tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post6903380548972125466..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: इतनी ज़िम्मेदारी तो निभाईयेPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-37934443030874471252008-05-27T02:47:00.000+05:302008-05-27T02:47:00.000+05:30हां... अब जब बोधि जी ने अपनी बात वापस ले ही ली है....हां... अब जब बोधि जी ने अपनी बात वापस ले ही ली है... तो हम भी अपनी बातें वापस ले लेते हैं... क्षमा करिएगा.. बोधि जी... कवि तो आप सच में बहुत पसंद हैं हमें... <BR/><BR/>और अब खतम कीजिए ये सब... किसी के ब्लाग में पढ़ा था... लडाई झगडा माफ करो...<BR/><BR/>हमने जो कहा... क्रोध में ही कहा था... अब तो हम भी क्षमा मुद्रा में हैं... इस क्रोध को काल लगे... मेरे कमेंटों से जिन जिनको तकलीफ हुई हो... सब क्षमा करें...Nandinihttps://www.blogger.com/profile/11132775455271584623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-83558969362013938462008-05-26T11:39:00.000+05:302008-05-26T11:39:00.000+05:30आपने तब भी संयत भाषा में संतुलित लिखा था और अब भी ...आपने तब भी संयत भाषा में संतुलित लिखा था और अब भी . <BR/><BR/>अब जब बोधिसत्व ने खेद प्रकट करते हुए अपने शब्द वापस ले लिए हैं तो अनुरोध है कि इस प्रकरण को यहीं समाप्त कर दिया जाए .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-19404927009709490552008-05-26T01:53:00.000+05:302008-05-26T01:53:00.000+05:30आप सही कह रही हैं और अब भी न कहती तो शायद और सही क...आप सही कह रही हैं और अब भी न कहती तो शायद और सही कहतीं।<BR/>सब भूल जाइए और मन पर फिर से पुराना रंग कर लीजिए।<BR/>हाँ, नंदिनी से एक बात कहनी है कि वरिष्ठ कवि उम्र से नहीं, कविता से होता है और मेरे विचार से बोधिसत्व वरिष्ठ हैं। वे यदि गलत बात भी कहते हैं, लेकिन अच्छी कविता लिखते हैं तो कवि तो अच्छे ही हैं ना। अपने गुस्से पर काबू रखिए या यूं कहना चाहिए कि ये क्रोध कभी बाद के लिए बचा के रखिए।<BR/>परेड के समय फौजियों से कहा जाता है - जैसे थे...माने जिस पोजीशन में थे, वहीं लौटें। <BR/>मैं भी सबसे आग्रह करता हूं कि...जैसे थे...गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-86640308966292809292008-05-25T14:34:00.000+05:302008-05-25T14:34:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी मैंने अपनी पोस्ट में प्रकाशक लेखक सं...प्रत्यक्षा जी मैंने अपनी पोस्ट में प्रकाशक लेखक संबन्ध में एक आम चलन की ओर इशारा किया था...वहाँ पुरुष और स्त्री की बात नहीं लेखकों की बात थी...आप लोगों ने सुविधानुसार अपने ऊपर ले लिया....मैंने वहाँ लिखा था....जैसे साहित्य की दुनिया में आज कवि-कथाकार मस्त है.....<BR/>बस एक काम करो....कुछ कविता कथा नुमा लिखो....किसी प्रकाशक को साधो और उनके एकाध बूढ़े मालिकान को बाकी तो सध ही जाएगा....<BR/>यह तो बड़ी समझदारी की बात हुई... <BR/>फिर भी मैं अपनी बात सखेद वापस लेता हूँ...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-89725159003877321962008-05-24T23:04:00.000+05:302008-05-24T23:04:00.000+05:30प्रत्यक्षा , सारा मामला मेरी नज़र से ओझल हुआ । अभी ...