tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post114283647639018141..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: अब मेरी बारी है इन्द्रधनुष रचने कीPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1143117048457736762006-03-23T18:00:00.000+05:302006-03-23T18:00:00.000+05:30बडे सुन्दर द्श्य उकेरा है आपने...मन कर रहा है क़ैंन...बडे सुन्दर द्श्य उकेरा है आपने...मन कर रहा है क़ैंनवस पर उतार दू...विजेंद्र एस विजhttps://www.blogger.com/profile/06872410000507685320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1143026347775266282006-03-22T16:49:00.000+05:302006-03-22T16:49:00.000+05:30अच्छा किया प्रत्यक्षा जी जो आपने कविता के साथ उसे ...अच्छा किया प्रत्यक्षा जी जो आपने कविता के साथ उसे पढ़ने का तरीका भी बता दिया। कविता तो अच्छी है ही पर तरीका भी कम बढ़िया नहीं है। अब मैं भी लोगों को अपनी कविताएँ पढ़वाने से पहले यह तरीका पढ़वा दिया करूँगी।शालिनी नारंगhttps://www.blogger.com/profile/07725139668070862028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142907912439955462006-03-21T07:55:00.000+05:302006-03-21T07:55:00.000+05:30अरे भाई जब लोग दुनिया मुट्ठी में कर लेते हैं तो हम...अरे भाई जब लोग दुनिया मुट्ठी में कर लेते हैं तो हम इन्द्रधनुष काहे नहीं कर सकते!बताया भी कि जब धूप निकली हो तब हम देख सकते हैं इसे लिहाजा मुट्ठी में ही हुआ न!जहां तक फव्वारे का मरियल दिखना है तो जानकारी के लिये बतायें कि यह बहुत शरारत कर रहा था। सारा पानी हवा के इशारे पर उछालकर बाहर फेंक रहा था। लिहाजा इसके पर कतर दिये गये। नयी व्यवस्था की जा रही जिसमें परिधि पर भी फव्वारे लगाये जायेंगे।<BR/>मैदान भी बनेगा। समय लगता है। आखिर यह कोई कविता तो है नहीं कि इधर ज्वार उठा उधर उतार दिया। थोड़ा सबर किया जाय। स्वामीजी यह समझने की कोशिश करो कि बार बार बरसने के लिये कहने से बादल से बाढ़ नही आयेगी। कल्पना करो कि कोई<BR/>जंग लगा नट-बोल्ट खोला जा रहा है। खुल नहीं रहा है तो जोर लगाने पर कहा जाता है-खुल,खुल,खुल।कुछ वैसा की बादल से कहा जा रहा है-बरस,बरस,बरस।बाकी कविताओं पर हानिकारक लिखने की बात है तो अपने उत्पाद के बारे में बताने<BR/>का आपका हक है लेकिन कविताओं को सिगरेट बनने से रोक सकें तो बेहतर ही होगा।कविता के बारे में कुछ कैसे कहें हमे ध्यान आ रही कविता की पंक्ति-आगे कुछ मत कहना।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142872156165170072006-03-20T21:59:00.000+05:302006-03-20T21:59:00.000+05:30कविता कैसी है ये तो कवि गैंग बताए. बाकी लेखन का उत...कविता कैसी है ये तो कवि गैंग बताए. <BR/><BR/>बाकी लेखन का उत्साह बढाने के लिए 'हम हूं ना' फ़िर चाहे कविता मे कंफ़्यूजन जान बूझ कर बनाएं और आपको बिलावजह परेशान करें! चलो अब मस्ती टाईम - आज का कंफ़्यूजन ई है की - <BR/><BR/>मैंने कहा<BR/>बरसो बरसो<BR/>खूब बरसो<BR/>पीली सरसों की खेत<BR/>और आम की अमराई<BR/>में भी<BR/>बरसो बरसो<BR/>खूब बरसो<BR/><BR/>तो आपके कहने पर अगर वो बरसों तक बरसते रहे तो क्या बाढ नही जा जाएगी? आप उनको बरसो(सालों) बरसो(बरसात करो) क्यों कह रहे हो! देखा ई ससुरी कविता कितनी कंफ़्यूजिंग चीज है! :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142871748167794212006-03-20T21:52:00.000+05:302006-03-20T21:52:00.000+05:30मेरे २ पैसेबारिश की पहली बून्दों कोरोकाकिसान नेअपन...मेरे २ पैसे<BR/><BR/>बारिश की पहली बून्दों को<BR/>रोका<BR/>किसान ने<BR/>अपने खेतों पर<BR/>सोचा <BR/>कल अगर फसल पके<BR/>तो शायद<BR/>मेरा भी<BR/>इन्द्रधनुष खिलने लगे<BR/><BR/>क्या बात है हर कोई इंद्रधनुष के पीछे पड़ा हुआ है जेसिका लाल की घटना से मीसिंग रिवाल्वर की तरह लापता है क्या।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142869088207310352006-03-20T21:08:00.000+05:302006-03-20T21:08:00.000+05:30इन्द्रधनुष सुन्दर हैइन्द्रधनुष सुन्दर हैउन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.com