tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post115769960137215960..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: कुछ मेरे हिस्से की धूप .....जुगलबंदीPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157993381488895492006-09-11T22:19:00.000+05:302006-09-11T22:19:00.000+05:30मसिजीवीजीयह सारी रचनायें ekavitaa पर संवाद रूप म...मसिजीवीजी<BR/><BR/>यह सारी रचनायें ekavitaa पर संवाद रूप में चली थीं. अब प्रत्यक्षाजी से कहूँगा कि अगली बार चाय-पुराण भी तैय्यर कर भेज देंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157990489422170322006-09-11T21:31:00.000+05:302006-09-11T21:31:00.000+05:30संयोजन सुंदर बन पड़ा है।पर ये तो बताऍं कि ये काव्...संयोजन सुंदर बन पड़ा है।<BR/><BR/>पर ये तो बताऍं कि ये काव्य संवाद था या पहले से लिखी गई पंक्तियों से तैयार कोलाज़ ?मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157951287061141722006-09-11T10:38:00.000+05:302006-09-11T10:38:00.000+05:30कवितायें पसंद करने के लिये आभार ।राकेशजी , रत्ना ज...कवितायें पसंद करने के लिये आभार ।<BR/><BR/>राकेशजी , रत्ना जी और अनूप जी , क्रम को इतने खूबसूरती से बढाने के लिये शुक्रिया ।<BR/><BR/>और सबसे बडा शुक्रिया पाखी की ओर से । आपसबों का आशीर्वाद उसे ऐसे ही मिलता रहे ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157913607211907162006-09-11T00:10:00.000+05:302006-09-11T00:10:00.000+05:30रत्ना जी के लिये ....---मैनें तुम से तुम्हारे हिस्...रत्ना जी के लिये ....<BR/>---<BR/>मैनें तुम से तुम्हारे हिस्से की<BR/>धूप कहाँ माँगी थी<BR/>बस उसे कैद कर के न रखो<BR/>शायद वही धूप<BR/>जब मेरे ज़िस्म से टकरा कर <BR/>तुम तक पहुँचे <BR/>तो कुछ अधिक भीनी लगे .....अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157911134524532732006-09-10T23:28:00.000+05:302006-09-10T23:28:00.000+05:30चलो आगे बढाते हैं ----अब अँधेरा ही भला लगता है,तेर...चलो आगे बढाते हैं <BR/>----<BR/><BR/>अब अँधेरा ही भला लगता है,<BR/>तेरा चेहरा मन की आंखों से देख लेता हूँ,<BR/>अब धूप का क्या है<BR/>उगे या न उगे !!!<BR/><BR/>अनूप<BR/><BR/>बिखरी कडियों को पिरोनें के लिये प्रत्यक्षा को धन्यवादअनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157867184516797002006-09-10T11:16:00.000+05:302006-09-10T11:16:00.000+05:30क्या ख़ूबसूरत बन पड़ी हैं सभी की पंक्तियाँ, विशेषकर ...क्या ख़ूबसूरत बन पड़ी हैं सभी की पंक्तियाँ, विशेषकर आपकी और अनूप जी की जुगलबंदी ने तो बहुत सुंदर समां बाँधा ...वाह!Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157829410962676552006-09-10T00:46:00.000+05:302006-09-10T00:46:00.000+05:30तसवीर देख नही पाया :( मगर कवीत दिल को भागई :)बाकी...तसवीर देख नही पाया :( मगर कवीत दिल को भागई :)<BR/><BR/>बाकी <B>राकेश भाई</B> और <B>रत्ना जी</B> ने बहुत ही सुंदर अंदाज़ से निखाराAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157801883220582822006-09-09T17:08:00.000+05:302006-09-09T17:08:00.000+05:30Convay my love to your daughter.Convay my love to your daughter.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157775599221998072006-09-09T09:49:00.000+05:302006-09-09T09:49:00.000+05:30बिटिया के जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई। बहुत ही खूबस...बिटिया के जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई। बहुत ही खूबसूरत नाम है पाखी।Jagdish Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/17093503828934988942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157774449494943082006-09-09T09:30:00.000+05:302006-09-09T09:30:00.000+05:30बिटिया को जनम दिन की मुबारकबाद हमारी तरफ़ से दे दें...