प्रत्यक्षा , सारा मामला मेरी नज़र से ओझल हुआ । अभी ही सब पोस्ट देखीं । बोधि की यह टिप्पणी कतई अनुचित है । शायद यह सबसे आसान तरीका है कि किसी स्त्री के लिए कह दिया जाए 'फंसा लिया'। मुझे उनसे ऐसी कतई उम्मीद नही थी ।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-80268899404253716962008-05-24T16:57:00.000+05:302008-05-24T16:57:00.000+05:30आपकी इस पोस्ट पर मेरी एक गहरी आपत्ति है... आपने ब...आपकी इस पोस्ट पर मेरी एक गहरी आपत्ति है... आपने बार बार बोधि जी को 'वरिष्ठ कवि' कहा है... हिंदी साहित्य की हाइरेर्की के बारे में जितना भी जानती हूं... उस अनुसार यह गलत है... यदि बोधि वरिष्ठ कवि हैं... तो केदारनाथ सिंह, कुंवर नारायण, लीलाधर जगूडी, विष्णु खरे क्या हैं... बोधि कुमार अंबुज, एकांत श्रीवास्तव के तुरंत बाद की पीढी के हैं... कई बार पहचान के लिए स्वंय को एकांत वाली पीढी में गिन लेते हैं... उनकी सुविधानुसार... आपको ऐसी तथ्यात्मक भूल नहीं करनी चाहिए... अगर शिष्टता वश वरिष्ठ कह दिया है... तो भी गलत है... इस तरह वरिष्ठ कहकर उनके 'यौवन' को चोटिल मत कीजिए... फुंफकार उठेंगे... उनके फोटो में बाल सफेद देखकर तो नहीं कह दीं आप... <BR/><BR/>दूसरी बात, उन्होंने बहुत खराब लिखा है... यह सबको अनुभव हुआ है... मैंने तो गुस्से में काफी कुछ लिखा है... सीधे टिप्पणी करके... किसी को मेरी भाषा मैस्कुलीन लग रही है... तो कुछ और... वह कविता भले अच्छी लिखती हों... लेकिन ब्लॉग मंे खराब लिखने में 'लोकप्रिय और शास्त्रीय' एक साथ हैं... नया ज्ञानोदय विवाद के समय उन्होंने मोहल्ला में जैसा लिखा था... वह किसी को भी उनकी मानसिकता का परिचय देने के लिए पर्याप्त है... और उसके बाद अपनी पत्नी के नाम अपने पक्ष में स्वंय ही कमेंट लिखते रहे... <BR/><BR/>और इस बार तो हद कर दी है उन्होंने... बैठे बिठाए झगडा फान रहे हैं... इस चक्कर में गालियां लिखेंगे... बेचारी अशिष्टता को भी लजा देंगे... <BR/><BR/>किसी भी स्त्री की सफलता को संदेह से देखने... उस पर बात अफवाह करने... उसकी सफलता को उसके चरित्र से जोड़ना कई लोगों को बहुत पसंद होता है... वे ऐसे अभागे होते हैं... जो पूरे जीवन लाख चाहने के बाद भी अपनी कई अपवित्रताओं के कारण एक स्त्री के जीवन में प्रवेश नहीं कर पाते... सिर्फ भौतिक संबंधों तक सीमित रहते हैं... और इस कुंठा को हमेशा स्त्री के प्रति भाषाई हिंसा में व्यक्त करते हैं... वर्जीनिया वुल्फ ने इसी को वायलेंस ऑफ लैंग्वेज जैसा कोई शब्द दिया था... <BR/><BR/>एनीवेज, आपको एक बार तो प्रतिकार करना ही चाहिए था... जो कि आपने फिर भी संयत होकर किया है... आपका स्वभाव ही होगा यह... लेकिन यही श्रेष्ठ है... आपकी पीडा में आपके साथ हैं हम... लेकिन आगे रियेक्ट मत कीजिए... मुझे ऐसा लगता है...Nandinihttps://www.blogger.com/profile/11132775455271584623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-45629287560341936902008-05-24T14:17:00.000+05:302008-05-24T14:17:00.000+05:30Aapne tab bhi aur abhi bhi apni baat sanyat hok...Aapne tab bhi aur abhi bhi apni baat sanyat hokar rakhi hai...agar koi bahas hai tho use isi tarah rakh kar tark ke saath karni hogi....