tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post5754523594349463270..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: एक दुनिया और एक सफर औरPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-46597101398760411092008-01-17T12:11:00.000+05:302008-01-17T12:11:00.000+05:30किताबें भी कुछ कहती हैं, यह आपको बुलाती हैं और हम ...किताबें भी कुछ कहती हैं, यह आपको बुलाती हैं और हम अपने आप खींचे चले जाते हैंAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-86166143056007706522008-01-16T01:34:00.000+05:302008-01-16T01:34:00.000+05:30बेहतरीन - नए कथासरित्सागर की कुंजी ? [:-)]- मामिन...बेहतरीन - नए कथासरित्सागर की कुंजी ? [:-)]- मामिन सिबिर्याक उपेक्षित तो न सोचेंगे? - rgds- manishAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-81549511121339879112008-01-14T18:03:00.000+05:302008-01-14T18:03:00.000+05:30अच्छा जादू रचा और मैं सम्मोहित होता चला गया. अचा...अच्छा जादू रचा और मैं सम्मोहित होता चला गया. अचानक पाया कि कहानी खत्म हो चुकी थी. यह सोच कर सिहर उठा कि क्या एक दिन अचानक सचमुच ऐसा कुछ होगा? फिर याद आए ठसाठस भरे कुछ ऐसे ही कार्टंस... जिनमें रखी किताबों को अभी बाहर आकर किसी अलमारी में करीने से सजने का इंतजार है... ओह! आपने तो सचमुच बहुत डरा दिया. कुछ विचार सुप्त ही रहें तो कितना अच्छा है ना.....पर्यानादhttps://www.blogger.com/profile/15618107830101324791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-51583843078661890442008-01-14T02:40:00.000+05:302008-01-14T02:40:00.000+05:30वाह, नन्ही-सी रचना में महाकाव्यात्मक सघनता का विस्...वाह, नन्ही-सी रचना में महाकाव्यात्मक सघनता का विस्तार और औपन्यासिक विस्तार का सार-तत्व है। शब्द-साधना तो अद्भुत है। जेपी नारायणAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-59887215808260771732008-01-13T23:21:00.000+05:302008-01-13T23:21:00.000+05:30इरफान जी से सहमत होने को दिल चाहता है! ;)इरफान जी से सहमत होने को दिल चाहता है! ;)Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-59270364520809367392008-01-13T22:11:00.000+05:302008-01-13T22:11:00.000+05:30शचमुच बड़ी जटिल है किताबों, छवियों और शब्दों की यह...शचमुच बड़ी जटिल है किताबों, छवियों और शब्दों की यह दुनिया। मैं तो, यकीन मानिए, उलझकर रह जाता हूं। हां, ओरलैंडो के जादू से ज़रूर चमत्कृत हूं जिसमें बूढ़ा न होने का फैसला करनेवाला आदमी अचानक उठने पर पाता है कि वह एक औरत में बदल गया है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-33797361662858891792008-01-13T21:58:00.000+05:302008-01-13T21:58:00.000+05:30मैं चुप बैठे कितनी भी देर उस भरी आलमारी को देख सकत...मैं चुप बैठे कितनी भी देर उस भरी आलमारी को देख सकती थी , फिर किताबों के स्पाईन पर उँगलियाँ फिरा सकती थी .....sacchi badii vaali beemaari hai ye....post hamesha ki tarah mun bhaayi.पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-77415427366267645762008-01-13T21:54:00.000+05:302008-01-13T21:54:00.000+05:30आप डरे क्या ? ये तो सिर्फ कहानी है । जब असली लिस्ट...आप डरे क्या ? ये तो सिर्फ कहानी है । जब असली लिस्ट बताऊँगी फिर तो पक्का डरेंगे :-)Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-85059649697638190662008-01-13T21:49:00.000+05:302008-01-13T21:49:00.000+05:30इसे कहते हैं ख़ूब सारी किताबें पढकर डराना.इसे कहते हैं ख़ूब सारी किताबें पढकर डराना.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-43947719476329068722008-01-13T21:17:00.000+05:302008-01-13T21:17:00.000+05:30आपका शब्द विन्यास अद्भुत है,आप भी ऐसी दुनिया रचती ...आपका शब्द विन्यास अद्भुत है,आप भी ऐसी दुनिया रचती हैं कि हम उसमें खो से जाते हैं,यथार्थ में सपनों का तड़का !!VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-25705978771457841392008-01-13T19:43:00.000+05:302008-01-13T19:43:00.000+05:30बहुत खूब प्रत्यक्षा.पढ़ते-पढ़्ते खो जाती हूँ.बहुत खूब प्रत्यक्षा.पढ़ते-पढ़्ते खो जाती हूँ.रजनी भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-118562171060489352008-01-13T19:34:00.000+05:302008-01-13T19:34:00.000+05:30अच्छा कटा ये सफ़र !अच्छा कटा ये सफ़र !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-16571529982087586032008-01-13T18:47:00.000+05:302008-01-13T18:47:00.000+05:30गजब है, किताबों की दुनिया और आपके शब्दों की भी, आप...गजब है, किताबों की दुनिया और आपके शब्दों की भी, आपके इस सिमुलेशन में थोड़ी डुबकी हमने भी लगा ली.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.com