tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post8851246891000301290..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: यहीं कहीं मेरी स्मृति मेंPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-15135364390206189362008-01-10T08:10:00.000+05:302008-01-10T08:10:00.000+05:30ये जो पहले मेरे नाम से टिप्पणी है , वह वास्तव में ...ये जो पहले मेरे नाम से टिप्पणी है , वह वास्तव में रजनी की मानी जाये , गलती से मेरा नाम चला गया था ।<BR/>लेकिन अब मैनें पढा तो लगा कि कहना तो मैं भी वही चाहता हूँ ।<BR/>एक अच्छे ’चित्र’ के लिये बधाई । कभी कभी लगता है , इस सभ्यता की दौड़ और प्रगति की होड़ में कितना कुछ सुन्दर पीछे छोड़ आये हैं ? <BR/><BR/>फ़्लैशबैक कचोटता है कभी कभी ....अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-38619556841686248622008-01-10T03:05:00.000+05:302008-01-10T03:05:00.000+05:30शहर जो एक हकीक़त था, अब सपना है..बेहतरीन शब्दचित्र...शहर जो एक हकीक़त था, अब सपना है..<BR/>बेहतरीन शब्दचित्र। ...मेरी ,तेरी,उसकी बात....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-47729849073040885162008-01-09T14:01:00.000+05:302008-01-09T14:01:00.000+05:30बहुत खूब!थम-थम के दौड़ता हुआ सा था मेरा शहर।कभी-कभी...बहुत खूब!<BR/><BR/>थम-थम के दौड़ता हुआ सा था मेरा शहर।<BR/>कभी-कभी तो खौलता भी था मेरा शहर।<BR/>सूरज से पिघलता और<BR/>बारिश में बहता है मेरा शहर।<BR/>टूटते मन और जुड़ते लोगों <BR/>को थामे रहता है मेरा शहर<BR/>जिंदा है और रहेगा मेरा शहरSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-76428504243341934592008-01-08T21:39:00.000+05:302008-01-08T21:39:00.000+05:30आपका शहर मैं कल्पना की आँखों से देख पा रही हूँ.. च...आपका शहर मैं कल्पना की आँखों से देख पा रही हूँ.. चलते जीवन में आने वाले हर शहर को मन के फोटो फ्रेम में जड़ लेती हूँ और<BR/>जब जी चाहा निहार लिया.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-203767801300957832008-01-08T21:34:00.000+05:302008-01-08T21:34:00.000+05:30मैं ठीक यही बात अपने शहर के बारे में भी कह सकता हू...मैं ठीक यही बात अपने शहर के बारे में भी कह सकता हूं. हम कुछ पा रहे हैं लेकिन बहुत कुछ खोकर... यह बहुत ही संवेदनशील विषय उठाया आपने. अच्छा लगा, शुक्रिया.पर्यानादhttps://www.blogger.com/profile/15618107830101324791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-20964250425146175132008-01-08T19:41:00.000+05:302008-01-08T19:41:00.000+05:30"शिवानी" के उपन्यासों जैसा……आपका भी शहर, मेरे मन ..."शिवानी" के उपन्यासों जैसा……आपका भी शहर, मेरे मन भाया……पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-67683302244340741152008-01-08T18:34:00.000+05:302008-01-08T18:34:00.000+05:30फिर फिर कर लौटी हैं नजरेंजो खोया है उसे तलाशेंलेकि...फिर फिर कर लौटी हैं नजरें<BR/>जो खोया है उसे तलाशें<BR/>लेकिन जो कुछ दिख पाता है<BR/>नहीं कभी उसको स्वीकारें<BR/>जब है पास न मूल्य आंकते<BR/>खो जाता तो पछताते हैं<BR/>ऊठ गया कल, लौट न पाता<BR/>करें चाहे कितनी मनुहारेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-13262087789728865722008-01-08T18:16:00.000+05:302008-01-08T18:16:00.000+05:30प्रत्यक्षा बहुत खूब.प्रत्यक्षा बहुत खूब.अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-52334702151278874912008-01-08T18:12:00.000+05:302008-01-08T18:12:00.000+05:30गुमशुदगी का खूबसूरत इश्तेहार । ईनाम का ऐलान हो तो ...गुमशुदगी का खूबसूरत इश्तेहार । ईनाम का ऐलान हो तो ठिकाना बतायें ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-74192346019525382672008-01-08T17:49:00.000+05:302008-01-08T17:49:00.000+05:30कुछ शहर खो जाते हैं और कुछ हमेशा बने रहते हैं, मेर...कुछ शहर खो जाते हैं और कुछ हमेशा बने रहते हैं, मेरे शहर के बारें में यहां पढ़े http://bp2.blogger.com/_bSnsdHqvn5g/R2993vOLWOI/AAAAAAAAAgw/f4K7uQpzhuA/s1600-h/banaras.jpgAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.com