tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post113767168998611209..comments2023-11-02T18:41:57.398+05:30Comments on प्रत्यक्षा: बचपन के दिन भी क्या दिन थेPratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1138473092602209252006-01-29T00:01:00.000+05:302006-01-29T00:01:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी, आपको "टैग" किया जाता है!!प्रत्यक्षा जी, आपको "<A HREF="http://www.amitgupta.in/2006/01/28/perfect-lover/" REL="nofollow">टैग</A>" किया जाता है!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137771535532696542006-01-20T21:08:00.001+05:302006-01-20T21:08:00.001+05:30बहुत खूब लिखा प्रत्यक्षा जी! आपके जैसे बचपन में इत...बहुत खूब लिखा प्रत्यक्षा जी! आपके जैसे बचपन में इतनी मस्ती तो नहीं की, हां किताबें जरूर बहुत पढीं हमने भी। और जब हम किताबें पढ रहे होते थे तो हमें आस-पास क्या हो रहा है कुछ पता नहीं होता है। सब हमारी इस आदत पर हंसते थे।<BR/>रूसी किताबों से याद आये मक्सिम गोर्की। उनके तीन आत्मकथात्मक उपन्यास( मेरा बचपन, जीवन की राहों पर और मेरे विश्वविद्यालय) बचपन में कई बार पढे। आज भी जब कभी घर जाते हैं तो निकाल कर कुछ पन्ने पढे बिना नहीं रहते। सच किताबों की दुनिया ही अलग होती है।Sarika Saxenahttps://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137771491098070982006-01-20T21:08:00.000+05:302006-01-20T21:08:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Sarika Saxenahttps://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137746834472658022006-01-20T14:17:00.000+05:302006-01-20T14:17:00.000+05:30प्रत्यक्षा जी, आपने अपने बचपन के दिनों का बहुत ही...प्रत्यक्षा जी, आपने अपने बचपन के दिनों का बहुत ही रोचक वर्णन किया है। मुझे भी आपकी ही तरह बचपन से किताबें पढ़ने का बहुत शौक है, मैंने अपने निजी पुस्तकालय में दो-ढाई हज़ार किताबें इकट्ठी कर रखी हैं। हाँलाकि पाठ्यक्रम की किताबें मुझे हमेशा से नापसन्द रही हैं। अगर पढ़ने का चस्का एक बार लग जाए, तो हाथ में आयी कोई किताब बिना खत्म किये छोड़ने की इच्छा ही नहीं होती।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137743863173782932006-01-20T13:27:00.000+05:302006-01-20T13:27:00.000+05:30यादें तो जैसी हैं हैं ही।लेख की भाषा का प्रवाह बड़...यादें तो जैसी हैं हैं ही।लेख की भाषा का प्रवाह बड़ा बढ़िया है। प्रवाहमान ।कोई नाका नहीं बीच में<BR/>ठहराव का।किताबें का क्या कहें!हमें अगर आज ही दुनिया छोड़ने को कहा जाये तो सबसे<BR/>बड़ा अफसोस यही होगा कि तमाम कालजयी किताबें बिना पढ़े जा रहे हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137738854609552672006-01-20T12:04:00.000+05:302006-01-20T12:04:00.000+05:30सही कहा, आशीषबचपन में अगर कोई पूछता, बडी हो कर क्य...सही कहा, आशीष<BR/>बचपन में अगर कोई पूछता, बडी हो कर क्या बनोगी, मैं कहती तपाक से ,लाईब्रेरियन.<BR/>अब सोचती हूँ अवकाशप्राप्ति के बाद एक किताब की दुकान खोल लूँ :-)<BR/><BR/>प्रत्यक्षाPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137738531252387192006-01-20T11:58:00.000+05:302006-01-20T11:58:00.000+05:30किताबे पढना तो मेरा भी शौक है. मेरी एक आदत है जिसक...किताबे पढना तो मेरा भी शौक है. मेरी एक आदत है जिसकी वजह से आजतक डाटं पडती है वह है कुछ भी खाते समय कुछ ना कुछ पढने चाहिये. मुझमे पढने की आदत मेरे पापा ने ही डाली, मेरे पापा जरूर गणित विज्ञान के शिक्षक थे, लेकिन साहित्य मे अच्छी खासी रूची थी. बचपन मे हर माह नंदन चंदामामा और बालहंस तो पढ्ते ही थे, साथ मे पंचतंत्र, जातक कथाये भी पढी. बाद मे मानसरोवर , राबिन्सन क्रुसो, गुलीवर और ना जाने क्या क्या पढा....<BR/><BR/>मेरे घरवाले कहते भी है, इसे किसी पुस्तकालय मे बन्द कर दो, और जीने भर लायक खाना पिना का इंतजाम कर दो, कभी बाहर नही निकलेगा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-12521686.post-1137736391950992642006-01-20T11:23:00.000+05:302006-01-20T11:23:00.000+05:30बचपन के दिनों के साथ तो जीवन के किसी भी और दिनों क...बचपन के दिनों के साथ तो जीवन के किसी भी और दिनों की तुलना ही नहीं हो सकती। आप का लिखा अच्छा लगा।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.com