292006-08-17T13:08:00.000+05:302006-08-17T13:08:00.000+05:30बहुत सही।आशा है आपका किचन सही सलामत बचा होगा।बहुत सही।आशा है आपका किचन सही सलामत बचा होगा।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155790593728025072006-08-17T10:26:00.000+05:302006-08-17T10:26:00.000+05:30आशा हैं तिनो लोगो ने खाने योग्य बना लिया होगा.:)आशा हैं तिनो लोगो ने खाने योग्य बना लिया होगा.<BR/>:)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1155786544495682902006-08-17T09:19:00.000+05:302006-08-17T09:19:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी,हमारे यहां तो छुट्टी वुट्टी नही है।य...प्रत्यक्षा जी,<BR/>हमारे यहां तो छुट्टी वुट्टी नही है।<BR/>यहां हम काम कर कर के परेशान हैं और आप भी ना।<BR/>पराठे और टमाटर की कतली बोल कर भूख जगा दी ना आपने।<BR/>वैसे आपके विचार बहुत सुंदर और सुलझे हुए हैं हीं, संतोष जी को भी कुछ श्रेय जाता है।<BR/>जारी रखिये यह श्रंखला।ई-छायाhttps://www.blogger.com/profile/15074429565158578314noreply@blogger.com