tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post4437070574563134562..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: आज के समय में सब भारमुक्त हैं ..Pratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-17689332662272277012008-12-08T22:30:00.000+05:302008-12-08T22:30:00.000+05:30लेकिन इसका मतलब ही क्या कि हम कुत्ते-बिल्लियों की ...लेकिन इसका मतलब ही क्या कि हम कुत्ते-बिल्लियों की तरह चौकन्ने हो रहे.....मतलब तो तब होता जब हम वफादार हुए होते....आदमियत....इंसानियत.....के प्रति.... <BR/>फ़िर क्यूँ गोलियाँ चलती....क्यूँ हत्या....क्यूँ बम गिरते.....क्यूँ अब तक की सबसे सभ्य सभ्यता ने हिरोशिमा.....नागाशाकी.....किया होता....क्यूँ आदमी को आदमी का भय होता.....क्यूँ........क्यूँ.....क्यूँ....अब क्या-क्या लिखूं.....!!चौकन्ना ही होना है तो अब भी कहाँ वक्त बीत गया....हम अपने चरित्र के प्रति....संवेदना के प्रति.....अंततः अखिल सृष्टि के कण-कण के प्रति चौकन्ने हो रहे.....!!!!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-67780166710932602862008-12-07T11:56:00.000+05:302008-12-07T11:56:00.000+05:30आपका लिखना सबसे ऊपर होता है...क्या कहूँ मैं तो फ़ैन...आपका लिखना सबसे ऊपर होता है...क्या कहूँ मैं तो फ़ैन हूँ आपकी, पता ही है आपको...Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-79702399996011074932008-12-05T13:43:00.000+05:302008-12-05T13:43:00.000+05:30हम सब हुये मगर चौकन्ने नही हुये !! सही कहा आपनेहम सब हुये मगर चौकन्ने नही हुये !! सही कहा आपनेदीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-76398171029820576882008-12-03T20:37:00.000+05:302008-12-03T20:37:00.000+05:30मुक्ति ही तो चाहते हैं सब...इतने ही मुक्तिकामी हैं...मुक्ति ही तो चाहते हैं सब...<BR/>इतने ही मुक्तिकामी हैं तो जन्म ही क्यों लिया ?<BR/>इसी क्षण से खुद को मरा हुआ क्यों न मानें...<BR/>मृत से अधिक भारमुक्त कौन होगा....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-18934466517447048302008-12-03T20:11:00.000+05:302008-12-03T20:11:00.000+05:30या फ़िर सबके शब्द तैरते हुए आप के पास चले आए इतना स...या फ़िर सबके शब्द तैरते हुए आप के पास चले आए <BR/>इतना सुंदर संयोजन भावों का और शब्दों का कि हमें लग रहा है हमारे पास शब्द नही हैं तारीफ करने को <BR/>शायद वापसी ही है किसी आदिम ज़माने की ओरroushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-87888386284299111652008-12-03T19:20:00.000+05:302008-12-03T19:20:00.000+05:30हम बचे(कब तक??)हम बचे(कब तक??)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-90672828689142710682008-12-03T18:30:00.000+05:302008-12-03T18:30:00.000+05:30इस भारमुक्त होने पर भी मन पर कितना बोझ है !इस भारमुक्त होने पर भी मन पर कितना बोझ है !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-90838210967808219062008-12-03T14:33:00.000+05:302008-12-03T14:33:00.000+05:30अनुभव अनुभूति से संक्रमित हो जाय तो ऐसी ही भावान्व...अनुभव अनुभूति से संक्रमित हो जाय तो ऐसी ही भावान्वित भाषा और ऐसी ही प्रभावी अभिव्यक्ति सामने आती है . इस पोस्ट के कोटिशः धन्यवाद .Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-72507056562345605802008-12-03T13:28:00.000+05:302008-12-03T13:28:00.000+05:30एक एक शब्द जैसे आत्मा पर मनो वज़न... speechless!एक एक शब्द जैसे आत्मा पर मनो वज़न... speechless!neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.com