tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post114231511241681027..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: राग रंगPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142492143828926422006-03-16T12:25:00.000+05:302006-03-16T12:25:00.000+05:30आशीष मुझे भूपेन हज़ारिका की ' गंगा तुम बहती हो क्यो...आशीष मुझे भूपेन हज़ारिका की ' गंगा तुम बहती हो क्यों' बहुत पसंद हैPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142492018285051882006-03-16T12:23:00.000+05:302006-03-16T12:23:00.000+05:30शुक्रिया, समीर जी, आप को भी होली की शुभकामायेंहाँ ...शुक्रिया, समीर जी, आप को भी होली की शुभकामायें<BR/>हाँ तरुण, मुझे पता था हर्षिल एक जगह का नाम है. वैसे जब उसका नाम रखा था तब उसके अर्थ पर यानि 'जो हर्ष दे 'और एक तारे का नाम भी हर्षिल है, यही सोच कर नाम रखा था. नाम वाकई सार्थक हुआ :-)Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142363195862464622006-03-15T00:36:00.000+05:302006-03-15T00:36:00.000+05:30kya aapko pata hai हर्षिल ek khoobsurat pahari jeh...kya aapko pata hai हर्षिल ek khoobsurat pahari jehag hai uttarkashi se gangotri jaane ke raaste me parti hai, bhagirati ke kinaare basa hai. Ram teri ganga meli ki shooting bhi yeha hui thi. Aapke dono bachho ke naam bare pyaare hain.<BR/><BR/>Generation gap ka bahut sahi keha hai....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142343153064215502006-03-14T19:02:00.000+05:302006-03-14T19:02:00.000+05:30प्रत्यक्षा जीज़िला खान का सूफ़ियाना अंदाज और आवाज़ अक...प्रत्यक्षा जी<BR/>ज़िला खान का सूफ़ियाना अंदाज और आवाज़ अक्सर हमें दार्शनिकता की तरफ़ ले जाती है. देखें, आप पर भी असर हो रहा है. वैसे ऎसा किसी भी गहरे संगीत या आवाज़ के साथ होता है, बस पसंद और माहौल की बात है.<BR/>आपको सपरिवार होली की शुभकामनाऎं.<BR/><BR/>समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142329572529962832006-03-14T15:16:00.000+05:302006-03-14T15:16:00.000+05:30ज़िला खान को मैंने एक नाटक "Gods, Graves and Grandm...ज़िला खान को मैंने एक नाटक "Gods, Graves and Grandmothers" में देखा है.बहुत सशक्त गायिका हैं.शायद उम्र के साथ एक ठहराव आ जाता है .वही हमारे बदलती पसंद का एक कारण हो.Poonam Misrahttps://www.blogger.com/profile/08526492616367277544noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142329415037595182006-03-14T15:13:00.000+05:302006-03-14T15:13:00.000+05:30ये तो है उम्र के साथ संगीत की समझ बढते जाती है. मे...<I>ये तो है उम्र के साथ संगीत की समझ बढते जाती है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है. बचपने मे तो मुझे शास्त्रीय संगीत तो दूर संगीत से ही चिढ थी. फिल्मो के बीच मे गाने एक रूकावट से लगते थे.</I><BR/><BR/>भई फ़िल्मों के बीच गाने तो मुझे आज भी रूकावट लगते हैं। बिना गानों की फ़िल्में ही अपने को पसंद हैं। :) पर ऐसा नहीं है कि संगीत से मुझे चिढ़ है। अच्छे फ़िल्मी गानों की कैसेट व सीडी मैं खरीदता रहता हूँ।<BR/><BR/>हिन्दी में मेरे पसंदीदा गायक जगजीत सिंह, नुसरत फ़तेह अली खान, सोनू निगम, अभिजीत, लता मंगेश्कर, अल्का यागनिक हैं, और अंग्रेज़ी में मुझे बैकस्ट्रीट बॉयज़, रिकी मार्टिन, बॉयज़ोन, ऐनरिके इग्लेसियास, सेलीन डियान और ऐक्वा पसंद हैं। और मुझे केन्नी जी का संगीत व जेम्स हॉर्नर तथा हांस ज़िम्मर का फ़िल्मों में दिया पार्श्व संगीत भी पसंद है। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1142325419387157122006-03-14T14:06:00.000+05:302006-03-14T14:06:00.000+05:30ये तो है उम्र के साथ संगीत की समझ बढते जाती है. मे...ये तो है उम्र के साथ संगीत की समझ बढते जाती है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है. बचपने मे तो मुझे शास्त्रीय संगीत तो दूर संगीत से ही चिढ थी. फिल्मो के बीच मे गाने एक रूकावट से लगते थे. <BR/>चलचित्रगृह मे मै गानो के बीच पापकार्न लाने जाता था.<BR/>धीरे धीरे जैसे बढा होता गया संगीत अच्छा लगने लगा लेकिन धुम धडाके वाला, बप्पी लहरी वाला....<BR/>और आज गुलाम अली, मेहंदी हसन, जगजीत, बेगम अख्तर, आबीदा परवीन , नुसरत फतेह अली खान , कब्बन मिर्जा , भुपेन हजारीका जैसे ही पसंद आते है.<BR/>अंग्रेजी ज्यादा नही सुनता लेकिन सेलीन डियोन, ब्रायन एडम्स काफी पसन्द है.<BR/>वैसे पसन्द आजाये तो सब कुछ सुन लेता हूं स्पेनीश माकारीना से लेकर अरेबियन खालीद तक. भले ही समझ मे एक शब्द ना आये लेकिन संगीत अंदर तक उतर जाता है.Anonymousnoreply@blogger.com