बिटिया को जनम दिन की मुबारकबाद हमारी तरफ़ से दे दें और ढेरों आशिष...<BR/><BR/>-समीर-साधनाUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157730441172771212006-09-08T21:17:00.000+05:302006-09-08T21:17:00.000+05:30कब तक बन्द किये रखोगीअपनी मुट्ठी में धूप कोज़रा हथे...कब तक बन्द किये रखोगी<BR/>अपनी मुट्ठी में धूप को<BR/>ज़रा हथेली को खोलो<BR/>तो सवेरा हो<BR/><BR/>(अनूप भार्गव )<BR/>इस पर जाने क्यों मेरी कलम फििसल गई थी--<BR/><BR/>बीते चन्द रोशन पलों से<BR/>मिलाती है यह धूप<BR/>ज़माने की सर्द हवायों से <BR/>बचाती है यह धूप<BR/>कैसे जाने दूँ मुट्ठी से इसको फिसल<BR/>कहीं आत्मा न जाए इस देह से निकल<BR/>इसी से है मेरे जीवन में सवेरा<BR/>इसी से छंटा गहन काला अंधेरा<BR/>न मागों मुझसे मेरी इकलऔती भोर<BR/>मेरी मुट्ठी में इसके सिवाए कुछ न और।।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157720787092332192006-09-08T18:36:00.000+05:302006-09-08T18:36:00.000+05:30अब जब पूरा चिट्ठा लिख ही दिया है तो बाकी क्यों रह ...अब जब पूरा चिट्ठा लिख ही दिया है तो बाकी क्यों रह जाये<BR/><BR/>धूप:<BR/><BR/>जब उतर कर गुम्बदों से आई है अँगनाईयों में<BR/>धूप देखो घुल गई है, काँपती परछाईयों में<BR/>ओढ़ कर बादल का घूँघट, एक दुल्हन के सपन सी<BR/>धूप नग्मे लिख रही है प्रीत के, शहनाईयों मे<BR/>सांझ की कोमल थकन और मीत की करते प्रतीक्षा<BR/>चांदनी सी ढल रही है, धूप अब अँगड़ाईयों में<BR/>रात की तारों भरी चादर सिरहाने से लगा कर<BR/>धूप सपने बुन रही है नैन की बीनाईयों में <BR/>रूप के लहरा रहे कुछ कुन्तलों को तूलिका कर<BR/>धूप गज़लें लिख रही है आज फिर पुरबाईयों मेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157718965848329112006-09-08T18:06:00.000+05:302006-09-08T18:06:00.000+05:30बहुत सुंदर और बेहतरीन कवितायें हैं.पेंटिंग भी गजब ...बहुत सुंदर और बेहतरीन कवितायें हैं.<BR/>पेंटिंग भी गजब की है.<BR/><BR/>सभी को बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157717431281099212006-09-08T17:40:00.000+05:302006-09-08T17:40:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी, इतनी सुंदर कविताओं को पढ़ कर आनंद आ ...प्रत्यक्षा जी, इतनी सुंदर कविताओं को पढ़ कर आनंद आ गया, सबको साथ जुटाने का काम बढ़िया किया है, लगता है जैसे कोई राग है जिसमें वही स्वर अलग अलग रंग ले कर सामने आते हैं. आप का चित्र भी बहुत अच्छा लगा.Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157705966843638142006-09-08T14:29:00.000+05:302006-09-08T14:29:00.000+05:30बहुत खुब. तस्वीर भी और कविता(एँ)भी.बहुत खुब. तस्वीर भी और कविता(एँ)भी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157705551613946992006-09-08T14:22:00.000+05:302006-09-08T14:22:00.000+05:30अच्छी जुगल बन्दी है प्रमेन्द्रअच्छी जुगल बन्दी है <BR/>प्रमेन्द्रAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157702299979674252006-09-08T13:28:00.000+05:302006-09-08T13:28:00.000+05:30वाह!! आप सभी की कविताएँ अच्छी हैँ! चित्र भी बढिया ...वाह!! आप सभी की कविताएँ अच्छी हैँ! चित्र भी बढिया है..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1157702098484085992006-09-08T13:24:00.000+05:302006-09-08T13:24:00.000+05:30बढि़या है.क्या जुगल बंदियां हैं! फोटो भी कम नहीं ह...बढि़या है.क्या जुगल बंदियां हैं! फोटो भी कम नहीं है.अब पता चला लोग प्रत्यक्षा जी को सम्भावनाशील काहे मानते हैं.अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com