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-57084913279947625072008-05-24T11:10:00.000+05:302008-05-24T11:10:00.000+05:30प्रत्यक्षा जहाँ तक इस विषय पर मेरा प्रश्न हैं पिछल...प्रत्यक्षा <BR/>जहाँ तक इस विषय पर मेरा प्रश्न हैं पिछले एक वर्ष मे मुझे हिन्दी ब्लोग्गिंग मे आकार ये पता लगा हैं की यहाँ ब्लोग्गिंग नहीं politcs होती हैं । सबके ग्रुप हैं जो एक दूसरे के डिफेन्स मे बोलते होते हैं । यहाँ जिन ब्लोग्स का जिक्र हैं उन सब मे आपस मे होड़ हैं अपने को "बेस्ट " prove करनी की । मै ब्लॉगर हूँ और ब्लॉग हमे केवल अपनी बात कहने के लिये दीये गए हैं । आप सब कह सकते हैं मेरा मानसिक स्तर बहुत कम हैं सो मै आप सब को नहीं पढ़ती । हिन्दी से परिचय बहुत पुराना हैं सो इतना जानती हूँ की होड़ हैं सब मे। और आप सब कितनी संवेदन शील हैं इसका पता तो इस बात से ही चल जाता हैं की आप सब उस दिन भी एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं जब एक १४ साल की बच्ची अरुशी का मुर्देर हो गया हैं । आप मे से किसी भी सो कॉल्ड दिग्गज ब्लॉगर की एक भी पोस्ट उस बच्ची के लिये नहीं आयी हैं । आप का गुस्सा बिल्कुल जायज़ हैं प्रत्यक्षा पर आप तो इस ब्लोग्गिंग मे बहुत पुरानी हैं अब तक तो आदत हो गयी होगी इससब बातो कीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-23294424148247770532008-05-24T10:52:00.000+05:302008-05-24T10:52:00.000+05:30यह एहसास भी नहीं था कि एकदम सहज सी लगनी वाली बात स...यह एहसास भी नहीं था कि एकदम सहज सी लगनी वाली बात से शुरू हुयी बात यहां तक आयेगी कि इस तरह की पोस्ट आपको और इधर-उधर तमाम लोगों को लिखनी पड़े। अफ़सोस!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-19474142163779693372008-05-24T10:26:00.000+05:302008-05-24T10:26:00.000+05:30बोधीसत्व की ताज़ा पोस्ट के बावजूद आपने इतना संयम रख...बोधीसत्व की ताज़ा पोस्ट के बावजूद आपने इतना संयम रखा, काबिल-ए-तारीफ है<BR/><BR/>जहां बात प्रमोद जी की है, वो संयमशील न थे, न होंगे<BR/><BR/>बोधीसत्व भी संयम रखते तो ब्लागजगत में इतनी छीछालेदारी से बचतेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-17331919957052977352008-05-24T10:10:00.000+05:302008-05-24T10:10:00.000+05:30नया व्यक्ति कोरा होता है, थोड़े दिन बाद उसकी कामर ...नया व्यक्ति कोरा होता है, थोड़े दिन बाद उसकी कामर कारी हो जाती है.<BR/>काश मैं भी कोरा होता.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-42830180883197662612008-05-24T09:48:00.000+05:302008-05-24T09:48:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी काहे परेशान होती है, महाभारत मे एक ब...प्रत्यक्षा जी काहे परेशान होती है, महाभारत मे एक बंदा होता था, जिस्का नाम मा बाप मे बडे लाड से सुयोधन रखा था, पर इतिहास उसे दुर्योधन के नाम से जानता है, (वही जिस्की डायरी छाप छाप कर शिव जी ब्लोगिंग मे छा गये जी)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com